दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध कॉलेजों और विभागों में कार्यरत्त शिक्षकों और गैर शैक्षिक कर्मचारियों के बच्चों के लिए वार्ड कोटा के अंतर्गत विभिन्न विभागों/कॉलेजों में प्रवेश दिए जाने का प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान पिछले 20 सालों से लागू है। कॉलेजों और विभागों में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन वार्ड कोटा में किसी तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं की है। गौरतलब है इस प्रावधान के अंतर्गत प्रत्येक कॉलेज में 3 प्रवेश शिक्षकों के बच्चे (टीचिंग) और 3 प्रवेश कर्मचारियों के बच्चों (नॉन टीचिंग) में दिया जाता है।
डीयू विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि हर शिक्षक और कर्मचारी का यह सपना होता है कि उनके बच्चे अच्छी जगह पर प्रवेश लें, डीयू में भी वो भी हर कॉलेज में अपनी उनकी प्राथमिकता होती है। कुछ कॉलेजों द्वारा यह तय किया गया है कि वे विश्वविद्यालय ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद भी अलग से वार्ड कोटे में आवेदन करने के लिए एप्लीकेशन लेंगे। कॉलेज की दाखिला कमिटी इन आवेदन पत्रों को एकत्र कर विषयवार और फीसद आधार पर सूची बनाती है। इनमें से उन छात्रों को प्रवेश दिया जाता है, जिनका मेरिट में उच्च स्थान होता है। पहले तीन (शिक्षकों के बच्चों) और उसके बाद पहले तीन उच्च स्थान पाने वाले (गैर शैक्षिक/कर्मचारी) बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। ऐसे में जो छात्र कैम्पस के किसी कॉलेज में अच्छे विषय में ऑनर्स या प्रोग्राम में दाखिला लेने की इच्छा रखता है, वे नहीं ले पाते।
आगामी बैठक में रखा जाएगा प्रस्ताव
प्रो सुमन ने डीयू के शिक्षकों और कर्मचारियों के बच्चों के प्रवेश के लिए वार्ड कोटा बढ़ाने की मांग की है और कहा है कि यह इसलिए आवश्यक है कि डीयू में 12 हजार शिक्षक और 10 हजार कर्मचारी हैं। हर शिक्षक और कर्मचारी चाहता है कि जहां वह कार्य कर रहा है उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, हालांकि मेरा मानना है कि सभी कॉलेज और उनमें पढ़ाए जाने वाले विषय एक जैसे ही हैं। सभी का पाठ्यक्रम भी एक जैसा है, लेकिन फ़ीस सभी कॉलेजों की अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि आगामी विद्वत परिषद की बैठक में कोटा बढ़ाने के संबंध में एक प्रस्ताव रखा जाएगा।
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