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डीयूः एमफिल-पीएचडी की सीटों में हो रही बढ़ोतरी, आरक्षित वर्ग के शोधार्थियों को खास लाभ

दिल्ली विश्वविद्यालय में 10 फीसद ईडब्ल्यूएस कोटा इसी शैक्षिक सत्र 2019-20 से लागू होगा। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) विभिन्न विभागों विज्ञान, वाणिज्य और सोशल साइंस में होने वाले एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए 10 फीसद सीटें आरक्षित करेगा। शोधार्थियों के लिए एमफिल/पीएचडी में निर्धारित सीटों के मुकाबले 10 फ़ीसदी सीटें अलग से आरक्षित होंगी। इन सीटों के बढ़ने से सबसे ज्यादा लाभ आरक्षित वर्ग के एससी, एसटी, ओबीसी शोधार्थियों को मिलेगा।

दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया कि डीन सोशल साइंस से उनकी एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में इसी सत्र से ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू करने संबंधी बातचीत हुई। उन्होंने बताया है कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 10 फीसद आरक्षण देने संबंधी सर्कुलर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से प्राप्त हो चुका है। साथ ही उन्होंने बताया है कि विभागों में कितनी-कितनी सीटें है और किन-किन वर्गों को कितनी सीटें जाएंगी। इससे संबंधित फार्मूला व आंकड़े तैयार किए जा चुके हैं। इन सीटों से आरक्षित श्रेणी की सीटों में इजाफा हुआ है।

प्रो. सुमन ने बताया है कि ईडब्ल्यूएस के तहत 10 फीसद सीटें बढ़ने के बाद डीयू के विज्ञान, वाणिज्य और सोशल साइंस विभागों में एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में 10 फीसद सीटें बढ़ जाएंगी। इन सीटों के बढ़ने से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के साथ-साथ आरक्षित सीटों में भी इजाफा होगा।

उन्होंने बताया है कि वर्तमान में एमफिल प्रोग्राम में 676 सीटें स्वीकृत हैं। इसमें 467 शोधार्थियों को प्रवेश दिया गया। इसमें सामान्य की 246, ओबीसी की 116, एससी की 69, एसटी की 36, कुल 467 सीटों पर प्रवेश हुआ।

इसके अलावा पीडब्ल्यूडी के 16 शोधार्थियों को प्रवेश दिया गया था। अब ईडब्ल्यूएस आरक्षण आने से सामान्य की 338, ओबीसी की 182, एससी की 101, एसटी की 51, ईडब्ल्यूएस की 68 सीटें हो जाएगी।

प्रो. सुमन ने बताया है इसी तरह से पीएचडी प्रोग्राम के लिए 800 सीटें हैं। इसमें सामान्य की 500, ओबीसी की 156, एससी की 110, एसटी की 34 के अलावा पीडब्ल्यूडी के 15 शोधार्थी थे। इस तरह से पीएचडी की कुल 800सीटें है। अब जब ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू हो जाएगा। इसके बाद सामान्य की 400, ओबीसी की 216, एससी की 120, एसटी की 60, ईडब्ल्यूएस की 80 सीटें हो जाएगी।

शोध निर्देशक की नहीं होगी दिक्कत

प्रो. सुमन ने बताया है कि डीन ने उन्हें यह भी बताया है कि 10 फीसद ईडब्ल्यूएस सीटों के बढ़ने से यूजीसी नियमों के तहत एक शिक्षक तय शोधार्थियों को अपने अधीनस्थ शोध निर्देशक के रूप में रख सकते हैं। उनका कहना है कि यूजीसी/विश्वविद्यालय नियमानुसार प्रोफेसर अपने अंतर्गत 8 पीएचडी और 3 एमफिल शोधार्थियों को शोध करा सकते हैं।

वहीं एक एसोसिएट प्रोफेसर अपने पास 6 पीएचडी और 2 एमफिल शोधार्थी रख सकते हैं। इसी तरह से सहायक प्रोफेसर को 4 पीएचडी और 1 एमफिल शोधार्थी के रखे जाने का प्रावधान है।

प्रो. सुमन ने बताया है कि जब विभागों में शोधार्थियों को शोध कराने वाले शिक्षकों की कमी हो जाती है तो कॉलेजों के वरिष्ठ शिक्षकों को शोध निर्देशक बनने का अवसर दिया जाता है। डीयू में बहुत से विभागों में बाहर से शोध निर्देशक (सुपरवाइजर) हैं।

प्रो. सुमन का कहना है कि देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए ईडब्ल्यूएस के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण दिए जाने पर काम जोरों पर चल रहा है। वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय में इनके आरक्षण को लेकर बड़ी तेजी से कार्य चल रहा है, जहां पिछले दिनों शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के आंकड़े मंगवाकर सीटें आरक्षित की गई। उनका कहना कि अब देखना यह है कि आंकड़े, फार्मूला और मॉडल तैयार हो गया पर लागू होने पर किसको कितना लाभ होगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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