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दिल्ली विश्वविद्यालय ने एमफिल/पीएचडी के साक्षात्कार किए स्थगित, छात्रों का भविष्य अधर में

-सुकृति गुप्ता

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने अपनी वेबसाइट पर नोटिस जारी करते हुए यह जानकारी दी है कि सभी विभागों के एमफिल/पीएचडी के साक्षात्कार स्थगित कर दिए गए हैं। हालांकि इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि स्थगित किए गए साक्षात्कार किन नियमों के तहत कब दोबारा कराए जाएंगे। यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि जिन विद्यार्थियों के साक्षात्कार हो चुके हैं, उसका क्या हल निकाला जाएगा।

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जारी नोटिस

वेबसाइट पर सभी विभागों के लिए एमफिल/पीएचडी के साक्षात्कार को स्थगित किए जाने का नोटिस जारी किया गया है। हालांकि, कई विभागों के एमफिल साक्षात्कार कराए जा चुके हैं। इन विभागों ने अपनी ओर से भी नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) के आदेश का पालन करते हुए साक्षात्कार रद्द किए जा रहे हैं। साथ ही पीएचडी साक्षात्कार को स्थगित किए जाने की घोषणा की है। इतिहास विभाग, पंजाबी विभाग, मॉडर्न इंडियन लेंग्वेजिस एंड लिटरेरी स्टडीज, एनवायरमेंटल स्टडीज, जीवविज्ञान, एडल्ट सेंट्रिक एजुकेशन विभागों ने अपनी तरफ से इस संबंध में नोटिस जारी किया है। वहीं बाकी विभागों ने अपनी तरफ से वेबसाइट पर इस संबंध में अब तक कोई नोटिस नहीं डाला है। हो सकता है, जल्द ही बाकी विभाग भी अपनी तरफ से भी नोटिस जारी कर दें।

विरोध को देखते हए यूजीसी और एमएचआरडी ने दिए आदेश

डीयू विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया है कि 2018-2019 के एमफिल/पीएचडी सत्र के लिए जो प्रवेश परीक्षाएँ आयोजित की गई थीं, उनमें सरकार की आरक्षण नीति के तहत एससी/एसटी/ ओबीसी/पीडबल्यूडी के विद्यार्थियों को किसी प्रकार की कोई छूट नहीं दी गई। इसे लेकर कई विद्यार्थियों और शिक्षकों ने असंतोष जताया था और विभागों में जाकर जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया था।

आपको बता दें 25 जुलाई को कई विद्यार्थियों ने इतिहास विभाग में यूजीसी के 50 प्रतिशत वाले नए नियम के तहत कराए जा रहे साक्षात्कार को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। वहीं 27 जुलाई को भी कला संकाय में विवेकानंद प्रतिमा के पास भी कई विभाग के विद्यार्थियों ने धरना प्रदर्शन किया था। इससे पूर्व 26 जुलाई को इतिहास विभाग के प्रोफेसर और डूटा कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुरेंद्र कुमार ने इस संदर्भ में कुलपति को पत्र भी लिखा था।

यूजीसी और एमएचआरडी ने विरोध को देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर यह आदेश दिया है कि अगस्त माह में होने वाले साक्षात्कार को रद्द किया जाए। यूजीसी का आदेश है कि जब तक इस संदर्भ में कोई दूसरा आदेश नहीं आता तब तक विभागों में साक्षात्कार को स्थगित रखा जाए।   

-इतिहास विभाग द्वारा जारी नोटिस

 

प्रोफेसर सुमन ने इसे विद्यार्थियों और शिक्षकों की जीत बताया

प्रोफेसर सुमन ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह जीत शिक्षकों और छात्रों की है जिन्होंने सामाजिक न्याय के लिए दलित, पिछड़े वर्गों के छात्रों के लिए लड़ाई लड़ी।” उनका कहना है कि उच्च शिक्षा में आरक्षण मिलने से ये विद्यार्थी भी रिसर्च कर सकेंगे।

जहाँ एक ओर वे विद्यार्थी जो लगातार यूजीसी के नए नियम का विरोध कर रहे हैं, इस फैसले से खुश नज़र आ रहे हैं, वहीं वे विद्यार्थी जो साक्षात्कार दे चुके हैं, इस फैसले से निराश हैं। बहरहाल, अभी तक एमफिल/पीएचडी के हर उम्मीदवार का भविष्य लटका पड़ा है, क्योंकि आगे साक्षात्कार की प्रक्रिया क्या रहेगी यह स्पष्ट नहीं किया गया है।

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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