नेहा पाण्डेय
बिल गेट्स ने कुछ दिन पूर्व कहा था कि “आज-कल जिस तरह से नए फ्लू एवं वायरस आ रहे हैं,आने वाले समय में इतनी खतरनाक व जानलेवा बीमारियां पैदा हो जायेंगी जिनके लिए मानव समाज तैयार भी नहीं है। अभी हाल ही में केरल के “कोझिकोड” जिले में 9 लोगों की मौत हो गई, उनकी मौत का कारण बताया गया निपाह वायरस। इसके बाद शोध की दुनिया में एक नई बहस छिड़ गई है कि आखिर ये किस तरह का वायरस है और इसका इलाज क्या है।
आखिर है क्या वायरस निपाह (एनआईवी)
यह एक “जूनोटिक” बीमारी है जो मानव एवं पशु दोनों में फैलती है। ‘फ्रूट बेट्स’ या एक प्रकार के चमगादड़ों को इस वायरस का वाहक माना जाता है। डब्लूएचओ साउथ ईस्ट एशिया से मिली जानकारी के अनुसार इस वायरस का संक्रमण सबसे पहले मलेशिया में 1998 -99 के बीच मिला था। ज्यादातर मरीज़ों को यह संक्रमण बीमार सूअरों या संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से हुआ था।
जानकारी के अनुसार जंगलों में रहने वाले चमगादड़ों ने पेड़ो के कटाव के बाद शहरों में पलायन शुरू कर दिया,यहीं से सूअरों में यह विषाणु पनपा और फिर इंसानो में यह फैल गया। चमगादड़ जब फलों एवं सब्जियों को चखते हैं अथवा फल,सब्जिया चमगादड़ो के मल या लार के संपर्क में आते हैं तो यह संक्रमण फलों व सब्जियों में पहुंच जाता है जिनका सेवन करने वाला पशु या मानव भी संक्रमित हो जाता है।
बीमारी के लक्षण
वायरस की इन्क्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों की होती है,जिसके बाद इस वायरस का असर दिखने लगता है। सांस लेने में समस्या, तेज़ बुखार ,दिमाग में गर्मी , सर दर्द ,आलास आना, भ्रमित होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। इस वायरस की चपेट में आने के बाद संक्रमित व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। 70 % मामलों में मृत्यु निश्चित है।
“निपाह वायरस” भारत में अलर्ट
केरल के कोझिकोड जिले में इस वायरस से अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है, आठ लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है जबकि आठ अन्य लोगों को निगरानी में रखा गया है। इस वायरस की जाँच के लिए केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित चिकित्स्कों का उच्च स्तरीय दल केरल पहुंच गया है। इस बीच तमिलनाडु में बुखार से पीड़ितों की निगरानी बढ़ा दी गई है।डॉक्टरों को हिदायत दी गई हैं कि जो भी बुखार से सम्बंधित व्यक्ति उपचार के लिए आएगा, पहले उसकी ट्रेवल हिस्ट्री ली जाएगी।
कैसे रहें सावधान
अभी तक इस वायरस के इलाज के लिए किसी भी तरह का टीका विकसित नहीं किया जा सका है। मनुष्य के मामलों में इसका प्राथमिक उपचार इंटेंसिव सपोर्टिव केयर(सघन सहायक देखभाल) के जरिये किया जा सकता है। संक्रमित व्यक्तियों को उच्च स्तर के आइसोलेशन की जरूरत है। यह सामान्य बुखार के रूप में आता है और यह साँस छोड़ने और खांसी के माध्यम से फैलता है। इस वायरस के मरीज़ की मौत हो जाए तो उसके चेहरे को ढकना जरुरी है। मृत को गले नहीं लगाना चाहिए। जमीन पर गिरे फलों एवं दूसरी चीज़ों को खाने से बचें। सर दर्द,बुखार,बेहोशी या उल्टी आए तो तुरंत डॉक्टर को मिलें।
जा से केरल में इस वायरस की चपेट में आने से 6 लोग अपनी जान गवां बैठे हैं तब से भारत में निपाह वायरस को लेकर चिंता बढ़ गई है