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आसमान से बरसी आफत ने अब तक उजाड़ दिए लाखों आशियाने

गूगल आभार

-नेहा पांडेय

भारत के दक्षिणी राज्य केरल में 100 साल बाद विनाशकारी बाढ़ के कहर से तीन लाख से अधिक लोग बेघर हो गए। अब तक भारी बारिश से उपजी बाढ़ से कुल 350 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 6 लाख से अधिक लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हुए है। हालांकि भारत के मौसम विभाग ने सभी जिलों से रेड अलर्ट हटा लिया है। विनाशकारी बाढ़ का सामना कर रहे केरल के लोगों के लिए थोड़ी राहत जरूर मिली हैं क्योंकि वहीं बारिश कम होने लगी है औऱ बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं।

बारिश के कारण आई बाढ एवं अन्य हालातों से हुए नुकसान का अनुमान मुख्यमंत्री ने लगभग २० हजार करोड़ रुपए लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल का दौरा किया और ५०० करोड़ रुपए राहत पैकेज का ऐलान किया है।

भारतीय वायु सेना और नौसेना लोगों को बचाने में लगी हुई है और राहत कार्य में जुटी हुई है।

केरल में बाढ़ का कारण

वैसे तो पूरे राज्य में भारी बारिश हुई है पर कुछ राज्यों में हालात बेहद गंभीर है। ये जिले हैं इदुक्कि, कोझिकोड, मलप्पुरम, कन्नूर और वायनाड। ज्यादा समस्या इदुक्की और वायनाड के पर्वतीय इलाकों में है। इदुक्की जिले में इदुक्की बांध का पानी ठहरा हुआ है। अधिक बारिश के कारण यह बांध भर गया है। कई जगह लैंड स्लाइड होने से और सड़कों के बहने से हालात बेकाबू हो गए हैं।

भारत के मौसम विभाग के अनुसार केरल में पिछले ५ वर्षों में सबसे ज्यादा मानसून आया है। पिछले साल से तुलना करें तो १ जून से ३० सितम्बर के बीच १८५५.९ मिमी बारिश हुई थी जब कि इस साल १ जून से १० अगस्त के बीच ही १८४०.५२मिमी बारिश दर्ज की गई। इसका मतलब यह है कि कम समय में बहुत अधिक बारिश हुई है।

केरल में पश्चिमी घाट के ऊंचे पहाड़ है जो मानसून को रोक लेते हैं जिसके कारण ज्यादा बारिश होती है। इस वर्ष साउथ वेस्ट मानसून बहुत मजबूत रहा है।

केरल में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए एनसीवेब केंद्र की छात्राएं भी आईं आगे

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध नॉन कॉलेजिएट वीमेंस एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब),श्री अरबिंदो कॉलेज केन्द्र ने केरल में बाढ़ पीड़ितों की सहायता पहुंचाने व राहत राशि जुटाने के लिए पहल की है। इस दिशा में केन्द्र की बीए और बीकॉम की छात्राओं सहित शिक्षक और कर्मचारियों ने कक्षाओं में जाकर केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद करने की अन्य छात्रों से अपील की है।

श्री अरबिंदो कॉलेज सेंटर प्रभारी प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने कहा कि श्री अरबिंदो कॉलेज अपनी सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति हमेशा संवेदनशील रहा है। हाल ही में केरल में आयी प्राकृतिक आपदा जिसमें बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि हुई है। यह हमारे लिए मानवीयता का संकट है। उन्होंने अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि इस कठिन घड़ी में हम सब उनके साथ है, हमारा केन्द्र बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रो. सुमन ने बताया है कि अरबिंदो कॉलेज के सभी शिक्षक, कर्मचारी और छात्राएं केरल में आयी इस प्राकृतिक आपदा हेतु मुख्यमंत्री राहत कोष में अपना-अपना अंशदान समर्पित करेंगे। अगले सप्ताह शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्राओं के बीच जाकर राहत राशि एकत्रित की जायेगी। इससे जो राशि एकत्र होगी उस धनराशि को मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराया जाएगा।

प्रो सुमन ने बताया है कि इस आपदा में अब तक 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 3 लाख से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं। आपदा में करीब 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। प्रो सुमन ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि मनुष्य ने अपने स्वार्थ और सुखसुविधा के लिये प्रकृति का दोहन किया। इससे संतुलन जो मनुष्य और प्रकृति के बीच था वह बिगड़ता गया। इन्हीं का परिणाम है कि कहीं बाढ़ है तो कहीं सूखा। समस्या पूरी दुनिया में भयावह रूप ले रही है। अगर अब भी इससे कोई सबक नहीं लिया तो हमें कोई भी नहीं बचा सकता। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों से अपील की है कि आपदा की इस घड़ी में केरल के लोगों की सहायता करें। साथ ही उन्होंने शिक्षक संगठन  ‘डूटा’ से भी अपील करते हुए मांग की है कि वे केरल के बाढ़ पीड़ितों के लिए जल्द से जल्द राहत राशि पहुंचाएं। डूटा के अलावा डीयू के कॉलेजों के शिक्षकों से भी अपील की है कि वे केरल में बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद करें। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी शिक्षकों से केरल बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए आगे आने और स्वेच्छा से चंदा देने की अपील की।

अरबिंदो कॉलेज के शिक्षकों व कर्मचारियों ने आपदा की इस घड़ी में आज संकल्प लिया है कि वे केरल में आयी बाढ़ पीड़ितों की मदद करेंगे। इनमें परवीन प्रभाकर शुक्ला, डॉ लल्लन कुमार, डॉ शालिनी कुमारी, कीर्तिका लौटनी, मोहम्मद अरसद, डॉ निक्की कुमारी, वैशाली शर्मा, रविंद्र सिंह, दीपक कुमार, संजय कुमार सिंघल, मंगल, खुशबू आदि ने भरोसा दिलाया है कि वे अवश्य आर्थिक सहायता करेंगे।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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