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डीयूः एमएससी के छात्रों की कक्षाएं पीएचडी स्कॉलर लें, भौतिकी विभाग की विभागीय परिषद ने लिया निर्णय

तस्वीरः गूगल साभार

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध भौतिकी व खगोलीय विभाग की आज हुई विभागीय परिषद (डिपार्टमेंट काउंसिल) की बैठक में निर्णय लिया गया है कि विभाग में पंजीकृत पीएचडी स्कॉलर ही एमएससी के छात्रों को पढ़ाएंगे। पीएचडी स्कॉलर को पढ़ाने के लिए कक्षाएं देने का कुछ शिक्षकों ने विरोध किया है। इस पर आपत्ति जताते हुए उन शिक्षकों का कहना था कि पीएचडी स्कॉलर अपनी पीएचडी करने के लिए आए है न कि पढ़ाने के लिए।

विभाग के शिक्षकों का विरोध किया, कहा एडहॉक टीचर्स क्यों नहीं लगाते

विभाग के कुछ शिक्षकों ने इस पर अपनी आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि पीएचडी स्कॉलर को पढ़ाने का काम देने से उनके शोध कार्य में व्यवधान उत्पन्न होगा। साथ ही उनको पढ़ाने का किसी तरह का कोई पूर्व अनुभव न होने से जिन एमएससी छात्रों को वे पढ़ाएंगे, उनका भी नुकसान होगा। शिक्षकों का कहना है कि एमएससी छात्रों को थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों ही पढ़ाए जाते हैं तथा इन्टर्नल एसेसमेंट के मार्क्स पढ़ाने वाले टीचर्स के हाथ में ही होते हैं तथा प्रैक्टिकल एसेसमेंट वही शिक्षक करता है जो पढ़ाते हैं। यदि पीएचडी छात्रों को इस तरह के अध्यापन कार्य में शामिल कर लिया जाता है तो क्या एमएससी छात्रों का प्रैक्टिकल एसेसमेंट सही होगा? क्या वे इस तरह के एसेसमेंट करने के लिए सक्षम है जबकि वे टीचर्स नहीं है? पीएचडी रिसर्च स्कॉलर है।

विभाग में में 42 रिक्तियां

दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने विभाग के शिक्षकों ने छात्रहित में जो निर्णय लिया है, जिसमें उन्होंने पीएचडी स्कॉलर को एमएससी छात्रों की कक्षाएं न देने पर आपत्ति जताई है। उसका वे समर्थन करते हैं। यह पीएचडी स्कॉलर का सीधा शोषण करना है। उन्होंने बताया है कि भौतिकी विभाग में आधी से अधिक खाली रिक्तियां पड़ी है। विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए विज्ञापन में 42 पद विज्ञापित की थी जोकि जानबूझकर भरी नहीं गई हैं ताकि एससी, एसटी, ओबीसी कोटे की सीटें भरनी न पड़ें। उनका यह भी कहना है कि भौतिकी विभाग एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं करना चाहता।

गौरतलब हो कि भौतिकी व खगोलीय विभाग (फिजिक्स एंड एस्ट्रोफिजिक्स डिपार्टमेंट) में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर की 42 पोस्टें खाली हैं। इसमें असिस्टेंट प्रोफेसर सामान्य की 08, एससी की 02, एसटी की 02, ओबीसी की 05 सीटें हैं। इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर सामान्य वर्ग की 15, एससी की 03, एसटी की 02 सीटें खाली हैं। विभाग में प्रोफेसर के पदों पर भी लंबे समय से कोई स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। यहां प्रोफेसर के 5 पदों में सामान्य के 02, एससी के 02 व एसटी के 01 पद को भरा नहीं गया है। 

विभाग आरक्षित वर्ग के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं करना चाहता

विभाग में इतनी सारे पद खाली हैं उन पर अन्य विभागों की तरह एडहॉक टीचर्स लगाए जा सकते हैं जबकि ऐसा नहीं किया जा रहा है। अगर एडहॉक शिक्षकों की नियुक्ति होती है तो इससे उनका टीचिंग एक्सपीरिएंस भी होगा और एमएससी के छात्रों को अच्छी शिक्षा प्राप्त होगी। शिक्षकों के अनुसार, लंबे समय से विभाग में शिक्षकों की नियुक्ति न होने के कारण वर्तमान में शिक्षकों पर वर्कलोड ज्यादा है,उन्हीं शिक्षकों को सारे कार्य जैसे शोध और एमएससी की कक्षाएं, प्रैक्टिकल, इन्टर्नल एसेसमेंट करने पड़ते हैं। इससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता, सुधार संबंधी नियमों का अंदाजा लगाया जा सकता है। ये नियम सरकार की शिक्षा में गुणवत्ता के सख्त विपरीत है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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