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किसान नेताओं ने 6 फरवरी को चक्का जाम करने का ऐलान क्यों किया?

किसान आंदोलन को दो महीने से ज्यादा हो गया है न तो किसान पीछे हटने को तैयार है और न ही सरकार। सरकार ये बिल वापस लेने को तैयार नहीं दिख रही है। सरकार इस आंदोलन को खत्म करने के लिए दूसरे तरीके अपना रही है, यह एक सवाल बन गया है जिसे हर कोई जानना चाह रहा है क्योंकि बॉर्डर पर सुरक्षाकर्मियों की संख्या और फोर्स की तैनाती के साथ अब नुकीले तारों की बैरिकेडिंग भी हो रही है। इस पर तमाम तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। साथ ही इंटरनेट भी बंद है। इन सभी सरकारी तैयारियों को देखते हुए किसानों ने भी महापंचायत के बाद बड़े स्तर पर आंदोलन की तैयारी कर ली है। किसान नेताओं की ओर से कहा गया है कि 6 फरवरी को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक पूरे देश में चक्का जाम करेंगे। किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि धरना स्थल पर पानी बिजली सब बंद कर दिये गये हैं। सड़कें बंद कर दी गई हैं जिससे वहां से कोई भी वाहन या पानी का टैंक धरना स्थल तक नहीं पहुंच सकता। जो ट्रेनें आ रही हैं दिल्ली के लिए उनको कहीं ओर भेज दिया जाता है। योगेंद्र यादव ने भी इसकी जानकारी अपने फेसबुक पोस्ट के जरिये दी थी कि 1000 किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए फिरोजपुर मुंबई पंजाब मेल को आज सुबह रोहतक से रेवाड़ी मोड़ दिया गया। इन सभी चीजों को देखते हुए किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

लोग सवाल उठा रहे हैं कि 1975 के बाद ये दूसरी बार है जब लगने लगा है कि देश में अघोषित आपातकाल लागू सा माहौल दिखाई देने लगा है। 1975 और 2021 में फर्क बस इतना है कि उस समय अखबारों को बंद कर दिया गया था और आज इंटरनेट बंद किया जा रहा है। पत्रकारों को जेल में डाला जा रहा है। देश में एक बड़े स्तर पर दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान आंदोलन चल रहा है। दिल्ली की सीमाएं अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की तरह तब्दील कर दी गई हैं। लोग खुद सोचने पर मजबूर हैं कि आखिर ये सब हो क्या रहा है? हमने 1975 का दौर तो नहीं देखा लेकिन लग रहा है कि 1975 का दौर एक बार फिर से दोहराया जा रहा है। डिजिटल इंडिया कहे जाने वाले देश में आज 250 ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिये गये। इनके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि ये अकाउंट फर्जी और भड़काने वाले हैशटेग चलाते हैं। इन पर ये आरोप लगा है कि इन्होंने हैशटेग #ModiPlanningFarmerGenocide चलाया। इसका मतलब है कि ये लोग प्रधानमंत्री पर किसानों का नरसंहार करने का आरोप लगा रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि जो अकाउंट बंद किये गये हैं उनमें प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर का भी है जो कि ट्विटर ने गलती से बंद कर दिया है जल्दी ही उनका अकाउंट अनब्लॉक कर दिया जाएगा। बंद किये गये अकाउंट में एक्टर सुशांत सिंह, द कारवां और संयुक्त किसान मोर्चा भी शामिल था जो कि दोबारा से ट्विटर ने चालू कर दिए हैं।

सड़कों पर बिछाए नुकीले कांटे
किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करते हुए 70 दिन हो चुके हैं लेकिन किसान अब एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। 26 जनवरी को दिल्ली में जो हिंसा हुई उसके बाद से किसान आंदोलन को खत्म करने का मौका सरकार को मिल गया है। लेकिन इसके बावजूद किसान आंदोलन में लोग जुड़ते ही जा रहे हैं। लोग यह कह रहे हैं कि सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर पर पहले से ही इंटरनेट बंद किया हुआ है। मेन स्ट्रीम मीडिया की गलत रिपोर्टिंग के बाद आंदोलन टूटने लगा, लेकिन मीडिया प्रोपेगैंडा पूरी तरह फेल हो गया है। शायद इसलिए ही अब सरकार दूसरे हथकंडे अपना रही है। किसानों के ऊपर तो सरकार इतनी मेहरबान है कि सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर सड़के खुदवाकर नुकीले कांटे लगा दिये गये। जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई, बड़े-बड़े पत्थर रखवा दिये गए। तथाकथित स्थानीय लोग किसी एक पार्टी के मान लिए गए हैं जो किसानों को लठ्ठ बजाने हर बॉर्डर पर बारी-बारी से उतर रही है। इस पर पुलिस प्रशासन खामोश होता है। सवाल पूछने पर पत्रकारों को बॉर्डर पर से उठाया जा रहा है। फर्जी मुकदमें करने की भी खबरें सामने आ रही हैं।

6 फरवरी को किसान करेंगे चक्का जाम
किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 6 फरवरी को पूरे देश में 12 बजे से लेकर 3 बजे तक राष्ट्रीय और राज्य मार्गों पर चक्का चाम करेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वो सरकार से बातचीत से इस समस्या का हल निकाले। हम बातचीत करने के लिए तैयार है, किसान मोर्चा के 40 संगठनों की 40 सदस्यों की कमेटी है, उससे सरकार बात करे। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में ये कहा गया है कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है। अगर किसान संगठन आगे भी चर्चा चाहते हैं तो कृषि मंत्री एक फ़ोन कॉल दूर हैं।

बजट पर क्या बोले किसान?
किसान नेताओं ने बजट को लेकर सरकार पर महत्वपूर्ण सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा है कि यह बजट किसानों के लिए बिल्कुल भी नहीं है। योगेंद्र यादव ने बजट को लेकर भी कहा कि लोगों ने उम्मीद की थी कि इस बार किसान के लिए बजट में कुछ तो होगा। लेकिन सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। योगेंद्र यादव ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि ये बजट कृषि क्षेत्र को ओर आगे लेकर जाएगा। किसानों की आमदनी दोगुनी करेगा, पर हकीकत कुछ ओर है। कृषि और संबद्ध क्षेत्र जिसमें सब कुछ शामिल है। 2020 में इसका बजट 1,54,000 करोड़ रुपये था और 2021 में 1,48,000 करोड़ रुपये है। 6000 करोड़ रुपये कम किया है। उन्होंने आगे कहा कि 2020 में सरकार ने अपने बजट का 5.1% खर्च किया था। इस साल 4.3% किया है। इसी तरह राकेश टिकैत ने सरकार के लोन देने के इरादे पर प्रहार करते हुए कहा कि यह सरकार किसान विरोधी इरादे से सब कुछ कर रही है। अब यह लड़ाई किसानों की पगड़ी का सवाल बन गई है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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