यूजीसी द्वारा जारी नेट परीक्षा उत्तीर्ण प्रमाण पत्रों में आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों के प्रमाण पत्रों में एससी, एसटी, ओबीसी लिख दिया जाता है। इसके कारण ऐसे उम्मीदवार जो सामान्य वर्गों के उम्मीदवारों के समान योग्यता रखते हैं, वे सामान्य श्रेणी में कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के पदों पर आवेदन नहीं कर सकते। क्योंकि यूजीसी द्वारा जारी नेट /जेआरएफ परीक्षा में श्रेणी लिख दी गई है, इसलिए वह अपनी ही श्रेणी में आवेदन कर सकता है। ऐसे में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन व दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन ‘ने कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफसर बनने के लिए अनिवार्य शर्त यूजीसी नेट/जेआरएफ परीक्षा पास प्रमाण पत्रों पर एससी, एसटी और ओबीसी लिखे जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि आरक्षित वर्गों के वे उम्मीदवार जो सामान्य वर्गों के उम्मीदवारों के समान योग्यता रखते हैं। उनके सामान्य अवसर समाप्त करने की गहरी साजिश बताया है। साथ ही इन वर्गों को सीधे उच्च शिक्षा में आने से रोकना है।
गौरतलब है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्तियों के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) साल में दो बार यह परीक्षा आयोजित करती है। वे उम्मीदवार जो नेट की परीक्षा उत्तीर्ण कर लेते हैं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) उन्हें नेट/जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र जारी करता है।
आरक्षित वर्गों के योग्य उम्मीदवारों को सामान्य पदों पर आने से रोकना है मकसद!
प्रो सुमन ने यूजीसी की इस नीति को घोर बहुजन विरोधी बताया है और कहा है कि आरक्षित वर्गों के योग्य उम्मीदवारों को सामान्य पदों पर आने से रोकना है, क्योंकि नेट/जेआरएफ परीक्षा पास प्रमाण पत्रों पर एससी, एसटी, ओबीसी लिखा होने के कारण सामान्य पदों पर आवेदन नहीं कर सकते और न ही तदर्थ पदों (एडहॉक पोस्टों) पर इंटरव्यू ही दे सकते हैं।
प्रो. सुमन ने बताया है कि देशभर के विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी, ओबीसी के वे शोधार्थी जो एमफिल/पीएचडी में सामान्य श्रेणी से दाखिला लिए हुए हैं, जब वे कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में तदर्थ या स्थायी नियुक्तियों के लिए सामान्य पदों पर अप्लाई (आवेदन) करते हैं तो यूजीसी नेट/जेआरएफ प्रमाण पत्रों में एससी/एसटी/ओबीसी लिखा होने के कारण उनके आवेदन पत्रों को रद्द कर दिया जाता है या उन्हें साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया जाता। उन्हें यह कहकर संबोधित करते हैं कि आप आरक्षित श्रेणी में आते हैं, उसी श्रेणी में आवेदन करें। ऐसा करके उन्हें सामान्य पदों से वंचित कर दिया जाता है।
यूजीसी चेयरमैन को लिखा पत्र
यूजीसी द्वारा नेट/जेआरएफ प्रमाण पत्रों में एससी/एसटी/ओबीसी न लिखा जाए, इसको लेकर प्रो हंसराज ‘सुमन’ ने यूजीसी के चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह को इस संदर्भ में एक पत्र लिखा है, जिसमें यह मांग की गई है कि यूजीसी नेट/जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों में एससी/एसटी/ओबीसी ना लिखा जाएं क्योंकि ऐसे उम्मीदवार जो सामान्य वर्गो के समान योग्यता रखते हैं। कॉलेजों में शिक्षक नियुक्तियोंमें उन्हें सामान्य पदों पर इंटरव्यू के समय नहीं बुलाया जाता। सामाजिक न्याय का मूल सिद्धांत भी यही कहता है कि उच्च शिक्षा में उन्हें समान अवसर प्रदान किए जाए, समय की मांग भी यही है।
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