कॉलेजों में अभी तक सेकेंड ट्रांच के शिक्षकों की इसलिए एडहॉक नियुक्तियां नहीं हुई हैं क्योंकि अभी तक पहले ट्रांच में दिए गए पदों पर कॉलेजों ने अपने यहां स्थायी शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं की है। एक तरफ तो कॉलेजों द्वारा ओबीसी कोटे के छात्रों का दाखिला किया जा कर रहा है वहीं दूसरी ओर कॉलेज सेकेंड ट्रांच की सीटों के लिए ओबीसी के शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं कर रहा है। इसी को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने डीयू में कुलपति को पत्र लिखकर मांग की है कि विश्वविद्यालय ओबीसी पदों पर शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करे।
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में ओबीसी छात्रों के लिए आरक्षण का प्रावधान वर्ष 2007 में किया गया था, लेकिन शिक्षकों की नियुक्तियां 2013 के बाद से होनी शुरू की गई। उन्होंने बताया है कि 2013 से अब तक ओबीसी कोटे के लगभग 100 शिक्षक ही स्थायी हुए हैं बाकि जिन कॉलेजों व विभागों में लगे हुए हैं वे एडहॉक शिक्षक के रूप में है। कॉलेजों में जितनी संख्या में ओबीसी शिक्षक होने चाहिए नहीं है वहां पर भी 27 प्रतिशत कोटा पूरा नहीं किया गया है।
अल्पसंख्यक कॉलेज नहीं दे रहे हैं ओबीसी आरक्षण
डीयू के 6 कॉलेजों में ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है वे कॉलेज न तो ऐसे छात्रों को दाखिला देते हैं और न ही शिक्षकों की नियुक्ति करते हैं वे अपने को अल्पसंख्यक कॉलेज मानते हैं। अपने पत्र में प्रो. सुमन ने इन्हीं बातों का जिक्र करते हुए कुलपति को पत्र लिखकर मांग की है कि जल्द से जल्द ओबीसी के लिए स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। साथ ही उन्होंने यूजीसी के चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह को पत्र लिखकर विभागों और कॉलेजों में पिछले पांच वर्षों से ओबीसी कोटे के कारण बढ़ी हुई सीटों को भरने के लिए यूजीसी कॉलेजों को सेकेंड ट्रांच की बची हुई शिक्षकों के पदों को दिए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि प्रति वर्ष ओबीसी छात्रों को दाखिला दिए जाने के बावजूद उसकी तुलना में जितनी सीटें शिक्षकों की भरी जानी थी उतने स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है।
प्रो. सुमन ने बताया है कि वर्ष 2017 में 45 कॉलेजों ने अपने यहां स्थायी पदों का विज्ञापन निकाला जिनमें से 5 कॉलेजों ने अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त होने के कारण ओबीसी शिक्षकों के पद नहीं निकाले। उनका कहना है कि 45 कॉलेजों में 2047 पदों का विज्ञापन निकाला गया, इन पदों में ओबीसी कोटे के 498 पद ही निकाले गए। इन पदों को निकाले 15 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक स्थायी नियुक्तियां नहीं हुई है।
किस कॉलेज में ओबीसी कोटे के लिए कितने पदों पर होनी है नियुक्ति
कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज-16 पद
हंसराज कॉलेज -16 पद
जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज-20 पद
कालिंदी कॉलेज-20 पद
किरोड़ीमल कॉलेज-15 पद
लक्ष्मीबाई कॉलेज-16 पद
मैत्रेयी कॉलेज-17 पद
पीजीडीएवी कॉलेज-18 पद
राजधानी कॉलेज-19 पद
रामलाल आनंद कॉलेज-15 पद
सत्यवती कॉलेज (सांध्य)-14 पद
शिवाजी कॉलेज-21 पद
श्यामलाल कॉलेज-17 पद
श्री अरबिंदो कॉलेज-20 पद
स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज-18 पद
गार्गी कॉलेज-16 पद
उपरोक्त कॉलेजों में ओबीसी शिक्षकों की स्थायी नियुक्तियां की जानी है लेकिन, अभी तक डीयू प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं हुई।
अगर नियुक्ति की प्रक्रिया नहीं हुई शुरू तो विज्ञापनों की समय सीमा हो जाएगी रद्द
प्रो. सुमन के अनुसार, जिन सीटों पर स्थायी नियुक्तियों के लिए जो विज्ञापन निकाले गए थे उन पदों को भरने के लिए जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू की जाये। यदि इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू नहीं की तो विज्ञापनों की समय सीमा समाप्त हो जायेगी।सारे विज्ञापन रद्द हो जायेगें, जिससे उम्मीदवारों के धन व समय की बर्बादी होगी।
कुलपति को लिखे पत्र में उन्होंने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में लंबे समय से पढ़ा रहे एडहॉक शिक्षकों के जो विज्ञापन निकाले गए थे उन विज्ञापनों को निकाले लगभग डेढ़ साल होने वाला है ,उनकी समय सीमा जल्द ही समाप्त होने वाली है। विज्ञापन रद्द होने से पहले कॉलेजों व विभागों में एक साथ नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कराए। यदि इन विज्ञापित पदों की नियुक्ति नहीं हुई तो जिन उम्मीदवारों ने आवेदन पत्रों के साथ आवेदन शुल्क जमा कराया हुआ है वह विश्वविद्यालय को लौटाना पड़ेगा।
कॉलेजों व विभागों को मिल चुकी है सूची
प्रो. हंसराज सुमन ने बताया है कि 2017 में डीयू के विभिन्न विभागों एवं कॉलेजों में शैक्षणिक पदों के लिए 45 कॉलेजों ने अपने यहां 2047 पदों के विज्ञापन शिक्षक नियुक्ति के लिए निकाले गए। निकाले गए विज्ञापन के आधार पर 4 लाख 11 हजार आवेदन पत्र प्राप्त हुए। विश्वविद्यालय ने आवेदन पत्रों की विषयवार स्क्रूटनी और स्क्रीनिंग का कार्य पूरा करने के बाद उम्मीदवारों के अंक विभाजन कर मेरिट लिस्ट भी बना लिया है। उन्होंने यह भी बताया है कि जिन 62 विषयों की स्क्रीनिंग लिस्ट तैयार की गई थी उनकी लिस्ट संबंधित कॉलेजों व विभागों को भेजी जा चुकी है।
स्थायी नियुक्ति न होने से शिक्षक हो रहे उत्पीड़ित
प्रो. सुमन ने अपने पत्र में बताया है कि पिछले एक दशक से भी अधिक समय से खाली पदों पर पढ़ा रहे एडहॉक शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति न हो पाने के कारण वे बेहद तनाव पूर्ण जीवन जीने को मजबूर है। ओबीसी आरक्षण लागू होने के बाद से अब तक इन पदों पर 5 फीसद भी स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में लगता है कि इन पदों को भरने में एक दशक और लग जायेगा।
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