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भारतीय संविधान जलाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करने की शिक्षकों ने की मांग

शिक्षक राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन नंद कुमार साय को ज्ञापन सौंपते हुए

स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर दिल्ली के प्राथमिक विद्यालय व विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले दलित शिक्षकों ने संयुक्त अनुसूचित जाति/जनजाति शिक्षक मंच के तत्वावधान में भारत सरकार के राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग पर प्रदर्शन दिया। शिक्षकों ने आयोग के खिलाफ भारी हंगामा व नारेबाजी की। शिक्षक मांग कर रहे थे कि जिन लोगों ने आम्बेडकर के संविधान को जलाया है ऐसे लोगों के विरुद्ध तत्काल आयोग एफआईआर दर्ज कराये। बाद में यूनियन के चेयरमैन व विद्वत परिषद के सदस्य प्रो हंसराज सुमन व मंच के सुप्रीमो रामकिशन पूनिया ने सभी को शांत कराया। इसका नेतृत्व यूनियन की चेयरमैन श्रीमती सविता कादयान पंवार कर रही थी। बाद में आयोग के चेयरमैन को शिक्षक मांगों के संदर्भ में भी ज्ञापन सौंपा गया।

ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि 9 अगस्त को जिन लोगों ने जंतर-मंतर पर भारतीय संविधान को जलाकर आम्बेडकर के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया उनके खिलाफ आयोग भी संज्ञान ले और अपनी तरफ से उन लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराकर कार्यवाही की मांग की है।

शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रो हंसराज सुमन ने कहा कि संसद के पास संविधान को जलाना और उसके निर्माता को अपशब्द बोलना देश के साथ तो गद्दारी है ही साथ ही इस घटना से देश के करोड़ों दलितों की भावना को भी ठेस पहुंची है। आयोग को चाहिए कि वह इस मामले में संज्ञान ले और सरकार के सामने अपना विरोध दर्ज कराए।उन्होंने आगे कहा कि हैरानी की बात है कि यह सब संसद के निकट और पुलिस मौजूदगी में हुआ।

प्रो सुमन ने संविधान की होली जलाने व अपशब्द बोलकर अपमानित करने, उनके खिलाफ नारेबाजी करने वाले लोगों को सजा दिलाने हेतु महामहिम राष्ट्रपति जी को भी ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग रखी गई है कि शरारती तत्वों पर एससी, एसटी एक्ट लागू हो। उनकी करतूत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

यूनियन सुप्रीमो रामकिशन पूनिया ने आयोग पर दिल्ली के दलित शिक्षकों के साथ धोखा किए जाने और अधिकारियों के साथ सांठगांठ करने का आरोप लगाया। जनजाति शिक्षकों के साथ प्राचार्य पद पर पदोन्नति में भेदभाव समाप्त करने, उनका 1958 से रोस्टर बनाकर ही प्राचार्य पद देना और जनजाति के स्कूल इंस्पेक्टर्स को नियमित करने की मांग की गई ।

राष्ट्रीय शिक्षक दिवस का बहिष्कार करने की चेतावनी

यूनियन ने सर्वसम्मति से घोषणा कि है कि अगर आयोग ने दिल्ली के दलित शिक्षकों की मांग को स्वीकार नहीं किया तो दिल्ली के दलित शिक्षक राष्ट्रीय शिक्षक दिवस का बहिष्कार करेंगे और उसी दिन से आयोग पर प्रतिदिन धरना देंगे। उन्होंने यह भी मांग रखी है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत लंबे समय से एडहॉक पर कार्य करने वाले शिक्षकों को जल्द ही स्थायी करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति को पत्र लिखे।

आयोग पर दिए गए धरना प्रदर्शन में प्राथमिक विद्यालय से विश्वविद्यालय शिक्षकों ने इसमें भाग लिया और अनेक शिक्षकों ने अपने विचार रखे। इसमे विजेंद्र कुमार, टीआर मीणा, सत्यप्रकाश, विजय कुमार, प्रमोद कुमार, समय सिंह, रणजीत प्रसाद, ललित धनकड़ ,बन्नी सिंह मीणा आदि ने शिक्षकों को संबोधित किया।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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