शिक्षकों की ओर से उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बहिष्कार के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के सदस्यों और कॉलेज के प्राचार्यों के बीच आज एक बैठक हुई। बैठक में मई-जून 2018 में हुई परीक्षा में बैठे छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को लेकर शिक्षकों के इस तरह बहिष्कार करने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया कि यदि ऐसे यह बहिष्कार जारी रहा तो स्नातक के हजारों छात्रों के भविष्य पर इसका असर पड़ेगा। क्योंकि ऐसी स्थिति में उनका रिजल्ट देर से आएगा और इससे उनकी पढ़ाई बाधित हो सकती है। छात्रों का भविष्य अधर में है। इससे उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि शिक्षकों की नौकरी के समय हुए करार और एग्जीक्यूटिव काउंसिल रेजोल्यूशन 2003 और 2014 के अनुसार यह उनका दायित्व भी है कि वो परीक्षा और मूल्यांकन की प्रक्रिया में सक्रिय योगदान देंगे।
कुलसचिव की ओर से प्रेस रिलीज जारी कर डीयू ने कहा है कि संबंधित केंद्र पर जाकर हजारों छात्रों को ध्यान रखते हुए शिक्षक मूल्यांकन की प्रकिया शुरू करें। लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर अब शिक्षक इस अपील को स्वीकार करेंगे या नहीं। हालांकि शिक्षक संघ तब तक मूल्यांकन का बहिष्कार करने पर अड़ा है जब तक उनकी समस्याओं पर डीयू विचार नहीं करता।
गौरतलब है कि शिक्षक उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का 1 महीने से बहिष्कार करते आ रहे हैं, क्योंकि उनकी मांगों को लेकर डीयू प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया है।
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