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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद क्या नूपुर शर्मा पर कानूनी कार्रवाई होगी?

पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा, हां पूर्व क्योंकि नूपुर को भाजपा से निलंबित कर दिया गया, जिसने पूरे देश में आग लगाने का काम किया। अब तो इस बात को देश की सर्वोच्च अदालत ने भी कह दिया कि “उसने देश भर में भावनाओं को प्रज्वलित किया है। देश में जो हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले जिम्मेदार है।” इसके बाद क्या कुछ कानूनी कार्रवाई होगी या होने वाली है इस पर चर्चा करने वाले हैं लेकिन पहले ऑल्ट न्यूज के सह संपादक मोहम्मद जुबैर के मामले को समझना जरूरी है तभी समझ आयेगा कि नूपुर मामले की गंभीरता क्या है? क्या वाकई देश में मौजूदा सरकार पर एक धर्म विशेष को टारगेट करने का आरोप सही है?

पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर नूपुर ने ऐसा बवाल मचाया कि अभी तक तमाम हिंसक बयानबाजी के बीच हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा उदाहरण उदयपुर कांड है जिसमें टेलर कन्हैया के नूपुर का तथाकथित समर्थन कुछ कट्टरपंथियों और आतंकवादियों को नागवार गुजरा और हत्या कर दी और इस हत्या का तरीका दरअसल आतंकी वाला ही है जिसे सुनकर ही दिल कांप जायेगा।

अब बात करते हैं नूपुर की टिप्पणी का। देशभर ने नूपुर की ओर से पैगम्बर पर विवादित बयान दिए जाने को टीवी डिबेट में सुना और देखा और सोशल मीडिया पर भी घूमता रहा ताकि इस पर कार्रवाई हो सके। और सोशल मीडिया पर शेयर करने वालों में से पहले मोहम्मद जुबैर ही थे। इसके बाद ही लोगों के बीच ज्यादा चर्चा में यह बात आई। Alt News के पत्रकार मुहम्मद जुबैर ने ट्विटर पर नूपुर शर्मा द्वारा न्यूज चैनल पर दिए उसी विवादस्पद टिप्पणी का एक वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा था कि “भारत में प्राइम टाइम डिबेट्स ऐसा प्लेटफार्म बन गया है जो नफरत फैलाने वालों को दूसरे धर्मों के खिलाफ बुरा बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.”

शायद इसलिए ही मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी हो गई, लेकिन इस बात को आधिकारिक रूप से कहना सही नहीं है क्योंकि इसके उलट जो कार्रवाई दिल्ली पुलिस के द्वारा जुबैर पर की जा रही है शायद सबसे पहले नूपुर के खिलाफ ही होनी थी लेकिन नूपुर की गिरफ्तारी तक न हुई और मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी हो गई। उन पर धारा 153 और 295 A के तहत केस दर्ज किया गया है। लोगों के बीच घृणा या हेट भड़काने का मामला है जिससे सार्वजनिक शांत नहीं हो सकती। यह सही है जब नूपुर के बयान को ट्विटर पर मोहम्मद जुबैर के द्वारा शेयर किया गया । इसके बाद ही जुबैर पर कार्रवाई की गई।

लेकिन मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी का कारण एक ट्वीट जो 4 साल पहले की गई थी। उसके आधार पर की गई। 24 मार्च 2018 को पोस्ट किये गए इस ट्वीट में 1983 में आई एक कॉमेडी फिल्म किसी से न कहना का एक स्क्रीन शॉर्ट था, जिसमें दिखता है कि कैसे एक होटल का नाम “हनीमून होटल” से बदलकर “हनुमान होटल” कर दिया गया है.

जुबैर की गिरफ्तारी के तौर तरीकों पर सवाल दिल्ली पुलिस पर उठ ही रहे हैं क्योंकि नूपुर शर्मा जिसके खिलाफ भी कई एफआईआर अलग-अलग राज्यों में दर्ज हैं। धाराएं भी लगभग एक जैसी होने के बाद भी जुबैर की गिरफ्तारी और नूपुर की अभी तक गिरफ्तारी न होना पुलिस और मौजूदा बीजेपी सरकार की नियति पर सवाल उठाते हैं। इस बीच पुलिस ने ट्विटर को नोटिस भेज कर hanumanbhakt twitter हैंडलर के बारे में जानकारी मांगी है. अंडर सेक्शन 91 CRPC के तहत ट्विटर को नोटिस भेजा है. जिस टिवटर के ट्वीट पर पुलिस कार्रवाई कर रही थी, वहीं टिव्टर हैंडल गायब होने से अब पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं। अब जुबैर अपनी गिरफ्तारी को लेकर हाईकोर्ट का सहारा ले रहे हैं।

इधर सुप्रीम कोर्ट के नूपुर पर सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियों पर गौर कीजिए। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पैगंबर मोहम्मद पर कथित टिप्पणी के मामले में नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) ने कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज दर्जनों एफआईआर (FIR) की जांच के लिए दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नूपुर शर्मा को फटकार लगाई।

लाइव लॉ पर छपी खबर के मुताबिक कोर्ट ने कहा, “उसने देश भर में भावनाओं को प्रज्वलित किया है। देश में जो हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले जिम्मेदार है।” जैसे शर्मा की ओर से पेश एडवोकेट मनिंदर सिंह ने उनके द्वारा जारी लिखित माफी की ओर इशारा किया, अदालत ने कहा, “उसे टीवी चैनल में जाकर देश से माफ़ी मांगनी चाहिए थी। उसने माफी मांगने में भी देरी की है और वह भी सशर्त रूप से कहती है कि अगर भावनाओं को ठेस पहुंची है।”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल की प्रवक्ता होने से किसी के खिलाफ अपमानजनक बातें करने का लाइसेंस नहीं मिलता है। आगे कहा, “ये बिल्कुल भी धार्मिक लोग नहीं हैं, ये भड़काऊ बयान देते हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने शर्मा पर निचली अदालतों को दरकिनार कर सीधे शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने पर भी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा, “याचिका में उसके अहंकार की बू आती है कि देश के मजिस्ट्रेट उसके लिए बहुत छोटे हैं।”

 27 मई को टाइम्स नाउ में ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर चैनल डिबेट के दौरान शर्मा ने पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। आज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चैनल के पास इस मामले पर चर्चा करने का कोई अधिकार नहीं है, जब मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

नूपुर के बयानों को लेकर कोर्ट ने कहा कि अगर वो अपने बयानों के दुरुपयोग से व्यथित हैं, तो उन्हें एंकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए थी। जिस पर उन्होंने डिबेट के दौरान विवादित बयान दिया था। कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी के मामले के आधार पर सभी राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक साथ क्लब कर सुनवाई करने की अपील को ठुकरा दिया।  जस्टिस कांत ने टिप्पणी की, “किसी विशेष मुद्दे पर अधिकार व्यक्त करने पर एक पत्रकार का मामला एक प्रवक्ता से अलग आधार पर है जो परिणामों के बारे में सोचे बिना गैर-जिम्मेदाराना बयानों दे रही हैं।”   

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अब नूपुर शर्मा को गिरफ्तार करने की मांग तेज हो गई है। ओवैसी सहित तमाम नेताओं ने बीजेपी पर हमला बोल दिया है। ओवौसी ने कहा कि नूपुर शर्मा हैदराबाद में बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मेंबर हैं। वह आज भी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं। आप नूपुर शर्मा को बचा रहे हैं और दूसरी तरफ जुबैर को गिरफ्तार कर रहे हैं। एक महिला को बचा रहे हैं और दूसरी तरफ एक महिला के नाम पर जो घर है, उसे तोड़ देते हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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