दिल्ली हाई कोर्ट ने डीयू के सारामती छात्रावास में परास्नातक के छात्रों को एक साल बाद ही बाहर निकाले जाने के मामले में प्रशासन को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त तय की है। गौरतलब हो कि छात्रावास में परास्नातक के छात्रों के लिए रहने की अवधि जो हैंडबुक के दिशानिर्देश में तय है उसके अनुसार उन्हें दो वर्ष के लिए रहने दिया जाना चाहिए जबकि छात्रों को एक साल बाद ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता था। उनका रीएडमिशन भी नहीं लिया जाता था। इस संबंध में एमए प्रथम वर्ष के कुछ छात्र दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे। दिल्ली हाई कोर्ट ने संजीव कुमार व अन्य बनाम दिल्ली विश्वविद्यालय के मामले में 18 जुलाई को अपना आदेश देते हुए प्रशासन को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई 8 अगस्त को करने को कहा है।
मामला ऐसे पहुंचा हाई कोर्ट
इस संबंध में सबसे पहले पीड़ित एमए हिन्दी के छात्र प्रभाकर ने 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी, जिसमें हाई कोर्ट ने उन्हें कोर्स खत्म होने तक यानी 2017-2018 के सत्र की समाप्ति तक के लिए रहने का आदेश दिया था।
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