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अन्तिम सांस तक नहीं टूटा जीडी अग्रवाल का प्रण, जिम्मेदार कौन

-साहित्य मौर्या

बीते 22 जून से अनशन पर बैठे जीडी अग्रवाल का गुरुवार को निधन हो गया। जीडी अग्रवाल गंगा नदी की धारा को बांधों के जरिये पैदा किये जा रहे अवरोधों के विरोधी थे। उनकी सरकार से मांग थी कि सभी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बंद किए जाएं।

कौन थे जीडी अग्रवाल?

आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का जन्म मुजफ्फरनगर जिले में किसान परिवार मे हुआ था। उन्होंने रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया था। इसके बाद उन्होंने विदेश (कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी) से पीएचडी की डिग्री हासिल की।

विदेश से लौटने के बाद वो कानपुर आईआईटी में सेवाएं देने लगे।

गंगा के उत्थान के लिए कर दिया था जीवन समर्पित

1970-80 में वो केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सदस्य सचिव के पद को अचानक छोड़ अपने गांव वापिस आ गए। उन्होंने पर्यावरण से जुड़े संस्थाओं के साथ मिलकर प्रदूषण की जांच करने वाले उपकरण भी बनाए। वर्ष 2008 मे पूरी तरह गंगा के पुनर्जीवीकरण अभियान से जुड़ गए। गंगा संरक्षण के लिए उन्होंने अब तक पांच बार उपवास किए। लंबे समय से मां गंगा की स्वच्छता और रक्षा की मांग कर रहे पर्यावरणविद जीडी अग्रवाल की गुरुवार को मौत हो गई। उन्हें स्वामी सानंद के नाम से जाना जाता था। वह पिछले 112 दिनों से अनशन पर थे और उन्होंने 9 अक्टूबर को जल भी त्याग दिया था। 87 साल के स्वामी सानंद ने ऋषिकेश में दोपहर एक बजे अंतिम सांस ली। सानंद ने गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई खत भी लिखे थे। यह उनकी सबसे लंबी और अंतिम तपस्या थी।

गंगा की स्वछता के लिए इस प्रकार का दूसरा बलिदान

इससे पहले ब्रह्मचारी निगमानन्द ने भी दो बार गंगा नदी की धारा में बांधो के जरिए पैदा किए जा रहे अवरोधों के विरोध में अनशन किया था। एक बार उनका अनशन 72 दिनों तक चला जबकि दूसरी बार 115 दिनों तक और उन्नीस दिनों तक अस्पताल मे भर्ती रहने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया था।

2013 मे ब्रह्मचारी निगमानन्द की मौत के बाद ही अग्रवाल ने गंगा की रक्षा की कसम खाई थी। उन्होंने कहा था कि वह गंगा को आस्था का विषय मानते हैं।

2013 मे ही उन्होंने घोषणा कर दी थी कि वह गंगा की रक्षा के लिए अपने प्राण भी त्याग सकते हैं।

जीडी अग्रवाल कहते थे कि गंगा उनकी मां हैं, वह इसको लेकर किसी तरह का सौदा नहीं कर सकते, चाहे इसके लिए उन्हें अपनी जान ही क्यों न गवानी पड़े।

मातृसदन अध्यक्ष शिवानंद सरस्वती ने कहा कि देश ने गंगा रक्षक पुत्र खो दिया। उन्होंने कहा कि नवरात्रों के बाद सानंद के तप को वह आगे बढ़ाएंगे। अगर सरकार को और बलिदान चाहिए तो मैं तैयार हूं। उन्होंने सरकार से गंगा एक्ट लागू कर सानंद की आखिरी इच्छा पूरी करने की बात कही। पत्रकारों से बातचीत मे उन्होंने आरोप भी लगाया कि जानबूझकर सानंद को अस्पताल ले जाकर उनकी हत्या की गई।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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