पुरानी पेंशन योजना को लागू कराने की मांग को लेकर हो रहा विरोध
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शिक्षक अपनी लंबित मांगों और समस्याओं का न हल न मिल पाने के विरोध में 5 सितम्बर को “राष्ट्रीय शिक्षक दिवस” का बहिष्कार करेंगे और काली पट्टी बांधकर छात्रों को पढ़ाएंगे।
डीयू के हजारों शिक्षकों का ये विरोध पुरानी पेंशन बहाली की मांग, विभिन्न कॉलेजों में 4500 तदर्थ शिक्षकों (एडहॉक टीचर्स) का लंबे समय से स्थायी नियुक्ति (परमानेंट अपॉइंटमेंट) का न होना, पिछले 10-15 वर्षों से लगभग 2500 शिक्षकों की प्रोन्नति न होना, यूजीसी रेगुलेशन-2018 को लागू करते हुए शिक्षकों और प्राचार्यों की नियुक्तियां कराने की मांग को लेकर है। विरोध स्वरूप शिक्षक अपने-अपने कॉलेजों में काली पट्टी बांधकर कक्षाएं लेंगे।
डीयू विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि सरकार ने 2004 के बाद नियुक्त हुए शिक्षक/कर्मचारियों की पेंशन योजना को बंद कर दिया है। किसी भी शिक्षक/कर्मचारी की सुरक्षा का आधार उसकी पेंशन होती है। यह पेंशन योजना व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा को निर्धारित करती है। 2004 से पूर्व की सरकार पेंशन देती थी लेकिन, सरकार ने वित्तीय बोझ का बहाना बनाकर इसे बंद कर दिया। सरकार ने यह कदम निजीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई पेंशन योजना को लागू किया, जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी पे और डीए का दस प्रतिशत जमा करेगा और उतना ही सरकार/कम्पनी जमा करेगी और जिसके पास यह राशि जमा होगी उस राशि को वह नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिट लिमिटेड(एनएसडीएल) में निवेश करेगा।
प्रो. सुमन का कहना है कि जो पेंशन योजना कर्मचारियों/शिक्षकों का पैसा लेकर ही दी जा रही है, वह योजना उनके हित में नहीं है। उन्हीं के पैसे से पेंशन बन रही है और सेवानिवृत्त होने के बाद कुछ फीसद पैसा ही उस कर्मचारी को दिया जाता है। बकाया राशि जो कर्मचारी की है उसी के आधार पर पेंशन बनती है। सरकार की यह योजना शिक्षकों/कर्मचारियों के लिए बहुत ही खतरनाक है इससे निजी कम्पनियों को फायदा होता है।
उनका यह भी कहना है कि एक शिक्षक/कर्मचारी अपने जीवन की पूरी कमाई अपने बच्चों और परिवार पर खर्च कर देता है। सेवानिवृत्त होने पर उसके बुढ़ापे में पेंशन ही उसकी आजीविका का सहारा होती है। सरकार का काम सेवानिवृत के बाद सामाजिक सुरक्षा देना है, लेकिन इससे निजी कंपनियों को लाभ हो रहा है। उन्होंने पेंशन को जीपीएफ में बदलने की मांग करने के साथ ही सेवानिवृत्ति पर सभी शिक्षक/कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने का प्रावधान करने की मांग की जो 2004 से पहले लगे हुए कर्मचारियों को दी जाती थी।
प्रो. सुमन ने यह भी बताया है कि यदि सरकार इनके मुद्दे पर गम्भीरता नहीं दिखाती है तो डूटा (दिल्ली विवि शिक्षक संघ), फेडकूटा (फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटीज टीचर्स एसोसिएशन) के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन किया जायेगा और शिक्षक सरकार से पुरानी पेंशन योजना को लागू कराने की मांग करेंगे। जब तक पुरानी पेंशन योजना बहाली नहीं होगी, मांग जारी रहेगी। उन्होंने बताया है कि 5 सितम्बर को दिल्ली के प्राथमिक विद्यालय से विश्वविद्यालय के शिक्षक काली पट्टी बांधकर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे उसके बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग पर धरना प्रदर्शन कर अपना मांग पत्र सौपेंगे।
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