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‘केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षित पद खाली क्यों? पता लगाने के लिए समिति का गठन हो’

तस्वीरः गूगल साभार

ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी, ओबीसी शिक्षक संघ ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याणार्थ संसदीय समिति, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और यूजीसी को पत्र लिखकर मांग की है कि विश्वविद्यालयों में खाली पड़ी सीटों को न भरने के कारणों का पता लगाया जाए। इसके लिए जल्द एक समिति का भी गठन किया जाए। बता दें कि केंद्रीय, राज्य व मानद विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसरों के आरक्षित पदों को काफी समय से भरा नहीं जा रहा है।

कितने पद खाली हैं, पता लगाएं

सरकार समिति का गठन करे जो पता लगाए कि यूजीसी दिशानिर्देश के लागू होने के बाद से केंद्रीय विश्वविद्यालयों व उससे संबद्ध कॉलेजों ने अभी तक कितने पदों पर आरक्षित वर्गों के शिक्षकों की नियुक्ति की है और कितने पद वर्तमान में खाली हैं जिन्हें भरा जाना है।

शिक्षक संघ के राष्ट्रीय चेयरमैन प्रो. हंसराज ‘सुमन’ व महासचिव प्रो. केपी सिंह यादव ने कहा है कि समिति में  “मानव संसाधन विकास मंत्रालय, एससी, एसटी के कल्याणार्थ संसदीय समिति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और यूजीसी से एक-एक सदस्य के अलावा सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, सेवानिवृत्त कुलपति, डीओपीटी के अधिकारियों के अतिरिक्त रोस्टर की सही जानकारी रखने वाले प्रतिनिधि को रखा जाए। समिति में एक सदस्य शिक्षक संघ का भी हो।

प्रो. सुमन व प्रो. यादव ने कहा है कि यह समिति सर्वे के माध्यम से यह पता लगाए कि केंद्रीय, राज्य व मानद विश्वविद्यालयों व उससे संबद्ध कॉलेजों ने शिक्षकों के पदों को भरने के लिए कौन सा रोस्टर लागू किया है, पोस्ट बेस रोस्टर सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में 2 जुलाई 1997 से लागू करते हुए रोस्टर रजिस्टर बनाया गया है या नहीं ? यूजीसी दिशानिर्देश को इन विश्वविद्यालयों व कॉलेजों ने लागू करते हुए एससी, एसटी, ओबीसी के शिक्षकों के आरक्षित पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकालकर कितने पदों को भरा?

यदि इन पदों को अभी तक नहीं भरा है तो एमएचआरडी व यूजीसी ने इनके विरुद्ध अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की? जिन विश्वविद्यालयों/कॉलेजों/संस्थानों ने आरक्षित पदों को नहीं भरा  उन संस्थाओं का अनुदान रोकने के लिए सरकार ने क्या प्रयास किए, कितनी बार अनुदान रोकने के लिए सर्कुलर जारी किया गया?

प्रो. सुमन औऱ प्रो. यादव ने मांग की है कि समिति तमाम मुद्दों पर विश्वविद्यालयों में जाकर वहां के एससी, एसटी शिक्षक संगठनों, ओबीसी शिक्षक संगठनों, विकलांग शिक्षकों के अलावा कर्मचारी संगठनों से बात करे कि उनकी समस्याओं पर कुलसचिव, कुलपति, लायजन ऑफिसर कितना ध्यान देते हैं।

साथ ही प्रवेश के समय एससी, एसटी, ओबीसी के छात्रों के सामने आने वाली दिक्कतों को विश्वविद्यालय प्रशासन कितनी गम्भीरता दिखाता है।

क्या  कॉलेजों/विभागों ने उनका कोटा पूरा किया है या नहीं, कितनी बार दाखिला लिस्ट निकाली, क्या-क्या कट ऑफ रखा गया, सामान्य वर्गों से कितना कट ऑफ कम किया गया, कितनी सीटों पर दाखिला हुआ और कितनी सीटें खाली रहीं। क्या छात्र उपलब्ध नहीं थे या उन सीटों पर सामान्य छात्रों को प्रवेश दिया गया।

उपरोक्त सभी विषयों पर समिति नोट कर एक रिपोर्ट तैयार करे।

प्रो. सुमन व प्रो. यादव ने समिति से यह भी मांग की है कि समिति इन विश्वविद्यालयों की वास्तविक रिपोर्ट व पदों को ना भरने के कारणों का सही पता लगाने के लिए अपनी एक सर्वे रिपोर्ट तैयार करे और यह समिति तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें तथा उसे संसद की अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याणार्थ संसदीय समिति संसद में बहस के लिए रखे ताकि आम जनता को पता चल सके कि विश्वविद्यालयों में कितनी असमानताएं पाई जाती है और इन वर्गों के शिक्षकों के साथ प्रशासन दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों होता है।

प्रो. सुमन व प्रो. यादव ने बताया है कि पिछले कई वर्षों से 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 1 अप्रैल 2018 के अनुसार विभिन्न विभागों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं।

प्रोफेसर स्वीकृत पद 2,426, एसोसिएट प्रोफेसर 4,805, सहायक प्रोफेसर 9,861 पद हैं।

इस तरह से कुल 17,902 पद बनते हैं। इन खाली पड़े पदों में प्रोफेसर के1,301, एसोसिएट प्रोफेसर 2,185, सहायक प्रोफेसर 2,120 पद हैं। कुल 5,606 पद खाली हैं, इसमें सबसे ज्यादा एससी, एसटी, ओबीसी शिक्षकों के पद हैं। इसमें अनुसूचित जाति के 873,अनुसूचित जनजाति के 493, ओबीसी के 786, पीडब्ल्यूडी के 264 खाली पदों पर नियुक्ति होनी है लेकिन, विश्वविद्यालयों द्वारा लंबे समय से इन पदों को भरा नहीं गया।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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