दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में दाखिले की प्रक्रिया 30 जून से शुरू हुई है। कुछ कोर्सेज में योग्यता के नियम अचानक बदल देने से कई विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है, क्योंकि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है। यह मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू में चल रही प्रवेश प्रक्रिया में लागू नए योग्यता नियमों पर विश्वविद्यालय और केंद्र सरकार का पक्ष मांगा है। सोमवार को दाखिले की नई नीति को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय और केंद्र से जवाब मांगा है।
हाई कोर्ट ने पूछा है कि दाखिले के लिए पंजीकरण शुरू होने के एक दिन पहले नियमों में बदलाव कैसे कर दिया गया?
डॉ. रसाल सिंह, सदस्य, अकादमिक परिषद ने बताया कि “संबंधित विभाग की ‘कमेटी ऑफ कोर्सेस’ अतिरिक्त पात्रता मानदंड निर्धारित करती है। पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए यह मानदंड बनाया जाता है। पाठ्यक्रम की जरूरतों के मुताबिक छात्र की योग्यता और एप्टीट्यूड इस निर्धारण का आधार होते हैं। सीओसी (COC) के बाद यह मानदंड फैकल्टी एडमिशन कमेटी द्वारा संस्तुत होकर विवि की दाखिला कमेटी के पास जाता है। वहाँ से इसे स्टैंडिंग कमेटी में भेजा जाता है। स्टैंडिंग कमेटी के बाद इसे अकादमिक परिषद द्वारा स्वीकृत किया जाना चाहिए।”
बता दें कि एक वकील चरणपाल सिंह बागड़ी ने आखिरी समय में योग्यता के नियम बदलने वाले विश्वविद्यालय के फैसले को चुनौती दी है। चरणपाल सिंह ने डीयू के इस कदम को प्राकृतिक न्याय के सिद्दांत का उल्लंघन बताया है।
याचिका में कहा गया है कि पिछले साल तक अगर किसी छात्र के गणित में 50 फीसद अंक आते थे तो वह अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) में आवेदन कर सकता था, लेकिन इस साल बेस्ट ऑफ फोर के लिए गणित को अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मतलब है कि गणित शीर्ष चार विषयों में से एक होगा और इनके कुल जोड़ को दाखिले का आधार माना जाएगा। इसी तरह से बीकॉम (ऑनर्स) में किसी छात्र के लिए गणित/बिजनेस मैथमैटिक्स के कुल जोड़ 45 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण होना अनिवार्य था। इस साल इस मानदंड में संशोधन किया गया है। नई शर्तों के मुताबिक, छात्र को गणित/बिजनेस मैथमैटिक्स में 50 फीसद या अधिक अंक के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए और कुल जोड़ अंक 60 प्रतिशत होना चाहिए। याचिका में नए मानदंड को रद करने और छात्रों को पूर्व के मानदंडों के अनुरूप ही आवेदन की इजाजत देने की मांग की गई है।
इस याचिका में डीयू के इस नए नियम को खारिज कर पुराने योग्यता नियमों के अनुसार विद्यार्थियों को आवेदन करने की अनुमति देने की अपील की गई है।
बता दें कि डीयू ने इस शैक्षणिक सत्र में दाखिले के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया 30 मई 2019 से शुरू की है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 14 जून 2019 है।
कोर्ट ने मानव संसाधन विभाग की ओर से वकील ब्रजेश कुमार और दिल्ली विश्वविद्यालय को 14 जून 2019 तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई 14 जून को होगी।
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