-सुकृति गुप्ता
द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय लाल किला में चार नए संग्रहालय खोलने जा रही है। इन संग्रहालयों के अगले महीने तक खुल जाने की संभावना है। हो सकता है 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस से पूर्व ही देखने को मिल जाएं।
संस्कृति सचिव राघवेन्द्र सिंह ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, “लाल किले को संग्रहालय हब में विकसित करने का विचार है। अंग्रेजों द्वारा बनाई गई बैरकें तीन मंजिला हैं और इनमें टीक की लकड़ी से बने पैनल हैं, ये सब अब भारतीय इतिहास का प्रतिनिधित्व करेंगे।”
संग्रहालयों में दिखेंगी भारतीय इतिहास की 160 वर्ष की झलकियां
लाल किले में खुलने वाले चार संग्रहालय दिल्ली की सांस्कृतिक विरासत और भारतीय इतिहास के 160 वर्षों की झलकियाँ पेश करेंगे। इनमें प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर जलियाँवाला बाग हत्याकांड तथा द्वितीय विश्व युद्ध तक की झलक देखने को मिलेगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पहला संग्रहालय प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) से संबंधित होगा। इसमें अभिलेखीय सामग्री तथा पेंटिंग प्रदर्शनी के लिए संग्रहित की जाएंगी।
दूसरा संग्रहालय सुभाष चंद्र बोस और आएनए के 75 वर्षों को प्रतिबंबित करेगा। इसमें लाल किले के अंदर हुए आइएनए ट्रायल की भी झलक पेश की जाएगी। 1945 के नवंबर और दिसंबर महीने में कई कोर्ट मार्शल यहीं हुए थे।
तीसरा संग्रहालय जलियावाला बाग में हुए नरसंहार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही इसमें द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सेना की भागीदारी को दर्शाने वाली अभिलेखीय सामग्री भी रखी जाएगी।
चौथे संग्रहालय में भारतीय युद्ध स्मारक संग्रहालय और पुरातत्व संग्रहालय की कलाकृतियों को रखा जाएगा। अभी ये कलाकृतियाँ नौबत खाना और मुमताज महल पैलेस में हैं। कलाकृतियाँ स्थानांतरित हो जाने के बाद नौबत खाना और मुमताज महल को आम जन के लिए खोल दिया जाएगा।
इसके अलावा पांचवे संग्रहालय की भी बात चल रही है। ये संग्रहालय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को समर्पित होगा। इसके लिए अभी जगह तय नहीं हो पाई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसे भी लाल किले में ही खोला जाएगा।
क्या होगा इन संग्रहालयों का महत्व
इन संग्रहालयों के महत्व की बात करते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक पुरातत्ववेत्ता एनके पाठक का कहना है कि इन संग्रहालयों को खोलने का मकसद आम भारतीयों को देश के वीर इतिहास से अवगत कराना है। अफ़सरशाही का कहना है कि इन संग्रहालयों में अभिलेखीय सामग्री और कलात्मक तकनीकों के मिश्रण से इतिहास दिखाया जाएगा जोकि इतिहास के विद्यार्थियों के लिए लाभकारी रहेगा। इसके ज़रिए वे आसानी से इतिहास का स्मरण कर सकेंगे। साथ ही इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
आपको बता दें कि हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने एक टिप्प्णी की थी कि भारत लगातार अपने पर्यटक गंवा रहा है। ऐसे में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम लाभकारी साबित हो सकता है।
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