-पूजा श्रीवास्तव
किसी भी देश की सड़क उस देश की लाइफलाइन मानी जाती है। सड़क दुर्घटना आज बहुत बड़ी समस्या है। क्या आपको पता है कि सड़क दुर्घटना से हमारे जीडीपी में दो फीसद का नुकसान होता है। भावनात्मक तथा आर्थिक दो तरह से ये समस्याएं हमपर वार करती हैं। सरकार भी इस समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत है क्योंकि आकड़ों के हिसाब से जितनी दुर्घटनाएं होती हैं, उनमें से 50 फीसद घटनाओं को हम रोक सकते हैं।
भारत में हर घण्टे 55 दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें 17 मौतें होती हैं। साल भर में ये आंकड़ा लाख भी पार कर जाता है। आखिर इतनी सारी दुर्घटनाओँ के होने का कारण क्या है? यदि आंकड़ो पर ध्यान दें तो आपको हैरानी होगी कि पूरे विश्व की सिर्फ1 फीसद वाहन भारत में चलती हैं जबकि दुर्घटना के मामले में भारत बहुत आगे है। विश्व की 10 फीसद दुर्घटनाएं भारत में होती हैं।
सड़क तेज़ी से बनाई जा रही है। अब हमारे पास पहले से ज्यादा लम्बी सड़क है। फिर भी हालात बुरे हैं। दुर्घटना के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। सड़क नियमों का उल्लंघन करना, नशे में वाहन चलाना, सड़क पर गड्ढों का होना, नवसिखियों का वाहन चलाना, सड़क की बेढंग बनावट इत्यादि ऐसे कारण हैं, जिनके लिए हम जिम्मेवार हैं ऐसा कह सकते हैं।
जिम्मेवार हम मगर कैसे?
हम कैसे जिम्मेवार हैं ये गहन चिंता का विषय है तथा इसपर कार्य करने की बहुत जरूरत है। क्योंकि जीवन बीमा किसी के जीवन की जगह नहीं ले सकता। जरूरत है लोगों की जागरूकता की, क्योंकि हमारे देश में आज भी लोग चालान के डर से हेलमेट पहनते हैं। ड्राइविंग लाइसेंस की बात करें तो वो पैसे दे कर भी मिल जाता है। सड़क बनने में कितने लोगों का हिस्सा होता है, ये छुपा नहीं है। भ्रष्ट लोग सड़क की मजबूती से ज्यादा अपने जेब पर ध्यान देते हैं। कहीं की पुरानी सड़क अगर टूटी हो तो उसके मरम्मत की प्रक्रिया इतनी लंबी है कि 4-5 साल निकल ही जाते हैं।
मोटर वाहन अधिनियम 2017 को दोनों सदनों से पारित करने के दिशा में सरकार कार्य कर रही है। मोटर वाहन अधिनियम 2017, 1988 के मोटर वाहन अधिनियम का संशोधित रूप है। यह अधिनियम लोक सभा से पारित हो चुका है। इस अधिनियम में सड़क तथा यातायात से जुड़े सुधार किये गए हैं।
इस अधिनियम में यातायात के नियमों को पहले से शख्त बनाया गया है। नशे में वाहन चलाने, हेलमेट न लगाने, लाल बत्ती पर न रुकने, सीट बेल्ट न बाँधने, मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाने, यात्रियों की ओवरलोडिंग, बिना लाइसेंस वाहन चलाने इत्यादि जैसे नियमों का उलंघन करने पर लगाए जाने वाली जुर्माने की रकम बढाई गयी है।
इसके अतिरिक्त लाइसेंस अधिकारियों का कंप्यूटरीकरण जिससे लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया से बिचौलिए को हटाने पर जोर दिया है।
अन्य महत्वपूर्ण संशोधन में तीसरे पक्ष के बीमा दावों को निपटाने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इसके अलावा टैक्सी एग्रीगेटरों पर नियंत्रण रखने के लिए भी नियम बनाए गए हैं, जो कि पहले नहीं था। इस तरह और भी कई बदलाव इस उद्देश्य से किए गए हैं कि सड़क पर हादसे कम हो सकें। भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुर्घटना को 50 फीसद कम करने की प्रतिबद्धता जताई है।
(लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता की छात्रा रह चुकी हैं, ये उनके स्वतंत्र विचार हैं, फोरम4 का इससे सहमत होना कतई जरूरी नहीं है )
Well written on the Issues of Road Accident.