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अब एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के लिए भी ओबीसी आरक्षण, जानिए कहां कितनी सीटों पर होनी है भर्तियां

विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर ओबीसी शिक्षकों को आरक्षण आरक्षण मिला। एमएचआरडी और यूजीसी से इसके लिए लंबे समय से मांग की जा रही थी। विश्वविद्यालयों में ओबीसी कोटे के सैंकड़ों पद खाली पड़े हैं।

केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य और डीम्ड विश्वविद्यालयों एवं वित्त पोषित शिक्षण संस्थानों में ओबीसी कोटे के शिक्षकों को एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के तहत सीधी भर्तियों में 27 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इससे पहले ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों को सहायक प्रोफेसर के पदों तक ही आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया था लेकिन, अब यूजीसी रेगुलेशन 2018 के सेक्शन 3(1) के तहत ओबीसी उम्मीदवारों को सीधी भर्ती में आरक्षण दिया जाएगा।

ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन व विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने विश्वविद्यालयों में ओबीसी शिक्षकों को एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण दिए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि लंबे समय से सीधी भर्तियों में इन पदों पर आरक्षण दिए जाने की मांग की जा रही थी।

उन्होंने बताया है कि ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों को उच्च शिक्षण संस्थानों में वर्ष-2007 में शैक्षिक पदों में आरक्षण दिया गया। यह आरक्षण उन्हें विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के पदों पर दिया गया। इस आरक्षण के माध्यम से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में ओबीसी कोटे के शिक्षकों की कुछ स्थायी नियुक्तियां भी हुई हैं।

प्रो. सुमन ने आगे बताया है कि हाल ही में आरक्षण और रोस्टर पर आए अध्यादेश में ओबीसी शिक्षकों को एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर सीधी भर्ती में 27 फीसद आरक्षण दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस अध्यादेश के सेक्शन-2 (डी) जहां पर सीधी भर्ती करने के लिए आवेदन मंगवाए जाते हैं वहां स्वीकृत पदों के आधार पर फैकल्टी द्वारा दी गई शिक्षकों की संख्या के आधार पर ओबीसी कोटे के शिक्षकों को 27 फीसद आरक्षण दिया जायेगा।

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली हैं ओबीसी शिक्षकों के पद

प्रो. सुमन ने 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के आंकड़े बताते हुए कहा है कि इनमें स्वीकृत पद प्रोफेसर के सामान्य (2045), एसोसिएट प्रोफेसर सामान्य (3942) और सहायक प्रोफेसर सामान्य (6020) हैं। इस तरह 12007 पद हुए। इसके अतिरिक्त एससी के 1883, एसटी के 892, ओबीसी के 1889, पीडब्ल्यूडी शिक्षकों के 421 पद हैं इस तरह से इन विश्वविद्यालयों में कुल 17092 पद हैं।

40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 5606 पद खाली

प्रो. सुमन ने बताया है कि 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों के खाली पड़े पदों में प्रोफेसर के 552, एसोसिएट प्रोफेसर के 1064, सहायक प्रोफेसर के 1625 रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जानी है। उन्होंने अप्रैल 2018 के अनुसार इन विश्वविद्यालयों में खाली पड़े पदों का ब्यौरा देते हुए बताया है कि प्रोफेसर के 974, एसोसिएट प्रोफेसर के 1508, सहायक प्रोफेसर के 890 पद हैं। इनमें एससी के 783, एसटी के 427, ओबीसी के 776, पीडब्ल्यूडी के 248 पद बनते हैं। इस तरह से इन 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 5606 पद पिछले कई वर्षों से खाली पड़े हैं। इन पदों में सर्वाधिक पद एससी, एसटी और ओबीसी के बनते हैं जो शॉर्टफाल और बैकलॉग के बनते हैं।

यूजीसी चेयरमैन से की मांग

प्रो. सुमन ने यूजीसी चेयरमैन से मांग की है कि हाल ही में आरक्षण व रोस्टर पर आए अध्यादेश में ओबीसी कोटे के शिक्षकों को एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण देने के बाद से केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों में होने वाली शिक्षकों की नियुक्तियों के विज्ञापन निकाले जाएंगे। इन विज्ञापनों के निकाले जाने से पहले यूजीसी की ओर से ओबीसी कोटे के शिक्षकों को एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों में आरक्षण संबंधी सर्कुलर जारी किया जाए ताकि भविष्य में निकाले जाने वाले पदों पर एससी, एसटी आरक्षण की तरह ओबीसी शिक्षकों को भी सीधी भर्ती में 27 फीसद आरक्षण देते हुए पदों को भरा जाये ताकि सामाजिक न्याय का सिद्धांत पूरी तरह से लागू हो।

 

यूजीसी विश्वविद्यालयों में खाली पड़े पदों के आंकड़े मंगवाए

प्रो. सुमन ने यह मांग की है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पिछले एक दशक से एससी, एसटी, ओबीसी शिक्षकों के पदों को नहीं भरा गया है। इन विश्वविद्यालयों व कॉलेजों ने कई बार विज्ञापन निकाले, मगर इन पदों को भरने के लिए इंटरव्यू नहीं हुए कोई सेलेक्शन कमेटी नहीं बैठी। दो-तीन बार विज्ञापनों की 18 महीने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है इसलिए कब-कब विज्ञापन निकाले, कितने पदों को भरा, कितने पद खाली पड़े हैं इनका कॉलेजों/विश्वविद्यालयों से आंकड़े मंगवाए जाएं ताकि वास्तविक स्थिति का पता चल सके।

विश्वविद्यालयों में चलाया जाए विशेष भर्ती अभियान

प्रो. सुमन ने यह भी मांग की है कि आरक्षित वर्गो की लंबे समय से खाली पड़ी शिक्षकों की सीटों को भरने के लिए एससी, एसटी और ओबीसी कोटे का शॉर्टफाल और बैकलॉग भरने के लिए 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में विशेष भर्ती अभियान चलाया जाए ताकि इन पदों को जल्द से जल्द भरा जा सके। उन्होंने बताया है कि जेएनयू की तर्ज पर अन्य विश्वविद्यालयों को भी विशेष भर्ती अभियान चलाना चाहिए। साथ ही उन्होंने मांग की है कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों का रोस्टर रजिस्टर यूजीसी के स्पेशल सेल से पास कराकर ही विश्वविद्यालय/कॉलेज शिक्षकों के पदों के विज्ञापन निकाले।

यूजीसी अनुदान बंद करे

प्रो. सुमन ने यूजीसी चेयरमैन से यह भी मांग की है कि जो विश्वविद्यालय/कॉलेज एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के शिक्षकों की सीटों को नहीं भरते हैं यूजीसी ऐसे विश्वविद्यालयों/कॉलेजों का अनुदान बंद करने संबंधी कदम उठाए। साथ ही यूजीसी इन पदों के लिए ना भरने वाले विश्वविद्यालयों के नाम अपनी वेबसाइट पर डाले और इसकी सूचना मीडिया व एमएचआरडी को भी अवश्य भेजी जाए। यूजीसी को इस संदर्भ में ठोस कदम उठाने पड़ेंगे उन्हें ऐसे विश्वविद्यालय/कॉलेजो के नाम सार्वजनिक कर उन्हें ब्लैक लिस्टेड करने पड़ेंगे ताकि भविष्य में आरक्षित सीटों को भरने में गलती न हो।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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