दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले एक महीने से शिक्षक संघ (डूटा) की ओर से उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार जारी है, ऐसे में छात्रों के रिजल्ट को लेकर संकट खड़ा होना लाजमी है। इन सबके बावजूद अभी तक शिक्षकों की समस्याओं पर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से किसी तरह का कोई संवाद नहीं हुआ है। इसी को लेकर डूटा ने अपनी समीक्षा बैठक बुलाई थी। बैठक में तय हुआ कि 8 जून को होने वाली शिक्षकों की आम सभा अब 13 जून को होगी।
मंत्री के गैरजिम्मेदाराना बयान पर शिक्षकों में रोष
5 जून को काली पट्टी बांधकर मंडी हाउस से संसद मार्ग तक प्रदर्शन करने के बाद भी एमएचआरडी मंत्री और दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री की ओर से कोई ठोस आश्वासन भी नहीं मिला। बता दें कि दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री ने यह जरूर कहा कि वह अपने 28 कॉलेजों में तदर्थ (एडहॉक) शिक्षकों को किसी भी कीमत पर बाहर नहीं होने देंगे। इसके उलट एमएचआरडी मंत्री ने इसे कोर्ट में लंबित मामला बताकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। मंत्री के इस बयान से शिक्षकों में काफी रोष व्याप्त है। क्योंकि सरकार ने अपने 5 मार्च के यूजीसी सर्कुलर पर कोई लिखित कार्यवाही से मना कर दिया है। ऐसे में एडहॉक शिक्षकों की रिज्वाइनिंग का मामला अधर में लटक सकता है।
डूटा की समीक्षा बैठक में जनआंदोलन तेज करने का निर्णय
डीयू विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन ‘ने डूटा की समीक्षा बैठक में बोलते हुए कहा कि डूटा को अपने जन आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए दिल्ली की दलित, पिछड़े वर्गों की पंचायतों को अपने साथ लेकर चलना होगा। उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि सुप्रीम कोर्ट में 2 जुलाई को जो फैसला लंबित है, उससे पहले सरकार पर दबाव बनाने के लिए डूटा को व्यापक जन आंदोलन की जरूरत है और यह आंदोलन इन पंचायतों को साथ लिए बगैर संभव नहीं है। इन पंचायतों को ज्यादा से ज्यादा साथ लेकर आंदोलन को तीव्रता प्रदान की जाएं।
डीयू के शिक्षक सड़कों पर क्यों हैं?
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक सड़कों पर इसलिए है क्योंकि सरकार द्वारा सरकारी विश्वविद्यालयों को बेचने की जो योजना है उसका विरोध किया जा सके। उन्होंने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में 4500 खाली पड़े शिक्षकों के पदों को क्यों नहीं भरा जा रहा है, सरकार नया रोस्टर लगाकर आरक्षण को समाप्त करना चाहती है। रोस्टर के बदलाव से एससी/एसटी/ओबीसी कोटे की 50 फीसदी सीटें खत्म हो जाएगी, पिछले 10 वर्षों से शिक्षकों की प्रमोशन नहीं हुई, लंबे समय तक सेवा दे चुके शिक्षकों को पेंशन नहीं मिल रही, कॉलेजों को स्वायत्तता के नाम पर प्राइवेट कॉलेज खोलना चाहती है, सरकारी अनुदान से चलने वाले विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को प्राइवेट करने से उच्च शिक्षा से दलित, पिछडों को वंचित करने की साजिश रची जा रही है। उच्च शिक्षा में आरक्षण समाप्त करने, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने के अधिकार पर हमला, शिक्षकों के पदों को कांट्रेक्चुअल करने की साजिश, स्थायी नियुक्तियों पर रोक आदि मुद्दों को लेकर डूटा लड़ रही है।
श्री अरबिंदो कॉलेज में सोमवार को स्टाफ एसोसिएशन की बैठक
डूटा की ओर से पिछले 1 महीने से उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार किया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 11 केंद्र बनाए हैं। डूटा ने आज भी इन केंद्र पर जाकर मूल्यांकन का बहिष्कार किया। भगतसिंह कॉलेज, लक्ष्मीबाई कॉलेज, देशबंधु कॉलेज, हिन्दू कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज आदि कॉलेजों की स्टाफ एसोसिएशन ने अपने कॉलेजों ने उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया और डूटा के साथ सदैव खड़े रहने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया है कि श्री अरबिंदो कॉलेज में सोमवार को स्टाफ एसोसिएशन की बैठक बुलाई गई है जिसमें तय किया जायेगा कि आगे की रणनीति क्या हो।
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