किसानोंं का आंदोलन जो कि 72 दिनों से लगातार दिल्ली की सीमाओं पर जारी है और ये आंदोलन 2 अक्टूबर तक जारी रहेगा। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार इन तीनों कानूनों को वापस नहीं ले लेती तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा यह आंदोलन 2 अक्टूबर तक जारी रहेगा। बीते दिनों सरकार की ओर से भारी तादाद में बॉर्डर पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया। इसकी चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। विश्व के अलग अलग हिस्सों से लोग भारत के किसानों का समर्थन कर रहे हैं। 6 फरवरी यानी कि आज किसान नेताओं की ओऱ से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर पूरे देश में चक्का जाम किया गया। भारत के अलग अलग हिस्सों में 12 बजे से 3 बजे तक चक्का जाम रहा। इसका असर दिल्ली में भी देखने को मिला। कुछ छात्र संगठन आईटीओ पर प्रदर्शन करने पहुंचे थे जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। दिल्ली मेट्रो के कई स्टेशनों को सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया गया था। इससे पहले 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों ने परेड निकाली थी जिसमें काफी हंगामा हो गया था। जो नहीं होना चाहिए था वो भी हुआ। सरकार और किसान नेताओं के बीच आरोप प्रत्योरोप भी हुए लेकिन ये आंदोलन धीरे धीरे अपना विशालकाय रूप लेता जा रहा है। लाखों किसान सीमाओं पर बैठे हैं कोई भी टस से मस होने को तैयार नहीं। दिल्ली की सीमाओं को खाली कराने के लिए सरकार तमाम कोशिशें कर रही है। किसी न किसी तरह किसानों को हटाने का प्रयास किया जा रहा है बॉर्डर पर कीलें लगा दी जाती, नुकीले कांटों वाली तारे बिछा दी जाती हैं लेकिन किसान हताश नहीं होते बल्कि उस जगह मिट्टी डाल कर फसल बोने की बात करते हैं।
किसानों की आगे की योजना
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार कानून वापस नहीं लेती है तो हम पूरे देश में यात्रा करेंगे और पूरे देश में आंदोलन होगा। टिकैत ने बार बार कहा कि हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि किसी भी गलत विचारधारा का कोई भी आदमी अगर इस आंदोलन के बीच में मिलता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। जिनके पास आधार कार्ड नहीं होगा उसे इस आंदोलन को छोड़कर जाना पड़ेगा। ये बात टिकैत ने सुरक्षा के लिहाज से कही है क्योंकि 26 जनवरी के दिन जो हुआ उसके बाद आंदोलन में लोग सचेत हो गये हैं।
किसान आंदोलन में विदेशी ताकतें भी हैं शामिल?
पहले कहा गया किसान खालिस्तानी हैं, पाकिस्तानी हैं, देशद्रोही हैं लेकिन जब से विदेशी कलाकारों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है तब से ये कहा जा रहा है कि इस आंदोलन के तार तो लंबे हैं। इसमें तो विदेशी ताकतें शामिल हैं, 26 जनवरी को कोई बड़ी योजना थी। दरअसल ये विवाद तब शुरू हुआ जब ग्रेटा थनबर्ग, रिहाना और तमाम विदेशी हस्तियां ट्वीट के जरिए इस आंदोलन के समर्थन में उतर आयीं। तब जाकर भारत के बॉलीवुड एक्टर्स ने किसान आंदोलन पर एक ट्वीट किया लेकिन अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन, सचिन तेंडुलकर, लता मंगेशकर, विराट कोहली समेत कई हस्तियों ने #IndiaTogether और #IndiaAgainstPropaganda नाम से ट्वीट करने शुरू कर दिये। अब लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया कि इतने दिनों से किसान सड़कों पर बैठे हैं तब तो आपने ट्वीट नहीं किया। कुछ इस तरफ हैं तो कुछ उस तरफ हैं आधे आधे पाले में लोग बंट गये हैं। हालांकि किसान आंदोलन लगातार बढ़ता जा रहा है। अभी तक योजना सिर्फ 2 अक्टूबर तक की थी लेकिन अब राकेश टिकैत ने कहा है कि हम लोग पूरे देश की यात्रा करेंगे।
एक ओर बात जो राकेश टिकैत ने एक इंटरव्यू के दौरान कही कि पहले किसान तीन क्विंटल गेंहू में एक तोला सोना खरीद लेता था। दरअसल, पहले लोग एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु का लेन देन करते थे, जिसे वस्तु विनिमय कहा जाता है। उस समय रुपये पैसे का इस्तेमाल नहीं किया जाता था सामान के बदले सामान जो भी जरूरत का है वो लोग ले लेते थे। लेकिन वर्तमान में हर चीज के दाम बढ़ गये किसान घाटे की खेती करने को मजबूर है। इसलिए किसान कह रहे हैं कि एमएसपी पर कानून बना दिया जाए और ताकि फसलों के सही दाम किसानों को मिल सके।
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