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चढ़ा दो तुम मुझ पर केवल और केवल…अपने प्यार का रंग

चलो खेलें हम भी, इश्क़ की होली

लाल रंग हमारे इश्क़ का हो

नीला रंग तुम्हारे प्यार का

पीला हो मेरी बेचैनी का रंग

जब तुम न हो कभी मेरे संग

भीगा दो प्रेम की नदी में

डूब जाऊँ, तुम्हारे संग

बन जाओ रांझणा मेरे

रिस जाऊँ तुम्हारे मन

चढ़ा दो तुम मुझ पर

केवल और केवल अपने प्यार का रंग

इंतज़ार था, बेताबी थी

कब मनाओगे प्यार का जश्न

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

कहकशां (सहर)   
कवयित्री दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा हैं।

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