पाकिस्तान के 22 वें प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान ख़ान के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू का शरीक होना चर्चा का विषय बन गया है। समारोह के दौरान पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने सिद्धू से बातचीत की और दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया। जिसपर भारत में काफी बवाल हो रहा है।
बता दें कि देश में 25 जुलाई को हुए आम चुनावों के तीन सप्ताह बाद वह नये प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। इमरान ने अपने शपथग्रहण समारोह में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी कपिल देव, सुनील गावस्कर और नवजोत सिंह सिद्धू को फोन करके आमंत्रित किया था। जहां देव और गावस्कर ने उनके निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया वहीं, सिद्धू स्वीकार करके पड़ोसी मुल्क पहुंचे।
राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप के इसी दौर में भारत पाक सीमा के पास गुरुद्वारा करतारपुर साहिब गलियारे को खोलने को लेकर काफी बातें हो रही हैं। हालिया,एक बयान में पाक के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और उनके मंत्री फ़वाद चौधरी ने भी कहा था कि पाक गलियारा खोलना चाहता है और इस बाबत वह भारत की औपचारिक सहमति का इंतज़ार कर रहा है। कांग्रेस के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने इस मुद्धे को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाक़ात किया, जिसके बाद सिद्धू ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही इस विषय में पाकिस्तान को पत्र लिखेगी।
बहरहाल, भारत व पाकिस्तान साथ के बिगड़े रिश्तों को सही दिशा में लाने के लिए यह एक बेहतर रास्ता हो सकता है। इसके माध्यम से दोनो देशों के संबंध में सुधार हो सकता है। इस पहल से भारत को जम्मू-कश्मीर, सीमा पार गोली-बारी और अन्य मामलों में फ़ायदा हो सकता हैं। लिहाज़ा, केंद्र सरकार इसे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से परे हट कर गौर करे। देश की सुरक्षा के साथ समझौता न करते हुए भारत सरकार यह क़दम उठा सकती है। हालाँकि सरकार ये बख़ूबी जानती है कि पाकिस्तान सरकार पर पाक सरकार का नियंत्रण न होकर सैनिक नियंत्रण है। गुरुद्वारा करतारपुर साहिब गलियारे को खोलने और पाकिस्तान से साथ सकारात्मक मसौदा तैयार करने से पहले भारत सरकार को ये ध्यान रखने की ज़रूरत है, कि पाकिस्तान में अभी नई सरकार आयी है और उसका क्या पाक सेना पर नियंत्रण है या नहीं। हालाँकि भारत के रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक संवाद सत्र में कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पाक सेना प्रमुख से गले मिलकर देश के सैनिकों का मनोबल गिराया है।
भारत-पाक सीमा से 4 किमी दूर है गुरुद्वारा करतारपुर साहिब
पाकिस्तान में रह गए ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन करने की अरदास (प्रार्थना) सिख समुदाय के लोग हर रोज़ करते हैं। इन गुरुद्वारों में से एक भारत-पाकिस्तान की सीमा से चार किलोमीटर दूर करतारपुर साहिब भी है, इस गुरुद्वारे के लिए विशेष रास्ते की मांग लगातार होती रही है। मौजूदा हालात में सिख लोग इस गुरुद्वारे के दर्शन सरहद पर खड़े होकर दूर से करते है। यहां पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने दर्शन स्थल बना रखा है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर करतारपुर साहिब में गुरु नानक देव ने अपनी ज़िंदगी का अंतिम समय बिताया। यहीं पर उन्होंने खेती की और ‘कीरत करो, नाम जपो, वंड छको’ (काम करो, भगवान का नाम लो और बांट कर खाओ) का उपदेश दिया था। दर्शन स्थल पर हर महीने सिख संगत अमावस के दिन जुटती है और वहां से विशेष रास्ते के लिए अरदास की जाती है।
(लेखक साहित्य मौर्या, जामिया मिल्लिया, दिल्ली के छात्र हैं)
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