शीर्षक अजीब लग सकता है, लेकिन आप इसे पलट कर खेल सकते हैं। एक बार आप कन्हैया को पहले ले आइए और फिर एक बार तनवीर को। आचार संहिता तो चाहे भाड़ में जाए, लेकिन आप गंवार जनता से थोड़ी देर के लिए खेल सकते हैं। इसमें नेताओं ने कोई बयान दिया हो या न। लेकिन उनके समर्थकों ने कहा है कि कन्हैया ने तनवीर को समर्थन दे दिया है। लेकिन समझ नहीं आता कि कुछ लोग ये क्यों कह रहे हैं कि तनवीर ने कन्हैया को समर्थन दे दिया है। आज ही मतदान हो रही है। और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर ये बयान ट्रेंड में हैं। बचपन से लेकर अब तक एक अबूझ पहेली रही है कि आप मुर्गी को पहले बताते हैं कि अंडा दिया और अंडे को भी बता देते हैं कि उसने मुर्गी दिया। अब सवाल उठता है कि ये दोनों ही महत्वपूर्ण हैं क्या जो इन्हीं पर चर्चा हो रही है। अरे भाई, तीसरा भी तो कोई है- गिरिराज। उनकी तो चर्चा ही नहीं हो रही। क्या तनवीर और कन्हैया में ही मुकाबला है जो चर्चा का विषय़ यही बने हुए हैं।
बात हो रही है बेगुसराय, बिहार लोकसभा सीट से लड़ने वाले 3 उम्मीदवारों की। आज उनके भाग्य का फैसला हो रहा है। कन्हैया जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं और वे सीपीआई की ओर से गिरिराज से टक्कर देने बेगुसराय पहुंचे हैं। टेलीविजन में खूब चर्चा हो रही है। वहीं बीजेपी से कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को उम्मीदवार हैं। महागठबंधन में आरजेडी से तनवीर हसन मैदान में हैं।
तनवीर और कन्हैया को माना जा रहा है कि ये दोनों की वजह से कहीं गिरिराज को फायदा न मिल जाए इसलिए ही तरह तरह के भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं। तनवीर और कन्हैया को एक दूसरे का समर्थन दिलाकर मुस्लिम वोटों के साथ खेल खेला जा रहा है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। वास्तविकता में किसी ने किसी को समर्थन नहीं दिया है। कांटें की त्रिकोणीय टक्कर बताई जा रही है। लेकिन फिर भी इन भ्रामक पोस्ट के स्क्रीन शॉट आपकी सुलभ संदर्भ हेतु यहां लगाए जा रहे हैं। जागो मतदाता जागो!
मजे की बात यह है कि लोग जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं। शायद इसलिए कि सोमवार को ही बेगुसराय में मतदान हो रहे हैं।
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