दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध एनसीवेब (नॉन कोलेजिएट विमेंस एजुकेशन बोर्ड) के 26 सेंटर विभिन्न कॉलेजों में चल रहे हैं। इन सभी के स्नातक स्तर पर दाखिला कॉलेज स्तर पर होते हैं। यहां बीए प्रोग्राम और बीकॉम प्रोग्राम की पढ़ाई होती है। एनसीवेब दिल्ली में रहने वाली छात्राओं को प्रवेश देता है। स्नातक स्तर पर प्रवेश के लिए एनसीवेब की छठी लिस्ट के बाद दाखिला बंद कर दिए गए। छठीं कटऑफ तक इन कॉलेजों/सेंटरों पर सामान्य वर्गों की छात्राओं की सीटें तो भर ली गईं, लेकिन एससी, एसटी, ओबीसी व दिव्यांग छात्राओं की सीटें अभी भी खाली पड़ी हुई है। इन सीटों को भरने के लिए डीयू प्रशासन कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है।
यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि एनसीवेब में खाली पड़ी एससी, एसटी, ओबीसी व दिव्यांगों की सीटें भरने के लिए स्पेशल ड्राइव चलाया जाना चाहिए था, लेकिन बोर्ड़ ने एक बार भी इन छात्राओं की सीटें भरने के लिए स्पेशल ड्राइव नहीं चलाया। छात्राएं कॉलेजों के चक्कर लगा रही हैं लेकिन उन्हें नई कटऑफ की मंशा को लेकर कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। हालांकि अभी भी कॉलेजों में सीटें खाली हैं क्योंकि कॉलेजों ने इन सीटों को भरने के लिए कम अंक फीसद की छूट दी थी।
दिल्ली की वे छात्राएं जिन्हें रेगुलर कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिला उन छात्राओं को यह उम्मीद थी कि उनका दाखिला रेगुलर में नहीं तो एनसीवेब में हो जायेगा, लेकिन अब उनके लिए यह उम्मीद ही बनकर रह गई है। यदि स्पेशल ड्राइव चलाया गया तो उन छात्राओं की उम्मीदें पूरी हो सकती हैं, जिन्होंने कहीं भी दाखिला नहीं लिया।
दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था विद्वत परिषद व दाखिला कमेटी के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया है कि एनसीवेब में प्रति वर्ष 12 हजार छात्राएं प्रवेश लेती हैं, जब तक आरक्षित कोटा पूरा नहीं किया जाता तब तक सीटों को भरने के लिए स्पेशल ड्राइव चलाया जाता है लेकिन, इस बार छठी कटऑफ के बाद विशेष आरक्षित समुदायों की छात्राओं के लिए (एससी, एसटी, ओबीसी और पीडब्ल्यूडी) के सीटें न भरी होने के बाद भी कोई ड्राइव नहीं चलाया गया। आरक्षित वर्गों की खाली पड़ी इन सीटों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाने के लिए डीयू के कुलपति, कुलसचिव व दाखिला कमेटी के चेयरमैन से मिलकर यह मांग भी रखी थी कि जिस प्रकार से रेगुलर कॉलेजों में एडमिशन लेने के लिए छात्रों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाया गया था ठीक उसी तरह से एनसीवेब की छात्राओं ने लिए स्पेशल ड्राइव चलाया जाए। कमेटी के चेयरमैन ने एनसीवेब में सीटें भरने के लिए स्पेशल ड्राइव चलाने का आश्वासन भी दिया था।
डीयू: एनसीवेब की छठीं कटऑफ में सामान्य के लिए प्रवेश बंद, आरक्षित सीटों के लिए पर्याप्त अवसर
डीयू के कॉलेजों में हर साल एससी, एसटी, ओबीसी और पीडब्ल्यूडी कोटे के छात्राओं की सीटें खाली रह जाने का काऱण बताते हुए प्रो सुमन ने कहा कि कॉलेजों द्वारा सामान्य वर्गों के छात्राओं के अनुरूप सीटें नहीं भरी जातीं और साथ ही आरक्षित वर्गों के छात्राओं की कटऑफ उच्च रखी जाती हैं। उनका कहना है कि कोई भी सेंटर सामान्य वर्गों के छात्रों के अनुरूप सीटें नहीं भरते, बल्कि जो स्वीकृत सीटें हैं उसी आधार पर दाखिला लेते हैं। उन्होंने कहा कि कॉलेजों में बने सेंटर से कितनी छात्राओं ने छठी कटऑफ तक प्रवेश लिया है उनके आंकड़े जारी कर सार्वजनिक भी किए जाने चाहिए और जितनी आरक्षित वर्ग की छात्राओं की सीटें खाली पड़ी है बोर्ड को उनके लिए स्पेशल ड्राइव चलाना चाहिए। साथ ही इसकी सूचना पहले बोर्ड़ को समाचार पत्रों/टीवी चैनलों व डीयू की वेबसाइट पर भी देनी चाहिए।
प्रो सुमन का यह भी कहना है कि आरक्षित वर्गों जिसमें एससी, एसटी और ओबीसी कोटे की 6 हजार सीटों के लिए 7 हजार से अधिक छात्राओं ने विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया है। दाखिला लेने वाले छात्राओं की कमी नहीं है लेकिन, सेंटर/बोर्ड़ अपनी कटऑफ नीचे लाने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने बताया है कि ऐसा कॉलेजों की ओर से जान बूझकर किया जाता है।
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