डीयू प्रशासन ने अभी तक एसी मेंबर्स को नहीं भेजा एजेंडा
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शिक्षकों के साथ डीयू प्रशासन ने अपनी पुरानी आदत के अनुसार फिर धोखा किया है। ऐसा शिक्षकों का आरोप है। बताया जा रहा है कि 2जनवरी को लंबे अंतराल के बाद विद्वत परिषद (एसी) की बैठक की गई, जिसमे यूजीसी रेगुलेशन-2018 को एडॉप्ट किया जाना था मगर खुद प्रशासन की ओर से बनाई गई ऑडिनेंश अमेंडमेंट कमेटी की रिपोर्ट को सदन में ना रखने के खिलाफ सभी निर्वाचित शिक्षक प्रतिनिधियों ने 30 घण्टे से अधिक समय तक एसी में धरना दिया था।
यह गतिरोध तब खत्म हुआ जब प्रो वाइस चांसलर व रजिस्ट्रार ने शिक्षक प्रतिनिधियों को इस हाई पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट को सार रूप में सदन में रखने और चर्चा कराने का वायदा किया था और इस हफ्ते एसी की बैठक आयोजित करने की बात की गई थी।
एसी के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ का कहना है कि लगभग एक सप्ताह व्यतीत हो जाने के बावजूद ना तो ऑडिनेंश अमेंडमेंट कमेटी की वायदे के अनुसार बैठक बुलाकर उसका सार तैयार कराया गया है और ना ही एसी की बैठक के बारे में निर्णय लिया गया है। उनका कहना है कि ऐसा ना करने से शिक्षकों में भारी रोष का माहौल व्याप्त है और वे अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अब वे चाहते हैं कि डूटा विश्वविद्यालय प्रशासन पर दवाब बनाने के लिए बड़ा आंदोलन शुरू करे ताकि प्रशासन 17 जनवरी से पहले एसी की बैठक बुलाकर और ऑडिनेंश अमेंडमेंट कमेटी की रिपोर्ट सदन में रखकर यूजीसी रेगुलेशन-2018 को लागू करे।
उन्होंने बताया है कि यूजीसी रेगुलेशन-2018 के लागू होने से एक दशक से अधिक से ठप पड़ी पदोन्नति प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और कॉलेजिज में पदोन्नति के रूप में प्रोफेसरशिप भी आ जायेगी। यूजीसी रेगुलेशन-2018 में कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर के पद के प्रमोशन के लिए एपीआई को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। इसके अलावा और भी बहुत सारी शिक्षकों के लिए लाभकारी सेवाशर्तों आई है। शिक्षकों के एक बड़े तबके में इस तरह की चर्चा हो गई है कि शिक्षक विश्वविद्यालय प्रशासन पर जान बुझकर दबाव नहीं बना रहे हैं जिससे समस्याओं का समाधान ना हो और शिक्षकों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बना रहे और यूजीसी रेगुलेशन-2018 निर्रथक हो जाये।
एसी के अन्य सदस्य डॉ. रसाल सिंह ने डीयू में दशकों से लंबित समस्याओं के समाधान ना होने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि तत्काल समाधान की दिशा में पहल करने की जरूरत है। ऐसा ना होने से दिल्ली विश्वविद्यालय में पठन पाठन गम्भीर रूप से प्रभावित हो रहा है। उन्होंने शिक्षकों के लिए अत्यंत लाभकारी यूजीसी रेगुलेशन-2018 को तत्काल लागू करने की मांग भी की है।
प्रो. सुमन ने कहा है कि 8 और 9जनवरी को डूटा की हड़ताल में शिक्षकों को एसी की घटना की जानकारी देंगे और जिस दिन बैठक हो ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों से आने की अपील की जाएगी।
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