अगले शैक्षिक सत्र से विभागों और कॉलेजों में 10 फीसद ठेके पर नियुक्ति होगी
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की सर्वोच्च संस्था अकादमिक परिषद की बुधवार को देर रात तक बैठक चली। बैठक के प्रारम्भ में कुलपति की ओर से सदस्यों को अपने संबोधन में नव वर्ष की शुभकामनाएं देने के बाद ही उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को सदन में रखने की मांग उठती रही। इसके बाद सभी 25 सदस्य वेल में जाकर डीयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। लगभग 6 घन्टे तक सदस्यों ने वेल में रहकर अपना विरोध प्रकट किया। देर शाम जब समिति की रिपोर्ट का सारांश सदस्यों को सौंपा गया तब जाकर यूजीसी रेगुलेशन-2018 पर चर्चा की गई।
विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया है कि अकादमिक परिषद के चुने हुए सदस्यों के विरोध के बावजूद कुलपति ने एजेंडा आइटम्स को सदन के सामने रखा और बिना किसी चर्चा के उसको पास कर दिया। यूजीसी रेगुलेशन-2018 के अंतर्गत शिक्षकों की 65 वर्ष में सेवानिवृत्ति के बाद जहां शिक्षकों की लंबे समय से कमी बनी हुई है वहां 70 साल तक शिक्षकों को पुनर्नियुक्ति दी जा सकेगी। उनका कहना है कि पुनर्नियुक्ति दिए जाने का सदस्यों ने जमकर हंगामा और विरोध किया।उनका कहना था कि शिक्षकों को पुनर्नियुक्ति दिए जाने से दिल्ली विश्वविद्यालय में सभी शिक्षकों के लिए पुनर्नियुक्ति का रास्ता खुल जायेगा।
डीयू में अगले सत्र से शिक्षकों की 10 प्रतिशत पोस्ट ठेके पर
प्रो. सुमन ने बताया है कि यूजीसी रेगुलेशन-2018 के अंतर्गत ठेके पर नियुक्ति का प्रावधान है। समिति के सामने भी यह मुद्दा आया था, इसे हमने बदलकर तदर्थ (एडहॉक) ही किया था क्योंकि हमारे विश्वविद्यालय में ठेके पर रखने का अध्यादेश नहीं है। मगर इस बार के रेगुलेशन में यह मुद्दा आया है इसे रोका नहीं जा सकता। जब यह मुद्दा सदन के पटल पर रखा गया तो सदस्यों ने इसका जोरदार तरीके से विरोध किया और कहा कि जब से दिल्ली विश्वविद्यालय बना है हमारे यहां कंट्रक्चुअल (ठेका प्रथा) सिस्टम लागू नहीं होने दिया है। आगामी शैक्षिक सत्र से कॉलेजों और विभागों में 10 फीसद पदों पर ठेके पर नियुक्ति किये जाने का प्रावधान रखा गया है। डीयू प्रशासन का कहना है कि जिन पदों के विज्ञापन निकाले जा चुके हैं पहले उन पदों को स्थायी किया जायेगा। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ठेके पर नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय जल्द ही कोई नीति तैयार करे इसमें भी एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण लागू हो।
तदर्थ शिक्षिकाओं को एक माह का मातृत्व अवकाश वेतन सहित दिया जाएगा
दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से तदर्थ शिक्षिकाओं के लिए मातृत्व अवकाश की मांग की जाती रही थी एक घन्टे तक मातृत्व अवकाश पर लंबी बहस चली और आखिरकार विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें एक माह की छुट्टी देने के साथ-साथ वेतन सहित अवकाश देने का फैसला मान ही लिया।
प्राचार्यों की दूसरी अवधि गवर्निंग बॉडी के हाथ में
प्रो. सुमन के अनुसार, यूजीसी रेगुलेशन-2018 में प्राचार्यों को एक अवधि (टर्म) के बाद दूसरी अवधि की बात की गई है, इसे लेकर एसी सदस्यों ने काफी विरोध किया और कहा कि इस पद पर सभी को मौका मिलना चाहिए, प्रशासन नहीं माना। उनका कहना था कि यदि कॉलेज की गवर्निंग बॉडी दूसरा टर्म उसकी परफॉर्मेंस को देखकर देना चाहता है तो हम मना नहीं करेंगे।
उप प्राचार्य पद पर नहीं बनी सहमति
यूजीसी रेगुलेशन में उप प्राचार्य के पद के लिए वहीं योग्यता रखी गई है जो प्राचार्य के लिए है लेकिन, कॉलेजों में वरिष्ठता के आधार पर उप प्राचार्य बनता है। कुछ प्राचार्यों ने इसका विरोध किया, अंत में तय हुआ कि उप प्राचार्य की नियुक्ति के लिए यूजीसी की टिप्पणी के लिए भेजा जाएगा जो निर्णय होगा बता दिया जाएगा।
विभागों में सीनियर प्रोफेसरों का पद सृजित हुआ
यूजीसी रेगुलेशन में जहां कॉलेजों में प्रोफेशरशिप आने से खुशी का माहौल है वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों में कार्यरत प्रोफेसरों के लिए नया पद सृजित किया गया है। प्रोफेसर के बाद उन्हें अगली पदोन्नति सीनियर प्रोफेसर की मिलेगी।
कॉलेजों में पहली बार प्रोफेसरशिप
प्रो. सुमन का कहना है कि यूजीसी रेगुलेशन में पहली बार कॉलेजों में प्रोफेसरशिप आई है। अब जल्द ही जो एसोसिएट प्रोफेसर है वे प्रोफेसर बन जाएंगे। कॉलेजों में अभी तक एसो. प्रोफेसर तक ही प्रमोशन होती थी। कॉलेजों में प्रोफेशरशिप देने में किसी तरह की कैपिंग भी नहीं रहेगी। एक समय में जितने योग्य हैं सभी को प्रोफेसर बनाया जा सकता है।
अध्यादेश बनने के बाद नियुक्ति व पदोन्नति का रास्ता खुलेगा
प्रो सुमन का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक दशक से 3000 शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हुई है और 4500 तदर्थ शिक्षक स्थायी होने की बाट जोह रहे हैं।
Be the first to comment on "अकादमिक परिषद की बैठक रही हंगामेदार, तदर्थ शिक्षिकाओं को माह का मातृत्व अवकाश देने का फैसला"