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सरकारें ही पलायन के लिए दोषी, हिंसा पर करती हैं सियासतः अरविंद मोहन

-सुकृति गुप्ता 

दिल्ली विश्वविद्यालय के क्लस्टर इनोवेशन सेंटर में पलायन की पीड़ा पर एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन

बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के क्लस्टर इनोवेशन सेंटर में बिहार स्टडी सर्कल ने एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया। ‘पलायन की पीड़ा’ पर आयोजित इस सेमिनार में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अरविंद मोहन को बतौर मुख्य वक्ता के रूप में बुलाया गया था।

सेमिनार में पलायन संबंधी मौजूदा समस्याओं पर चर्चा की गई। साथ ही हाल की स्थिति को बयां करते एक उम्दा नाटक का मंचन किया गया। नाटक में बिहार की हाल की स्थिति को विशेष तौर पर दिखाया गया।

एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन करने के बाद का दर्द

किसी राज्य खासकर बिहार के लोगों का दूसरे राज्यों में पलायन करने के बाद भी उनके हालात नहीं सुधर रहे हैं और उन पर जानलेवा हमले किए जा रहे हैं। इसके अलावा बिहार और उत्तर प्रदेश के किसानों पर हो रहे हमले के बाद का दर्द किसी से छुपा नहीं है। इन्हीं परिस्थितियों का जिक्र करते हुए नाटक के माध्यम से इसे जीवंत रूप में उभारा गया। माइम आर्टिस्ट और एक्टिविस्ट दीपक यात्री ने भी अपने अभिनय के माध्यम से लोगों को आकर्षित कर लिया। इस अवसर पर प्रसिद्ध डॉक्यूमेंट्री फोटोग्राफ़र विकरम चौधरी द्वारा खींची गई तस्वीरों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।

वीडियो में देखें नाटक की झलकियां

 

सेमिनार में खास तौर पर बिहारी अस्मिता को लेकर चिंतित बिहारी समुदाय के विद्यार्थियों ने शिरकत की ।

अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति लोगों को घर छोड़ने को करती है मजबूर

अरविंद मोहन ने अपने व्याख्यान में सबसे पहले पलायन की अवधारणा को विस्तृत तौर पर समझाया। उसके बाद अपनी किताब के संदर्भ में उन्होंने पंजाब गए बिहारी मज़दूरों के जीवन-संघर्ष पर बात की। गुजरात में जो हो रहा है, उसकी तुलना उन्होंने पंजाब गए बिहारी मज़दूरों से की। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति पंजाब की स्थिति से भी बुरी है। उन्होंने इसके लिए न केवल केंद्र को बल्कि राज्य सरकारों को भी दोषी माना है।

उन्होंने यह भी समझाया कि कोई व्यक्ति क्यों पलायन करता है। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकारों की ख़ामियां हैं। अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति ही लोगों को अपना घर छोड़ने को मजबूर करती है। इसका असर न केवल प्रवास कर रहे आदमी पर पड़ता है, पर उसके घर की औरतों पर भी पड़ता है, क्योंकि घर के साथ-साथ बाहर का काम भी औरतों को करना पड़ता है। इस प्रकार उन्हें अतिरिक्त भार उठाना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि आज हमें जो हिंसा दिख रही है, उसमें सरकार का सबसे ज़्यादा दोष है। उन्होंने गुजरात में हुए चौदह महीने की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के बाद हुए दंगे-फ़साद का ज़िक्र करते हुए कहा कि ऐसे मसलों को सुलझाने की बजाय, पार्टियां इस पर राजनीति करने लगती हैं और केवल आरोप प्रत्यारोप करती हैं।

विद्यार्थियों ने अरविंद मोहन से पलायन से जुड़े कई सवाल किए। मसलन बिहारी अस्मिता और पलायन की पीड़ा में संबंध। उन्होंने कहा कि यह अस्मिता का मसला तो है ही, लेकिन उनकी अस्मिता को सरकार ही ठेस पहुँचा रही है, क्योंकि वो कुछ नहीं कर पा रही है या करना नहीं चाहती है।

बिहार और उत्तर प्रदेश के किसानों और उनकी ज़मीन से जुड़े मसले पर भी चर्चा हुई। इससे संबंधित कई प्रश्न किए गए। उन्होंने कहा कि सरकार ज़मीन का सही बंटवारा नहीं कर पा रही है। जिस तरह “बिहारी” शब्द एक गाली का पर्याय बन गया है, उसी तरह नितीश कुमार के लिए “ज़मीन के मसले पर सवाल-जवाब करना गाली है।” किसानों की ज़मीन पर कोई बात नहीं करना चाहता। बिहार में सुविधाओं का कितना अभाव है, यह इससे ही पता चल जाता है कि हर साल सांप और कुत्ते काटने से भी कई लोग मर जाते हैं। राज्य सरकार इस समस्या को भी नहीं सुलझा पाई है। उनका कहना है कि सुविधाएं अगर राज्य में होंगी, तो कोई क्यों अपना घर छोडकर जाना चाहेगा! किसानों के लिए अपनी ज़मीन अहम है। इसलिए जब तक ज़मीन का ठीक से बंटवारा नहीं होगा, तब तक समस्या सुलझेगी नहीं। सरकार अगर उद्योगपतियों को ज़मीन दे सकती है, तो किसानों को भी दे सकती है।

पत्रकारिता के छात्रों ने लिया हिस्सा

इसके अलावा अरविंद मोहन को सुनने पत्रकारिता के विद्यार्थी भी शामिल हुए। उत्साह इसलिए भी था क्योंकि अरविंद मोहन ने बिहारी मज़दूरों पर बहुत गहन अध्ययन किया है। सेमिनार में राजकमल प्रकाशन की ओर से उनकी किताब “बिहारी मज़दूरों की पीड़ा” की स्टॉल भी लगाई गई थी। बहुत से विद्यार्थियों ने उनकी किताब भी खरीदी।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

1 Comment on "सरकारें ही पलायन के लिए दोषी, हिंसा पर करती हैं सियासतः अरविंद मोहन"

  1. बहुत ही सार गर्वित आलेख. अरविंद सर को प्रणाम. सुन्दर नाट्य प्रस्तुति ते लिए दीपक यात्री को नमन.

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