SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

डीयूः एमफिल/पीएचडी परीक्षाओं में धांधली को लेकर छात्रों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, विभाग ने बुलाई बैठक

अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे छात्र

-सुकृति गुप्ता

हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों को हो रही समस्याओं और शिक्षा में किस तरह के सुधार की आवश्यक्ता है, इसको लेकर इतिहास विभाग ने मंगलवार (3 जुलाई) को डिपार्टमेंट काउंसिल की बैठक रखी। बैठक में मुख्य ज़ोर इस बात पर था कि एम.फिल./पीएचडी के शोध में गुणवत्ता को कैसे बढ़ावा दिया जाए।

आपको बता दें कि फोरम टू सेव यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली के विद्यार्थियों ने सोमवार (2 जुलाई) को भूख हड़ताल की थी। विद्यार्थियों का आरोप  है कि इतिहास विभाग और बुद्धिस्ट विभाग तथा मॉडर्न इंडियन लैंग्वेज की एमफिल/पीएचडी परीक्षाओं में धांधली हो रही है। इससे पहले 26 जून को भी फोरम के सदस्यों ने इतिहास विभागाध्यक्ष के खिलाफ़ धरना दिया था। फोरम के सदस्यों ने कई मांगे रखी हैं। उनका कहना है कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वे विश्वविद्यालय की गतिविधियाँ बाधित करेंगे। इस संबंध में उन्होंने इतिहास विभागाध्यक्ष और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भी लिखा है। उन्होंने दिल्ली के उप-राज्यपाल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति, सामाजिक विज्ञान के डीन-विजय कुमार दीक्षित, स्टूडेंट वेलफेयर के डीन तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग को पत्र लिखा है।

विद्यार्थियों के सवाल और उनकी मांगे

एमफिल/पीएचडी परीक्षाओं में धांधली का आरोप लगाते हुए विद्यार्थियों ने कई मांगे रखी हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण मांग  21 जून, 2018 को दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा केवल अंग्रेजी में आयोजित एमफिल/पीएचडी प्रवेश परीक्षाओं को रद्द करके दोबारा आयोजित करने और इतिहास तथा बुद्धिस्ट विभाग के अध्यक्षों के इस्तीफे को लेकर की गई है। इसके अलावा उन्होंने एडमिशन कमेटी के चेयरमैन प्रोफेसर एमके पंडित को भी बर्खास्त करने की मांग की है, क्योंकि विद्यार्थियों के अनुसार उनके ही निर्देशन में परीक्षा में धांधली हो रही है। इस संबंध में विद्यार्थियों ने जांच कराए जाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने कुलपति से हिन्दी भाषा के साथ इस तरह हो रहे भेदभाव को लेकर कई सवाल भी किए हैं।

डिपार्टमेंट काउंसिल का क्या कहना है

विद्यार्थियों के बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए मंगलवार (3 जून ) को इतिहास विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुनील कुमार ने  डिपार्टमेंट काउंसिल की बैठक रखी। बैठक में मुख्य ज़ोर इस बात पर था कि एम.फिल./पीएचडी के शोध में गुणवत्ता को कैसे बढ़ावा दिया जाए।

इस संबंध में हमने प्रोफेसर सुनील कुमार से बात की। उन्होंने कहा कि शोध की गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता। इसलिए काउंसिल की बैठक में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि जितना संभव हो सके हिंदी माध्यम के विद्यार्थी भी वही पढ़ें जो अंग्रेज़ी माध्यम के विद्यार्थी पढ़ते हैं। इसके लिए ज़रूरी है कि अनुवाद पर ज़ोर दिया जाए जिसके लिए विभाग के सभी शिक्षकों के सहयोग की ज़रूरत है। वे विद्यार्थियों के लिए पाठ्य सामग्रियों का अनुवाद कर सकते हैं। एक ही पाठ्यक्रम के विद्यार्थी भी एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं। यदि अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों में पकड़ रखने वाला कोई विद्यार्थी भी अंग्रेज़ी का कोई आर्टिकल या किताब के महत्वपूर्ण हिस्सों का अनुवाद करके देना चाहे तो दे सकता है। उसमें आवश्यक सुधार कर उन्हें संजोंकर रखा जा सकता है। चूंकि अनुवाद का काम बहुत विस्तृत स्तर पर करने की ज़रूरत है इसलिए ज़रूरी है कि सभी की इसमें सक्रिय भागीदारी हो और काउंसिल के सभी सदस्य बैठक में शामिल हों। जहाँ तक परीक्षा रद्द करने का प्रश्न है तो काउंसिल का मत है कि इतने बड़े स्तर पर आयोजित की गई परीक्षा को रद्द किए जाने से बहुत अधिक नुकसान होगा। इससे वे विद्यार्थी भी प्रभावित होंगे जो नहीं चाहते कि परीक्षा रद्द हो।

आपको यह भी बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के बुद्धिस्ट विभाग ने अब तक विद्यार्थियों की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया है और न ही इस संबंध में डिपार्टमेंट काउंसिल ने कोई मीटिंग की है।

संबंधित खबर, जानिए क्या है मामला

डीयू के इतिहास विभाग में छात्रों ने किया जमकर प्रदर्शन, विभागाध्यक्ष के इस्तीफे की मांग

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

Be the first to comment on "डीयूः एमफिल/पीएचडी परीक्षाओं में धांधली को लेकर छात्रों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, विभाग ने बुलाई बैठक"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*