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कविताः मन का मिलन 

सांकेतिक तस्वीर, गूगल साभार

-अमित कु अम्बष्ट ” आमिली “

सैंकड़ो मंत्र
अग्नि कुंड के इर्द-गिर्द
साड़ी-धोती की कोर से
बना गठबंधन
अर्द्ध निंद्रा में
रात के दूसरे पहर
लिए गए सात फेरे
सात वचन और
एक झटके में बना
सात जन्मों का रिश्ता
उसके जिस्म पर
बंधुआ मजदूर सा अधिकार
माथे पर रिश्ते का ठप्पा
कच्ची उम्र में
ब्याही गई फूलबतियाँ
इसके मायने भी समझती है क्या ?
पहली रात की मिलन के बाद ही
वो पेट से है
अपनी गौने के बाद
नईहर में अपनी माँ से पुछती है
मन का मिलन क्या होता है ?

(रचनाकार अमित कुमार अम्बष्ट ” आमिली ” जाने माने लेखक भी हैं। आप इनसे मेल पता writeramitambashtha@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं)

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

2 Comments on "कविताः मन का मिलन "

  1. अनिल श्रीवास्तव | June 29, 2018 at 10:14 AM | Reply

    अत्यंत सुन्दर रचना ??

  2. गज़ब

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