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स्नातक पाठ्यक्रम में पर्यावरण विज्ञान पढ़ाना जरूरी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कहा है कि भारत में उच्च शिक्षा की सभी शाखाओं में पर्यावरण विज्ञान को अनिवार्य रूप से लागू होना चाहिए। इस पाठ्यक्रम को अतिरिक्त विषय के रूप में पढ़ाया जाएगे। इस संबंध में यूजीसी ने देश भर के विश्वविद्यालयों को अधिसूचना भी जारी किया है।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों सहित उच्च शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश दिया है कि पर्यावरण विज्ञान को स्नातक के सभी कोर्सों के साथ अतिरिक्त विषय के रूप में पढ़ाना अनिवार्य है। यूजीसी का कहना है कि वह इससे पहले भी विश्वविद्यालयों को उच्च शिक्षा की सभी शाखाओं में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए पर्यावरण अध्ययन पर छः महीने के कोर मॉड्यूल पाठ्यक्रम को अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए और पर्यावरण संरक्षण के लिए छात्रों में जागरूकता पैदा करने के लिए कई पत्रों के माध्यम से निर्देश पारित कर चुका है।

इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि यूजीसी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए कि स्नातक स्तर पर पर्यावरण विज्ञान विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ाने का आदेश भी दे चुका है। लेकिन, देशभर के कुल 706 विश्वविद्यालयों में से 306 विश्वविद्यालयों ने इस विषय को अभी तक शुरू ही नहीं किया है। उन्होंने बताया है कि जिन विश्वविद्यालयों ने पर्यावरण विज्ञान विषय शुरू भी किया है वे मनमाने तरीके से इस विषय को पढ़ा रहे हैं।

उन्होंने बताया है कि यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को कहा है कि वे स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए पर्यावरण अध्ययन के लिए छः महीने के कोर मॉड्यूल पाठ्यक्रम बनाएं। पर्यावरण अध्ययन पर मॉड्यूल को पढ़ाने का काम उन शिक्षकों को सौंपा जाएगा जो यूजीसी द्वारा निर्धारित योग्यताएं पूरी करते हैं।

उनका कहना है कि पर्यावरण विषय को पढ़ाने के लिए उसी विषय में उच्च उपाधि प्राप्त शिक्षकों की नियुक्ति करना अपेक्षित है। लेकिन, यह विषय दूसरे विषयों के स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त शिक्षकों से यह विषय पढ़वाया जा रहा है, जिसके चलते पर्यावरण विज्ञान के उच्च उपाधि प्राप्त उम्मीदवार बेरोजगारी के कारण दर-दर भटक रहे हैं।

डीयू के एसओएल और नॉन कॉलेजिएट में भी हो सकता है पर्यावरण विज्ञान

प्रो. सुमन ने बताया है कि पिछले वर्ष विद्वत परिषद की बैठक से पहले दाखिला कमेटी की बैठक में यह तय किया गया था कि शैक्षिक सत्र 2019-20 में पर्यावरण विज्ञान विषय एसओएल और नॉन कॉलेजिएट के पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाएगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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