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नैक से मिला पांच सालों के लिए डीयू को ए प्लस ग्रेड

नई दिल्ली। नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (नैक) यानी राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को ए प्लस ग्रेड दिया है। 30 नवंबर को मिली यह ग्रेडिंग अगले पांच साल के लिए मान्य होगी। यह पैमाना डीयू को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से वित्तीय संसाधनों के आवंटन में अहम होगा। अधिकारियों के अनुसार अक्तूबर के आखिरी हफ्ते में नैक की टीम ने डीयू की सुविधाओं को जांचा था। इसके आधार पर रैंकिंग तय की गई है। बता दें कि इससे पहले पिछले साल जेएनयू को ए प्लस प्लस ग्रेड मिला था।
यह ग्रेडिंग डीयू को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से फंड एवं ग्रांट के आवंटन में अहम होती है। डीयू का क्यूमूलेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज (सीजीपीए) 3.28 रहा।

क्या है नैक

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद यानी नैक एक संस्थान है जो भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों का आकलन तथा प्रत्यायन (मान्यता) का कार्य करती है। इसकी स्थापना 1994 में की गयी थी। मूल्यांकन एवं प्रत्यायन को मूलतः किसी भी शैक्षिक संस्था की ‘गुणवत्ता की स्थिति’ को समझने के लिए प्रयोग किया जाता है। वास्तव में यह मूल्यांकन यह निर्धारित करता है कि कोई भी शैक्षिक संस्था या विश्वविद्‌यालय प्रमाणन एजेंसी के द्‌वारा निर्धारित गुणवत्ता के मानकों को किस स्तर तक पूरा कर रहा है।

गुणवत्ता के मानदंड में शैक्षिक प्रक्रियाओं में संस्था का प्रदर्शन, पाठ्यक्रम चयन एवं कार्यान्वयन, शिक्षण अधिगम एवं मूल्यांकन तथा छात्रों के परिणाम, संकाय सदस्यों का अनुसंधान कार्य एवं प्रकाशन, बुनियादी सुविधाएं तथा संसाधनों की स्थिति, संगठन, प्रशासन व्यवस्था, आर्थिक स्थिति तथा छात्र सेवाएं इत्यादि हैं।

ए प्लस प्लस के लिए सीजीपीए में चाहिए सुधार

ए प्लस प्लस ग्रेड में आने के लिए डीयू को अपनी सीजीपीए में सुधार करना होगा। 3.51 से 4 के बीच सीजीपीए होने पर विश्वविद्यालय को ए प्लस प्लस ग्रेड मिलता है। नैक टीम ने दौरे के समय डीयू के अलग-अलग विभागों का भ्रमण किया और उनमें सुविधाओं का परीक्षण किया। ग्रेडिंग का आधार इसके अलावा अलग-अलग विभागों के प्रमुखों की ओर से 103 सवालों के जवाब नैक को मेल करना रहा।

एक प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के बाद भी डीयू को अब तक नैक ने कोई ग्रेड नहीं दिया था। क्योंकि, नैक की समिति ने कभी इसका मूल्यांकन ही नहीं किया। पूर्व कुलपति प्रो. दिनेश सिंह के कार्यकाल से ही नैक के दौरे को लेकर चर्चाएं होती रहीं, लेकिन अब जाकर अक्टूबर माह के अंत में नैक की समिति डीयू का दौरा करने के बाद यह ग्रेड मिला। डीयू में नैक के लिए बनाई गई एक समिति के सदस्य ने बताया कि किसी भी संस्थान की शैक्षिक उत्कृष्टता मापने के लिए नैक की ग्रेडिंग आवश्यक है। इससे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दी जा रही फंडिंग, नेशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क और वैश्विक रैंकिंग में भी मदद मिलती है। देश के अधिकांश केंद्रीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की नैक ने रैंकिंग की है। सेंटर फॉर एक्सिलेंस के लिए भी नैक की ग्रेडिंग लाभदायक होगी।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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