चाणक्यपुरी स्थित मैत्रेयी महाविद्यालय की एनएसएस की ओर से गुरुवार को एक दिवसीय प्राकृतिक आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें डीयू से सम्बद्ध 26 महाविद्यालयों के लगभग 250 छात्रों ने भाग लिया। यह प्रशिक्षण एनडीआरएफ़ की टीम द्वारा प्रदान की गई।
प्रशिक्षण के प्रारंभ में एनडीआरएफ़ के वरिष्ठ अधिकारी पीएस रावत ने देश के विभिन्न भागों में कार्यरत कुल एनडीआरएफ की कुल 12 बटालियन के विषय में जानकारी दिया। रावत ने कहा कि देश के विभिन्न भागों में होने वाली प्राकृतिक त्रासदियों को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2006 में एनडीआरएफ़ का गठन किया गया। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भूकंप विभिन्न आपदाओं की जननी है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इसका निश्चित पूर्वानुमान अभी तक की किसी तकनीकि के द्वारा संभव नहीं हो पाया है। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से पूर्व तैयारी, दौरान सावधानियां तथा पश्चात प्राथमिक उपचार की विभिन्न विधियों का प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण में रसायनिक आपदा, नाभिकीय आपदा व चिकित्सकीय इमरजेंसी के दौरान आवश्यक सावधानियों की जानकारी देते हुए विभिन्न उपकरणों का प्रदर्शन किया गया। शिविर के अन्त में मैत्रेयी महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ हरित्मा चोपड़ा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि इसमें भाग लेने वाले 250 छात्रों में से यदि हर अन्य 10 लोगों को प्रशिक्षित करे तो 2500 लोग प्रशिक्षित हो सकते हैं। गौरतलब है कि एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी स्मृति सिंह के स्वागत वक्तव्य से प्रारंभ हुआ यह कार्यक्रम डॉ. मिथिला, डॉ. श्वेता सिंह, मनीषा सलूजा, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, डॉ. अनिरुद्ध ओझा, डॉ. कुमुद रानी गर्ग, डॉ. प्रीति वर्मा एवं एनएसएस के स्वयंसेवक पुनीत, साक्षी, तवीशी, लक्ष्मी , सरवजोत, संगीता, मणि झा, प्रीति आनन्द, ज्योति, कोमल आदि के सक्रिय सहयोग से संपन्न हुआ। अंत में एनडीआरएफ़ की टीम को उनके अतुलनीय योगदान के लिए पौधा भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
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