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ट्रेनों के बिगड़ते हालातः छात्र की डायरी

तस्वीरः गूगल साभार

-आशीष

हमारे देश में भारतीय रेल अपनी एक अलग भूमिका रखती है। यह एक अच्छी बात है। इसमें हर वर्ग के लोग यात्रा करते है। आज जो भारतीय रेल के हालात हैं वो देखने लायक है। यह बहुत चिंताजनक है कि सफ़ाई के नाम पर मज़ाक किया जा रहा है। यहां का पानी पीने लायक नहीं है। इसी के साथ ही शौचालयों के हालत बद से बदतर होते नज़र आते हैं। हालात पहले के जैसे ही हैं। ट्रेनों में हर तरफ पानी की बोतल व कूड़ा-कचड़ा फैला हुआ रहता है। खाने की थाली के नाम पर पैसों की लूट मची हुई है। एक ग़रीब व्यक्ति को यह सफ़र महंगा होता दिखाई दे रहा है। ट्रेन समय से आती नहीं है इससे सबसे ज्यादा परेशानी नौकरी पेशा वाले लोगों को व छात्रों को होती है। लोग इस वजह से रेल में सफ़र करते हैं क्योंकि यह एक सस्ता व अच्छा माध्यम है लेकिन, आज इसकी स्थिति को देखकर दुःख होता है। इसके पीछे कहीं न कहीं हम सबका भी हाथ है क्योंकि आज भी हमारे देश के लोग स्वछता को लेकर जागरूक नहीं है।

आज हमारा देश भ्रष्टाचार के जंजाल में फंसता चला जा रहा है। कोई काम बिना रिश्वत के पूरा नहीं होता। देश में स्वछता अभियान चल रहा है लेकिन, फिर भी इतनी बड़ी लापरवाही बरती जा रही है। ऐसा क्यों हो रहा है?  इसके पीछे ऐसे क्या कारण हैं जो ऐसा हो रहा है?  हर जगह बीच में गरीब पिसता है इसके बारे में आज कोई नहीं सोच रहा। राजनीति पार्टियां भी अपने चुनाव के समय याद करती हैं। आज देश का ग़रीब टूटता जा रहा है। आज सरकार इस ओर ध्यान क्यों  नहीं देना चाहती? आज हम सबको इसको लेकर आवाज़ उठानी होगी। साथ ही अपने स्तर पर कुछ करना होगा। आज सरकार को नींद से जगाना होगा। लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।

(आशीष, राम लाल आनंद कॉलेज (डीयू) में पत्रकारिता के छात्र हैं)

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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