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डीयू में एसी की बैठक न होने से शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता बंद, कुलपति को लिखा पत्र

गूगल : आभार

डीयू में यूजीसी नियमन लागू न होने से नियु्क्ति व पदोन्नति का रास्ता बंद। बिना यूजीसी नियमन पास किए की जा रही है प्राचार्य पदों पर नियुक्ति। 15 महीने से एसी मीटिंग नहीं हुई।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने केंद्रीय, राज्य व मानद विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए सेवा शर्तों की अधिसूचना 18 जुलाई 2018 को ही जारी कर दी गई थी। अधिसूचना को जारी हुए 2 माह हो चुके हैं लेकिन, अभी तक इसे डीयू की सर्वोच्च संस्था एसी/ईसी(एकेडेमिक कांउन्सिल, एग्जीक्यूटिव कांउन्सिल) की बैठक बुलाकर उसे लागू करने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई है, जिससे नियुक्तियां और पदोंन्नति नहीं हो पा रही हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ का कहना है कि यूजीसी नियमन 2018 को लागू ना करना शिक्षकों के हितों के विपरीत है क्योंकि इससे विश्वविद्यालय में काफी समय से नियुक्तियां और पदोन्नतियां (अपॉइंटमेंट और प्रमोशन) रुकी हुई हैं। नियुक्तियां, पदोन्नतियों के न होने से शिक्षकों के हितों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने यूजीसी नियमन 2018 को लागू कराने की मांग को लेकर डीयू के कुलपति को पत्र लिखकर मांग की है कि एसी/ईसी की बैठक बुलाई जाए।

 शिक्षकों की नियुक्ति पर लगा है ग्रहण

दिल्ली विश्वविद्यालय में 2008 से शैक्षिक पदों पर कोई भी पदोन्नति  न होने के कारण शिक्षक हजारों रुपये महीने का आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं और ऐसे में जब यूजीसी अधिसूचना जारी हुई तो लगा कि अब नियुक्तियों व पदोन्नति की प्रक्रिया नई अधिसूचना के अनुसार प्रारम्भ हो जायेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर पहले ही 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर में परिवर्तन की साजिश के कारण ग्रहण लगा हुआ है, ऐसे में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा जो पहले के विज्ञापित पद थे यदि उस पर नियुक्तियां होतीं तो हजारों शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति मिल जाती जिससे न सिर्फ तदर्थ शिक्षकों को लाभ होता बल्कि दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षण कार्य को भी फायदा होता।

प्रो. सुमन का कहना है कि मजे की बात तो यह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से लेकर यूजीसी तथा एमएचआरडी तक कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्तियों में अतिरिक्त रुचि ले रहे हैं लेकिन, 4500 तदर्थ शिक्षकों के भविष्य के प्रति कोई चिंता नहीं है? उन्होंने चिंता जताई है कि 18 जुलाई को अधिसूचना जारी होने के बाद भी पुराने नियमों के आधार पर प्राचार्यों की नियुक्तियां की जा रही हैं, यह पूरी तरह से गैर कानूनी है।

कहां कितने पद हैं खाली

डीयू के कॉलेजों में आज भी लगभग 20 कॉलेजों में प्राचार्य के पदों को भरा जाना है। यूजीसी व एमएचआरडी ने डीयू कॉलेजों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे पहले खाली पड़े कॉलेजों में प्राचार्य के पदों को जल्द से जल्द भरें। प्राचार्य की स्थायी नियुक्ति के बाद शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उनका यह भी कहना है कि डीयू में 4500 तदर्थ शिक्षकों में से 45 कॉलेजों ने अपने विज्ञापन निकाले हैं, जिसमें 2047 पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाला गया। इसके अलावा डीयू के विभागों में सहायक प्रोफेसर के 378, एसोसिएट प्रोफेसर के 399 व प्रोफेसर के 153 पद हैं।

डीयू में कॉलेजों के 2047 पदों में सामान्य के 992, एससी के 296, एसटी के 154 ,ओबीसी के 498, पीडब्ल्यूडी के 75 हैं। इसी प्रकार से विभागों के पदों में 830 पदों पर नियुक्तियां होनी है। इनमें सहायक प्रोफ़ेसर, सामान्य के187, एससी के 55, एसटी के 29, ओबीसी के100, पीडब्ल्यूडी के 07, कुल 378 पद हैं। एसोसिएट प्रोफेसर के लिए सामान्य वर्ग में 293, एससी के 55, एसटी के 33, पीडब्ल्यूडी के18, कुल 399 पद हैं। ठीक इसी तरह से प्रोफेसर के सामान्य में 111, एससी के 25, एसटी के 10, पीडब्ल्यूडी 07, कुल पद 153 हैं।

एसी/ईसी की बैठक बुलाने को लेकर कुलपति को लिखा पत्र

प्रो. सुमन ने यूजीसी नियमन 2018 को लागू कराने की मांग को लेकर डीयू के कुलपति को पत्र लिखकर मांग की है कि एसी/ईसी की बैठक  बुलाएं। साथ ही 15 महीनों से एसी की बैठक न होने से विश्वविद्यालय की जो वैधानिक प्रक्रिया रुकी हुई है उसको यथाशीघ्र गति प्रदान करने के संबंध में उचित कार्यवाही करें।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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