कॉलेजों में प्रोफेसरशिप के रास्ते की एक और बड़ी अड़चन हुई दूर
यूजीसी रेगुलेशन 2018 के संशोधन और नियमन के लिए बनी दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की उच्च स्तरीय कमेटी की शुक्रवार को एक और महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें, शिक्षक हित के कई मामलों पर सहमति बनी। इन मुद्दों में प्रोफेसर पद के प्रोन्नति हेतु दस अनिवार्य रिसर्च पेपरों में दो स्वलिखित पुस्तकों को भी शामिल करने की छूट प्रदान की गई है। साथ ही एसोसिएट प्रोफेसर बनने के बाद की 3 वर्ष की मूल्यांकन अवधि में अनिवार्य 3 शोध पत्र (रिसर्च पेपरों) में एक स्वलिखित पुस्तक जोड़ने की रियायत भी दी गई है। यह शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत है।
31 दिसम्बर तक ड्यू प्रमोशन के लिए ओरियंटेशन, रिफ्रेशर/फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की बाध्यता समाप्त
डीयू के उच्च स्तरीय कमेटी के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि 31 दिसम्बर 2018 तक जिन शिक्षकों की असिस्टेंट प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर के पदोन्नति की ”योग्यता अवधि” (प्रमोशन ड्यू डेट) है, उनके लिए ओरिएंटेशन, रिफ्रेशयर या फैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम की अनिवार्यता नहीं होगी। वे अपना पदोन्नति बिना इन कोर्सिज को किये कभी भी करा सकते हैं। जिनके पदोन्नति की योग्यता अवधि 2019 में है उन्हें ही इन कोर्सिज की जरूरत होगी।
कमेटी के सदस्य डॉ. रसाल सिंह ने बताया है कि एमपीएस 98 और केस 2010 की अवधि के बकाया पदोन्नति वाले शिक्षकों को भी एडहॉक सर्विस जोड़ने का लाभ मिलेगा। इसमें पीडीएफ एक्सपीरियेंस शामिल करने पर भी सहमति बनी है। इससे नये और पुराने पदोन्नति की उलझी गुत्थी सुलझ सकेगी।
एडहॉक शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश की सिफारिश
कमेटी की वरिष्ठ सदस्य डॉ. गीता भट्ट ने एडहॉक शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश देने का मुद्दा जोर शोर से उठाया। उन्होंने बताया कि इसके कारण हमारी अनेक साथी शिक्षिकाओं को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है और कई बार उन्हें मातृत्व सुख से वंचित भी होना पड़ता है।
यूजीसी विनियमन (रेगुलेशन) को लेकर हुई आज की बैठक में पोस्ट डॉक्टरल शोध अनुभव को जोड़ने पर भी सहमति बनी। प्रो. हंसराज सुमन ने बताया कि हमारे बहुत से साथी डॉक्टरेट के बाद देश-विदेश में शोध करते हैं उनके इस शोध अनुभव का लाभ उन्हें पदोन्नति एवं नियुक्ति में मिलना ही चाहिए। शोध को बढ़ावा देने की दिशा में यह कमेटी का बड़ा फैसला है।
तमाम तरह की छुट्टियों जैसे मैटरनिटी लीव, चाइल्ड केयर लीव, मेडिकल लीव और डेपुटेशन आदि की अवधि को पदोन्नति के लिए जोड़ने पर भी सर्वसम्मति बनी है।
इस रेगुलेशन में स्वीकृत पदों के 20 फीसद तक शिक्षकों को 5 साल तक की स्टडी लीव देने की ऐतिहासिक पहल की गई है। सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों प्रो. हंसराज सुमन, डॉ. गीता भट्ट, डॉ. रसाल सिंह, डॉ. पंकज गर्ग, डॉ. वीएस दीक्षित और डॉ. नचिकेता सिंह ने सभी एडहॉक शिक्षकों को स्क्रीनिंग से मुक्त रखने और उन्हें नियुक्ति के समय वरीयता देने की बात उठाई। इसके परिणाम स्वरूप ऐसी स्क्रीनिंग आधार (क्राइटेरिया) बनाने पर सहमति बनी जिससे सभी एडहॉक शिक्षकों को साक्षात्कार में शामिल होने का अवसर मिले।
प्रो. सुमन ने बताया है कि अगली बैठक सम्भवतः आगामी बुद्धवार को होगी, जिसमें सेवा शर्तों और नियमों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द रेगुलेशन्स को शिक्षकों के लिए अधिकाधिक लाभकारी ऑर्डिनेन्स में परिवर्तित कराया जाए ताकि दशकों से लंबित समस्याओं के समाधान की दिशा में काम किया जा सके।
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