11 फरवरी को राष्ट्रीय आह्वान पर विभागवार रोस्टर के विरोध में बीएचयू के विश्वनाथ मंदिर से मुख्य द्वार लंका तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शांतिपूर्ण बंद के आह्वान के साथ आक्रोश मार्च का आयोजन किया गया। आयोजन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के साथ विभिन्न सम्बद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों व नागरिक समाज के संयुक्त प्रयास की ओर से किया गया।
13प्वाइंट रोस्टर के विरोध में तथा ओबीसी, एससी और एसटी के लोगों को उनकी जनसंख्या के अनुपात मे सुनिश्चित संवैधानिक प्रतिनिधित्व दिलाने के लिये बीएचयू के बहुजन छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का मुख्यद्वार बंद कर दिया और बंद किये गए मुख्य द्वार के सम्मुख ही आक्रोश सभा का आयोजन हुआ। इसमे बीएचयू एवं बनारस के अनेक साथी मौजूद रहे। बीएचयू के बहुजन चिन्तक तथा शिक्षकगण प्रो. एमपी अहिरवार, डॉ. प्रमोद बांगड़े, प्रो आरएन खरवार, डॉ. सुजाता, डॉ. बृजेश अस्थवल, डॉ. राकेश भारती, डॉ. राजकिरण आदि शिक्षकों ने भी इस आन्दोलन को संबोधित एवं नेतृत्व प्रदान किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रविन्द्र प्रकाश भारतीय, राहुल यादव, विनय संघर्ष, प्रवीण यादव, नीतीश, सूर्यमणि, राजकुमार डायमंड, भुवाल यादव, रीना कुमारी, विवेकानंद, चंद्रभान ने सभा को संबोधित किया। राहुल भारती, चंचल, दीपक युगांती, सारिका, बबिता पटेल, अर्चना, चंदन सागर, हर्षित, सौरभ यादव, बालगोविंद, मनीष भारती, शिवशंकर प्रजापति, विश्वनाथ, अभिषेक दिवाकर, आलोक यादव, विकास यादव, गौतमी आदि साथी मौजूद रहे।
युवाओं का आह्वान व नारा था-
ओबीसी एससी एसटी जिन्दाबाद।
यूजीसी होश मे आओ! एमएचआरडी होश मे आओ!
जय भीम! हूल जोहार!
जय मंडल।
लड़ेगे ! जीतेंगे!
सभा के संचालक रविन्द्र प्रकाश भारतीय की ओर से केंद्र सरकार से इस आंदोलन की मांगों को रखा गया-
- उच्च शिक्षण संस्थानों में विभागवार आरक्षण को रद्द करके इन संस्थाओं को एक इकाई मानते हुए कुल स्वीकृत पदो के अनुपात में अनुसूचित जाति जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु संसद में अविलंब बिल लाया जाए
- देश की समस्त शिक्षण संस्थाओ के सभी पदों अर्थात -प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर एससी एसटी ओबीसी का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए
- सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षित वर्ग के बैकलॉग के पदों को चिन्हित कर विशेष भर्ती अभियान के माध्यम से भरा जाए
- कुलपति निदेशक प्राचार्य आदि के सभी पदों पर आरक्षित वर्गो को चक्रानुक्रम में समानुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए
- उच्च शिक्षा संस्थानों की कार्यकारिणी/परिषद/बोर्ड/कोर्ट आदि में आरक्षित वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए
मार्च में यह सुनिश्चित किया गया कि जब तक बहुजनों का प्रतिनिधित्व उनकी संख्या के आधार पर सुनिश्चित नहीं किया जाएगा, तब तक ऐसे ही आंदोलन चलते रहेंगे।
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