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10 फीसद ईडब्ल्यूएस आरक्षण एडहॉक शिक्षकों के लिए क्या नया खतरा है?

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से सम्बद्ध कॉलेजों में आगामी शैक्षिक सत्र 2019-20 में सामान्य जाति के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 फीसद आरक्षण (ईडब्ल्यूएस आरक्षण) दिए जाने के बाद से जहां सामान्य वर्गों के शिक्षक एडहॉ के रूप में पढ़ा रहे हैं उन्हें हटाया जाएगा उसके स्थान पर ईडब्ल्यूएस आरक्षण के तहत अभ्यर्थियों को लगाया जायेगा। इसके अंतर्गत पहले से पढ़ा रहे एडहॉक शिक्षक पूरी तरह से प्रभावित होंगे। हर कॉलेज में 7 से 10 शिक्षकों को बाहर कर उनके स्थान पर ईडब्ल्यूएस आरक्षण के अभ्यर्थियों को लगाया जाएगा। इस तरह से जो लंबे समय से पढ़ा रहे हैं ईडब्ल्यूएस रोस्टर के कारण ऐसे करीब 700 से 800 एडहॉक शिक्षकों की नौकरी जाना तय है।

दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि जो शिक्षक एडहॉक के रूप में लंबे समय से पुरानी रिक्तियों के आधार पर पढ़ा रहे हैं जिनको नियमानुसार स्थायी किया जाना था वे अब ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने पर दुष्प्रभावित होने जा रहे हैं। ऐसे में उनका क्या दोष जो शिक्षक लंबे समय से खाली पदों पर भरे जाने हेतु नियुक्त किए गए थे। उनका कहना है कि किसी एडहॉक को हटाकर दूसरे एडहॉक को लगाना कहां की नैतिकता है।

प्रो. सुमन का कहना है कि यूजीसी/केंद्र सरकार को चाहिए कि 10 फीसद उन सामान्य वर्गों के आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को लाना चाहिए जो सिस्टम से बाहर हैं, लेकिन जो पहले से पढ़ा रहे हैं उन्हें हटाकर उनके स्थान पर दूसरों को लगाना गलत है।

स्टॉफ एसोसिएशन की बुलाएंगे बैठक

प्रो. सुमन का कहना है कि प्रत्येक कॉलेज को चाहिए कि अपने एडहॉक शिक्षकों को सुरक्षित रखने के लिए अपने-अपने कॉलेजों में स्टॉफ एसोसिएशन की बैठक बुलाएं और इस असंगत नीति के खिलाफ लड़ने के लिए प्रस्ताव पारित करें और अपने शिक्षकों को बाहर ना जाने देने के लिए एकजुट होकर विश्वविद्यालय स्तर पर आंदोलन करे।

उन्होंने बताया है कि शैक्षिक सत्र शुरू होने से पूर्व स्टॉफ एसोसिएशन की बैठक बुलाकर ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लागू करने संबंधी समस्याओं पर चर्चा कर समाधान निकालेंगे। डीयू के कुछ कॉलेजों में अपने यहां एडहॉक शिक्षकों को बाहर न करने संबंधी बैठक हुई, जिसमें उन्होंने प्रस्ताव पारित कर कहा है कि वे अपने यहां से एडहॉक शिक्षकों को बाहर नहीं होने देंगे।

यूजीसी/सरकार सर्कुलर जारी करे

उनका कहना है कि यूजीसी स्पष्ट करे कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण के तहत बाहर से शिक्षक आएंगे ना कि पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को हटाकर आरक्षण लागू किया जाएगा।

ईडब्ल्यूएस के बारे में कोई भी स्पष्ट जानकारी सरकार ने कॉलेजों/विश्वविद्यालयों को नहीं दी है। कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के कारण रोस्टर रिकास्ट हो रहा है, जिससे हर कॉलेज से 7 से 10 शिक्षक कम से कम बाहर हो रहे हैं।

10 फीसदी आरक्षण(ईडब्ल्यूएस )बनेगा चुनावी मुद्दा

आने वाले शैक्षिक सत्र में अगस्त में डूटा (दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ) का चुनाव होना है। सामान्य वर्गों के उम्मीदवार वर्तमान में ईडब्ल्यूएस के पदों पर कार्य कर रहे हैं जब उन्हें एडहॉक शिक्षक के पदों से हटाया जाएगा तभी सभी शिक्षकों के संगठन अपनी ताल ठोकने के लिए इनके लिए खड़े हो जाएंगे और नए पद सृजित करने को कहेंगे कि इन्हें बाहर न निकाला जाये। लेकिन, अब हर कॉलेज का रोस्टर रिकास्ट हो रहा है सभी राजनैतिक दलों के शिक्षक संगठनों को पता है कि कितने सामान्य वर्गों के या एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के एडहॉक शिक्षकों को बाहर किया जाएगा। सबके सब अभी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, कुछ नहीं बोलेंगे ?

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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