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डीयू में 25 मई को शैक्षिक सत्र का अंतिम दिन, 22 जुलाई को नए शैक्षिक सत्र में एडहॉक को मिलेगा दोबारा नियुक्ति पत्र

दिल्ली विश्वविद्यालय में शनिवार को इस शैक्षिक सत्र का समापन हो जाएगा। इसके बाद आगामी शैक्षिक सत्र 22 जुलाई से शुरू होगा। 25 मई से 21 जुलाई तक सत्र की छुट्टी के कारण कक्षाएं स्थगित हैं। वहीं दूसरी ओर 4500 तदर्थ शिक्षकों को दिए जाने वाले नियुक्ति पत्र का समय भी 25 मई को समाप्त हो गया है।

अब एडहॉक शिक्षकों को नए शैक्षिक सत्र में दोबारा 22 जुलाई को नियुक्ति पत्र दिया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के 10 फीसद ईडब्ल्यूएस आरक्षण दिए जाने से 22 जुलाई से शुरू हो रहे सत्र में एडहॉक शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है लेकिन, अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन से रिकास्ट रोस्टर पास होकर नहीं आया है जिसके कारण ईडब्ल्यूएस आरक्षण की नियुक्ति रुक सकती है।

देखने वाली बात यह है कि दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों की प्रबंध समिति का कार्यकाल 7 मार्च को समाप्त हो चुका है लेकिन, अभी तक न तो दिल्ली सरकार से इसे एक्सटेंशन देने संबंधी कोई पत्र डीयू को भेजा गया है और न ही दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से कॉलेजों में ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी बनाने संबंधी अधिसूचना जारी की गई। इससे ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी के लिए विश्वविद्यालय द्वारा दो प्रोफेसरों के नाम भी कॉलेजों को नहीं भेजे गए हैं जिससे बहुत से कॉलेजों में अभी तक ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी नहीं बनी है। यदि जल्द ही गवर्निंग बॉडी नहीं बनती है तो एडहॉक शिक्षकों की जुलाई में होने वाली नियुक्ति में अड़चन आ सकती है। साथ ही इस बीच एडहॉक शिक्षकों को मिलने वाली गर्मी के वेतन में भी दिक्कतें आ सकती हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि शनिवार 25 मई को डीयू के नए शैक्षिक सत्र के समापन के साथ ही विभिन्न विभागों/कॉलेजों में कार्य कर रहे 4500 तदर्थ शिक्षकों के नियुक्ति पत्र का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। अब इनकी फिर से 22 जुलाई को नियुक्ति होगी। उन्होंने यह भी बताया है कि दिल्ली सरकार ने 28 कॉलेजों की प्रबंध समिति का कार्यकाल 7 मार्च को समाप्त होने के बावजूद आज तक सरकार ने अपने कॉलेजों की प्रबंध समिति को एक्सटेंशन (विस्तार) देने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति को कोई पत्र लिखा और न ही नई गवर्निंग बॉडी के नाम भेजे गए हैं। गवर्निंग बॉडी को एक्सटेंशन देने संबंधी कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र भी नहीं भेजा गया। तीन माह से डीयू और दिल्ली सरकार के बीच पत्र लिखे जा रहे हैं परंतु समस्या जस की तस बनी हुई है।

प्रो. सुमन ने बताया है कि 25 मई को एडहॉक शिक्षकों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, लेकिन प्रत्येक कॉलेज इन एडहॉक शिक्षकों से एडमिशन करना, परीक्षा कराना, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करना, एडमिशन में ड्यूटी करना के अलावा कॉलेजों में होने वाले सभी कार्य कराए जाते हैं। 22 जुलाई को नियुक्ति के बाद उन्हें गर्मी का वेतन दिया जाता है। यह सैलरी उन्हें लगभग तीन महीने की दी जाती है। उनके अच्छे कार्यों को देखकर ही कॉलेज उन्हें स्थायी करते हैं। 25 मई के बाद परीक्षा मूल्यांकन में अतिरिक्त पैसे दिए जाते हैं।

कॉलेजों में नहीं बनी ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी

प्रो. सुमन के अनुसार दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई ऐसा पत्र नहीं गया है, जिससे कॉलेज अपने यहां ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी बना सके। उनका कहना है कि यदि कॉलेजों में ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी नहीं बनती है तो शैक्षिक व गैर शैक्षिक सभी तरह के कार्य रुक जाते हैं। कुछ कॉलेजों में आज तक दो प्रोफेसरों के नाम नहीं भेजे। ऐसी स्थिति में प्राचार्य ही सर्वेसर्वा होता है। हालांकि दो प्रोफेसर, दो शिक्षक प्रतिनिधि व प्राचार्य कमेटी में सदैव रहते हैं। लेकिन, कुछ कॉलेजों में प्रोफेसरों का टर्म समाप्त होने पर अभी तक दो प्रोफेसरों के नाम नहीं भेजे।

ईडब्ल्यूएस आरक्षण से होगी कॉलेजों में नियुक्ति

सवर्ण जाति में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 10 फीसद आरक्षण दिए जाने पर हर कॉलेजों में 5 से 10 नए ईडब्ल्यूएस शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है। यह नियुक्ति तभी सम्भव है जब गवर्निंग बॉडी हो, लेकिन अभी भी कुछ कॉलेजों में दो प्रोफेसरों के नाम न भेजने के कारण ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी नहीं बनी है। उनकी नियुक्ति भी खटाई में पड़ सकती है।

कुलपति चाहें तो दे सकते हैं एक्सटेंशन

प्रो. सुमन ने बताया है कि कुलपति अपने आपातकालीन अधिकार के तहत 28 कॉलेजो की गवर्निंग बॉडी को तत्काल प्रभाव से एक्सटेंशन दे सकता है ताकि इन कॉलेजों को अराजकता से बचाया जा सके। उनका कहना है कि बहुत से कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य नहीं ऐसी स्थिति में इन कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों की आगामी शैक्षिक सत्र में नियुक्ति, साथ ही ईडब्ल्यूएस आरक्षण के तहत छात्रों, कर्मचारियों और शिक्षकों की नियुक्ति करने संबंधी अनुमति आदि भी दिए जा सकते हैं। साथ ही यदि कॉलेजों में स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होती है तो बिना चेयरमैन या बिना ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन के ये नियुक्ति कैसे संभव है। विश्वविद्यालय ने शिक्षकों की पदोन्नति के लिए पत्र भेजा है लेकिन, जब तक गवर्निंग बॉडी का चेयरमैन नहीं होगा तब तक यह कैसे संभव है।

प्रो. सुमन ने बताया है कि यूजीसी ने दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देशभर के विश्वविद्यालयों को 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर पर नियुक्ति करने को कहा है। मार्च से कॉलेजों में रोस्टर रिकास्ट को लेकर कार्य बड़ी तेजी से चल रहा है लेकिन, अभी तक डीयू प्रशासन ने रोस्टर को पास नहीं किया। मान लीजिए रोस्टर पास हो भी जाता है तो बिना गवर्निंग बॉडी के ईडब्ल्यूएस के शिक्षकों की नियुक्ति, लंबे समय से शिक्षकों की रुकी पदोन्नति, कर्मचारियों की नियुक्ति व पदोन्नति सभी कार्य रुके हुए हैं।

उन्होंने कुलपति से मांग की है कि जल्द ही एसी और ईसी की बैठक बुलाकर शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति, पदोन्नति और दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों को एक्सटेंशन देने संबंधी विषयों पर चर्चा कर उसे पास करके कॉलेजों को पत्र भेजे जाएं ताकि कॉलेज में होने वाले दाखिले, नियुक्तियां, पदोन्नति हो सकें। उन्होंने यह भी मांग की है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में अराजकता का माहौल न बने इसके लिए तत्काल ही ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी के लिए कॉलेजों को पत्र भेजे।

प्रो. सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के ना होने से ईडब्ल्यूएस आरक्षण के तहत की जाने वाली नियुक्तियों के लिए बिना गवर्निंग बॉडी चेयरमैन के नियुक्ति कैसे संभव हो सकती है जबकि आगामी शैक्षिक सत्र के पहले चरण में 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटे से शिक्षकों की नियुक्ति होनी है।

यह नियुक्ति सामान्य वर्गों के दिए गए 50:5 फीसद में से 10 फीसद आरक्षण देना होगा। डीयू ने सभी कॉलेजों को इसका मॉडल रोस्टर व पदों को भरने संबंधी जानकारी दी है कॉलेज इस दिशा में जल्द कदम उठाते हुए पदों को भरने की कोशिश कर रहे हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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