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‘नो फादर इन कश्मीर’ जैसी कई फिल्मों का आनंद लेना हो तो पहुंचिए इंडिया हैबिटैट सेंटर

‘नो फ़ादर इन कश्मीर’

शायद आप सोच रहे होंगे ‘नो फ़ादर इन कश्मीर’ आखिर है क्या? तो आप की जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में 17 मई को 14 वीं हैबिटैट फिल्म फेस्टिवल कार्यक्रम का आगाज़ हुआ है। 26 मई को संपन्न होने वाले इस कार्यक्रम में देश के लगभग सभी स्थानीय भाषाओं में फिल्म का प्रदर्शन किया जा रहा है।

 

14वी हैबिटैट फिल्म फेस्टिवल का आगाज़ 113 मिनट के फ़ीचर फिल्म ‘नो फ़ादर इन कश्मीर’ से प्रारम्भ हुआ। इस फिल्म में मौजूदा कश्मीर को एक ऐसे नजरिये से दिखाया गया है जहां यह हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देता है। इस फिल्म की खास बात यह है कि आम हिंदी भाषी फिल्मों से बिल्कुल अलग है। फिल्म में हिंदी सिनेमा की तरह कोई लाइटिंग का प्रयोग नहीं, कोई मेकअप आदि का प्रयोग नहीं है। आम मोबाइल से जैसे हम वीडियो बनाते हैं ठीक उसी तरह इस फिल्म को फ़िल्माया गया है।

फिल्म की कहानी दो ऐसे बच्चों के इर्द-गिद्ध घूमता है जो कश्मीर का स्थानीय निवासी है। कैसे एक 14 साल का लड़का मजीद अपने दोस्त को पसंद करता है। कैसे एक दूसरे का साथी बनते है। कैसे 14 साल की विदेशी मूल की नूर लड़की अपने माँ संग कश्मीर में रहती है जो अपने कश्मीरी पिता के तलाश में कश्मीर आती है और मजीद से मुलाकात होता है। इन चित्रों को बखूबी दर्शाया गया है।

लेकिन, कहानी में मोड़ तब आता है जब दोनों किसी रोज घूमने के लिए पहाड़ों में निकल जाते हैं, और अँधेरा हो जाने से रात उसी जंगल में गुज़रते हैं। लेकिन, जैसे ही सुबह होती है फिल्म की कहानी पूरी तरह बदल जाती है। परिस्थिति कुछ ऐसा बनती है कि इस फिल्म में भारतीय सैनिक को भी दखल देना पड़ता है।

बहरहाल, आप भी इंडिया हैबिटैट सेंटर में 17 मई से 26 मई के बीच जाकर फिल्म फेस्टिवल कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं। किसी भी क्षेत्रीय भाषा में फिल्म देखने के लिए आप नेट की सहायता से हैबिटैट फिल्म फेस्टिवल साइट पर जाकर मुफ्त ऑनलाइन टिकट बुक कर सकते हैं या फिर इंडिया हैबिटैट सेंटर, दिल्ली जाकर मुफ्त ऑफलाइन भी टिकट ले सकते हैं।

हिंदी, अंग्रेजी, गुजरती, पंजाबी, मराठी, तेलगू,असम, मलयालम, कन्नड़, ऐसे कई भाषाओं में तक़रीबन 350 से अधिक फ़ीचर फिल्म, शार्ट फिल्म, स्टूडेंट फिल्म और डॉक्युमेन्ट्री फिल्मों का लुफ्त आप इसमें बिना किसी शुल्क के उठा सकते हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

साहित्य मौर्या
लेखक जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पत्रकारिता के छात्र हैं।

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