केंद्र सरकार ने अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की जगह भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से तैयार एचईसीआई अधिनियम के मसविदा को सुझाव के लिए लोगों के बीच रखा गया है। उच्च शिक्षण संस्थानों को मान्यता देने व नियम बनाने वाली संस्था यूजीसी भंग हो रही है। केंद्र सरकार ने पहली बार एचईसीआई एक्ट 2018 का मसौदा तैयार कर पब्लिक नोटिस के माध्यम से 7 जुलाई तक सुझाव मांगा है।
मंत्रालय ने उच्च शिक्षा आयोग को ही एकल नियामक संस्था बना दिया है जो केंद्रीय, निजी, डीम्ड-टू-वी यूनिवर्सिटी, निजी यूनिवर्सिटी के लिए सभी प्रकार के नियम तय करेगी। ये सभी काम अभी तक मंत्रालय करता था। एचईसीआई अधिनियम के लागू होने के बाद ऑनलाइन रेगुलेशन डिग्री, नैक रिफार्म, विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को स्वायत्तता देना, ओपन डिस्टेंस लर्निंग रेगुलेशन आदि का सारा कामकाज मंत्रालय के बजाय अब एचईसीआई करेगा।
मंत्रालय सिर्फ वित्तीय कामकाज संभालेगा। इसके तहत विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को अनुदान देना, छात्रवृत्ति आदि का भुगतान करना भी शामिल रहेगा। देशभर के छात्र, अभिभावक, शिक्षाविद, शिक्षकों व आम जनता से मिले सुझावों के तहत मसविदा बिल में बदलाव होगा। उसके बाद इस बिल को कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट में पास होने के बाद मानसून सत्र में संसद में पास होने के लिए भेज दिया जाएगा।
पहली बार फर्जी संस्थानों को बंद करने के साथ जेल की सजा का प्रावधान
ऐसा पहली बार हुआ है कि नियामक के पास अकादमिक गुणवत्ता मानकों को लागू करने की शक्तियां होंगी। उसे फर्जी संस्थानों को बंद करने का आदेश देने का अधिकार भी होगा। ड्रॉफ्ट के अनुसार अनुपालन नहीं करने पर जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है। वर्तमान में, यूजीसी जनता को सूचित करने के लिए अपनी वेबसाइट पर फर्जी संस्थानों के नाम जारी करता है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है।
संस्थानों को करेगा प्रोत्साहित
नया आयोग शोध, पठन व पाठन की नई तकनीकी अपनाने वाले संस्थानों को प्रोत्साहित भी करेगा। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षण परिषद (एनसीटीआई) जैसे नियामकों के अध्यक्षों को आयोग में शामिल कर इसके संविधान को और ताकत दी गई है।
एचईसीआई के 12 सदस्यों का चयन केंद्र करेगा
उच्च शिक्षा आयोग में चेयरपर्सन, वाइस चेयरपर्सन समेत 12 अन्य सदस्य होंगे, जिन्हें केंद्र सरकार चयनित करेगी। इन पदों को भरने के लिए केंद्र सरकार अधिसूचना जारी करेगी। सरकार के पास उक्त अधिकारियों को हटाने का प्रावधान भी होगा।
चेयरपर्सन को कैबिनेट सचिव द्वारा गठित सर्च सलेक्शन कमेटी चयन करेगी। एचईसी अधिकारी का सेवाकाल खत्म होने से छह महीने पहले पद के लिए विज्ञापन जारी कर योग्य उम्मीदवार का चयन किया जाएगा। यह आयोग ही कुलपति, उपकुलपति, प्राचार्य, डीन, एचओडी, शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मियों की नियुक्ति के नियम बनाएगा।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विश्वविद्यालय शिक्षा के मापदंडों के समन्वय, निर्धारण और अनुरक्षण हेतु 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित एक स्वायत्त संगठन है। पात्र विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अतिरिक्त आयोग केन्द्र और राज्य सरकारों को उच्चतर शिक्षा के विकास हेतु आवश्यक उपायों पर सुझाव भी देता है। यह बंगलौर, भोपाल, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और पुणे में स्थित अपने 6 क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ-साथ नई दिल्ली से कार्य करता है।
शिक्षक संघ ने की कड़ी निंदा, बताया छात्र विरोधी आयोग
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से यूजीसी को खत्म कर एक अलग से राष्ट्रीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन को लेकर ”ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन ” ने कड़े शब्दों में आलोचना की है और इसे यूजीसी की स्वायत्तता पर सरकार का सीधा हमला बताया है ।
शिक्षक संघ के नेशनल चेयरमैन व डीयू विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन ‘ने कहा है कि राष्ट्रीय उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना के बाद, वर्तमान में यूजीसी से संबद्ध संस्थानों को नये आयोग बनने के बाद उनसे संबद्ध होने के लिए अनुमति लेनी होगी। जो संस्थान पुराने हो चुके हैं और उच्च शिक्षा के छेत्र में स्थापित हो चुके हैं, लगता है उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने का कार्य होगा। वर्तमान में यूजीसी का केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य और मांनद विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। विश्वविद्यालय छात्रों के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करते हैं, शैक्षिक और गैर शैक्षिक कर्मचारियों की सर्विस कंडीशन तय की जाती है। विश्वविद्यालय खुद छात्रों की फीस तय करते हैं, लेकिन उच्च शिक्षा आयोग विश्वविद्यालयों से ये सारी शक्तियां छीन लेगा और अपना पाठ्यक्रम खुद तय करेगा, फ़ीस के नाम पर मोटी रकम वसूली जाएगी।गरीब व कमजोर वर्गों के लिए उच्च शिक्षा एक सपना रह जाएगी। यह आयोग उन्हें उच्च शिक्षा में आने से पूरी तरह रोकेगा। साथ ही एससी, एसटी, ओबीसी और विकलांगों को उच्च शिक्षा से वंचित करने का गहरा षड्यंत्र रचा जा रहा है।
प्रो सुमन ने नए आयोग की आलोचना करते हुए बताया है कि उच्च शिक्षा आयोग के पास संस्थान खोलने और बंद करने का दायित्व होगा। उनका कहना है कि जो संस्थान/कॉलेज/यूनिवर्सिटी सही से चल रही है और उनको जल्द बंद करके नए संस्थान स्थापित करना इनका उद्देश्य होगा ताकि अपनी फ़ीस, अपना पाठ्यक्रम लागू कर सके। सारा नियंत्रण मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास होगा। उनका कहना है कि उच्च शिक्षा आयोग का जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसमें सारी शक्तियां मंत्रालय को दे दी गई हैं, उसे फंड जारी करने का कोई अधिकार नहीं होगा, ये काम मंत्रालय अपने हाथों में लेगा। उच्च शिक्षा आयोग शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की जिम्मेदारी ले रहा है उसका एजेंडा क्या होगा, कैसे सुधारेगा, नियम, उपनियम क्या है, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है। हम नए आयोग की हर स्तर पर आलोचना करेंगे क्योंकि यह पूर्णतयः एससी, एसटी और ओबीसी के छात्र विरोधी आयोग है।
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