मुस्कुराये थे जिन पलों में तेरे साथ वो पल आज भी रुलाते हैं
झूठ कहते हैं लोग कि वक़्त के साथ हर जख्म भर जाते हैं
वो रूठना वो मनाना
वो हँसना वो गाना
मुझे देख तेरा शर्माना
वो धीरे से मेरे पास आना
जितना याद आते हैं वो यादे उतना तड़पाते हैं
झूठ कहते हैं लोग कि वक़्त के साथ हर जख्म भर जाते हैं
वो स्कूटी वो बातें
वो नग्में वो रातें
वो गांव की गलियां
वो फूलों की कलियां
सपनों में हम आज भी तेरा ही नाम बुलाते हैं
झूठ कहते हैं लोग कि वक़्त के साथ हर जख्म भर जाते हैं
तेरी खोज में भटकना
तेरी गली तेरी राह तकना
वो दौड़ना भागना गिरना फिसलना
वो पहली बस से तेरा निकलना
तेरे लौट आने की आज भी उम्मीद जगाते हैं
झूठ कहते हैं लोग कि वक़्त के साथ हर जख्म भर जाते हैं
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