दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में पांच साल पहले हड़ताल में शामिल सभी 712 शिक्षकों की एक दिन का वेतन काटा गया था, जिसकी बहाली आज तक नहीं हुई है। बता दें कि 28 अगस्त 2013 को शिक्षकों पर जबरदस्ती लादा गया चार वर्षीय पाठ्यक्रम के कारण शिक्षकों की हड़ताल में 712 शिक्षक शामिल हुए थे। इन शिक्षकों का वेतन काट लिया गया था, जिसे आज तक रिलीज नहीं किया गया। यह तभी रिलीज हो सकती है जब डीयू की एसी और ईसी में प्रस्ताव पारित कर पहले आदेश को निरस्त कर सैलरी देने का आदेश दिया जाए। शिक्षकों में इसको लेकर भय भी है कि कहीं पदोन्नति का रास्ता रुक न जाए।
डीयू विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने कुलपति प्रो. योगेश कुमार त्यागी को पत्र लिखकर व व्यक्तिगत मिलकर मांग की है कि काटे गए वेतन की बहाली जल्द से जल्द हो। प्रो. सुमन ने पत्र में लिखा है कि शिक्षकों ने जिस मुद्दे को लेकर हड़ताल की थी उस मुद्दे पर शिक्षकों के मत को दिल्ली विश्वविद्यालय पहले ही स्वीकार कर चुकी है, उनके अनुसार चार वर्षीय डिग्री कोर्स को वापिस तीन वर्षीय डिग्री कोर्स में तब्दील किया जा चुका है। उनका मानना है कि एक वैध मुद्दे पर सैलरी काटने की बजाय विश्वविद्यालय को शिक्षकों का शुक्रगुज़ार होना चाहिए, जिसके तहत देश के लाखों छात्रों का एक साल उनको वापिस लौटाया गया है।
प्रो. सुमन के अनुसार यूजीसी विनियमन-2018 को स्वीकारते हुए डीयू में अध्यादेश में बदलाव करके विभागों व कॉलेजों में लंबे समय से रुकी हुई शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता साफ हो जायेगा लेकिन, हड़ताल के समय जिन शिक्षकों की एक दिन का वेतन काटा गया था। इसके लिए जब तक एसी/ईसी में प्रस्ताव पारित कर कॉलेजों को सर्कुलर नहीं भेजा जाता तब तक उनकी सर्विस की निरंतरता बहाल नहीं होगी। साथ ही उनकी अगली पदोन्नति में भी बाधा आ सकती है।
कुछ शिक्षक हुए अवकाश प्राप्त
प्रो सुमन ने बताया है कि हड़ताल में शामिल शिक्षकों में से पिछले पांच साल में जिन शिक्षकों की एक दिन की सैलरी काटी गई थी उनमे से कुछ शिक्षक तो अवकाश प्राप्त हो चुके हैं कुछ दूसरी जगहों पर पदोन्नति पाकर चले गए हैं, लेकिन जो बचे हैं उनके मन में भय सता रहा है कि कहीं पदोन्नति के समय एक दिन की हड़ताल का मामला उठाकर, पदोन्नति न रोक दें। इसलिए जल्द से जल्द इस मुद्दे को समाप्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया है कि डीयू में यूजीसी विनियमन-2018 को लागू कराने को लेकर हाई पावर्ड कमेटी नियमों में सुधार कर जल्द ही विश्वविद्यालय को सौंप देगी। इसके बाद पिछले एक दशक से रुकी हुई पदोन्नति और स्थायी नियुक्ति करने के लिए कॉलेजों को निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। उनका कहना है कि कॉलेजों में 3000 ऐसे शिक्षक हैं जिनकी पहली और दूसरी दोनों पदोन्नति नहीं हुई है, जिससे उन्हें हर माह आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। उन्होंने बताया है कि जब भी विद्वत परिषद की बैठक होगी, उसमें इस मुद्दे को गम्भीरता से वह उठाएंगे।
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