मन में है कि मैं कुछ आज लिखूं,
मगर क्या
अपने मूल्यों को खोता संविधान लिखूं
दर्दों से कराहता हिन्दुस्तान लिखूं
गुड़िया, दामिनी के शोर को लिखूं
या फिर मुल्क की सियासत के चोर लिखूं
गूंगी दिल्ली का गुणगान लिखूं
पेशाब पीकर जिन्दा किसान लिखूं
ईमान का नंगा इंसान लिखूं
या सियासत मे बिकता भगवान लिखूं
रहनुमाओं को बेबस या बेईमान लिखूं
अपनी हारी कलम की थकान लिखूं
अपने देश को हिन्दू या मुस्लमान लिखूं
तू बता, अब कैसे भारत महान लिखूं
रचनाकार अमन सिंह देहरादून से लॉ के छात्र हैं।
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