इस देश में क्या अब पुलिस फैसला ऑन द स्पॉट करके यह बताना चाहती है कि अब न्यायपालिका की जरूरत नहीं रह गई?
क्या अब इस देश में कोई लोकतांत्रिक तरीका नहीं बचा है?
इस देश में क्या अब किसी की मौत पर असली गुनहगारों को सजा मिल पाएगी?
विकास तो एनकाउंटर में मारा गया, लेकिन क्या इस देश का विकास ऐसे हो पाएगा। यही कुछ सवाल हैं, जिनका जवाब हर कोई आज यूपी सरकार से पूछ रहा है।
विकास दुबे आतंकवादी था, उसे सजा मिलनी चाहिए थी। उसके मारे जाने से दुखी कोई नहीं है लेकिन, उस विकास दुबे को अचानक मार देने से विकास दुबे के तार जिन नेताओं और बड़े ओहदे पर बैठे लोगों से जुड़े हुए थे। उसकी सफाई हो गई। शायद विकास दुबे अभी ऐसे ही फलते-फूलते रहेंगे क्योंकि विकास दुबे पैदा करने वाले भ्रष्ट पुलिस अधिकारी और नेताओं की पोल खुलने से बच गई। गैंगेस्टर और 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे और उसके करीबी को एनकाउंटर में फैसला ऑन द स्पॉट के तहत मारकर सारे सबूत एक तरह से मिटा दिए गए। क्योंकि उसी से तमाम बड़े-बड़े लोगों को जेल की सजा काटनी पड़ती। इसलिए ही यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव कहते हैं कि दरअसल यह कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है।
दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 10, 2020
प्रियंका गांधी कह रही हैं, “अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?”
अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 10, 2020
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि
अपराधी को सज़ा मिलनी चाहिये।
पर क्या सज़ा की आड़ में कई सफ़ेदपोश, अधिकारी, चोलेधारी व राजनेता अपराधी की ज़ुबान बंद कर अपने राज़ दफ़न कर गए?
#विकास_दुबे का एनकाउंटर जवाब कम और सवाल ज़्यादा छोड़ गया।
अपराधी को सज़ा मिलनी चाहिये।
पर क्या सज़ा की आड़ में कई सफ़ेदपोश, अधिकारी, चोलेधारी व राजनेता अपराधी की ज़ुबान बंद कर अपने राज़ दफ़न कर गए?#विकास_दुबे का एनकाउंटर जवाब कम और सवाल ज़्यादा छोड़ गया।
सुनिये ?? pic.twitter.com/M827eFQWul
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 10, 2020
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में राज्य की कमान संभाली थी। 2019 के जनवरी में उन्होंने अपनी पीठ थपथपाते हुए एक प्रेस रिलीज़ जारी की थी, इसमें कहा गया है कि तकरीबन दो साल में 67 से ज़्यादा पुलिस एनकाउंटर की बात कही गई थी। इनमें से कई के फ़र्ज़ी होने के आरोप सरकार पर लगे थे। ताबड़तोड़ होने वाली मुठभेड़ों पर न सिर्फ़ विधानसभा और संसद में हंगामा मचा, बल्कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी सवाल उठाए।
हम बात करेंगे कि विकास दुबे के मामले में एनकाउंटर को लेकर क्या महत्वपूर्ण सवाल उठ रहे हैं, लेकिन उससे पहले जान लीजिये कि अब तक क्या क्या हुआ।
कानपुर के बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर 2 जुलाई आधी रात के बाद बदमाशों ने हमला कर दिया। घरों की छत से पुलिस पर गोलियां बरसाई गईं। आत्मरक्षा में पुलिस ने भी गोलियां चलाईं। गोलीबारी में सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।
कानपुर के बिकरू गांव में मुठभेड़ के दौरान आठ पुलिसकर्मियों की दर्दनाक मौत के बाद मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की तलाश में पुलिस की दर्जनों टीमें लगाई गईं।
4 जुलाई को विकास दुबे के आलीशान घर में मौजूद लोगों को बाहर निकालकर पूरा मकान ध्वस्त कर दिया गया।
मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर के बाहर 9 जुलाई को सुबह गिरफ्तार किया गया।
पुलिस के अनुसार “विकास दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद पुलिस व एसटीएफ़ टीम आज दिनांक 10.07.2020 को कानपुर नगर ला रही थी। कानपुर नगर भौंती के पास पुलिस का उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गया, जिससे उसमें बैठे अभियुक्त व पुलिस जन घायल हो गए। इसी दौरान अभियुक्त विकास दुबे ने घायल पुलिसकर्मी की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की। पुलिस टीम द्वारा पीछा कर उसे घेर कर आत्मसमर्पण करने हेतु कहा गया किन्तु वह नहीं माना और पुलिस टीम पर जान से मारने की नीयत से फ़ायर करने लगा। पुलिस द्वारा आत्मरक्षार्थ जवाबी फायरिंग की गई, विकास दुबे घायल हो गया, जिसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ इलाज के दौरान अभियुक्त विकास दुबे की मृत्यु हो गई।”
गौर करने वाली बात यह भी है कि पुलिस ने बताया कि जिस गाड़ी में विकास दुबे बैठा था, उसके सामने भैंसों का झुंड आ गया था जिसके बाद ड्राइवर ने बचाने के लिए गाड़ी मोड़ी, जिससे गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई। इस दौरान पुलिसकर्मी थके हुए थे। विकास ने मौका देखकर पुलिसकर्मी का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। उसे रोकने की कोशिश की गई तो उसने पुलिस पर गोलियां चलाईं जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया।
इससे पहले पुलिस मुठभेड़ में प्रेम प्रकाश पांडेय और अतुल दुबे बिकरू गांव के जंगल में मारे गए थे। विकास दुबे की तलाश में पुलिस ने विकास के करीबी विकास दुबे का भतीजा अमर दुबे को हमीरपुर में मार दिया गया। फरीदाबाद में गिरफ्तार करके कानुर ले जाते समय प्रभात मिश्रा को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। पुलिस ने बताया था कि प्रभात पुलिस से भागने की कोशिश कर रहा था इसके बाद उसे मारा गया। इटावा में पुलिस के साथ मुठभेड़ में प्रवीड़ उर्फ बउवा मारा गया।
इस तरह से आठ दिन, छह एनकाउंटर करके विकास दुबे की गैंग को खल्लास कर दिया गया।
इस तरह से विकास दुबे के मामले में हुए इन एनकाउंटर से सवाल उठने लगे।
पुलिस का कहना है कि जिस गाड़ी से विकास दुबे को लाया जा रहा था वो रास्ते में पलट गई। लेकिन, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में गाड़ी के पलटने के निशान नहीं मिलने की बात कही गई है।
यदि इसे संयोग मान लिया जाए तो भी बड़ा सवाल यह है कि जब इतने बड़े अपराधी को पुलिस गाड़ी में ला रही थी तो उसके हाथ खुले क्यों थे? क्या उसे हथकड़ी नहीं लगाई गई थी?
यह भी कहा जा रहा है कि एक न्यूज चैनल के रिपोर्टर की गाड़ी भी उस काफिले के पीछे थी जिस काफिले के जरिए विकास दुबे को कानपुर लाया जा रहा था। लेकिन एनकाउंटर से ठीक पहले रिपोर्टर की गाड़ी को रोक दिया गया और कुछ ही देर बाद एनकाउंटर की बात निकलकर सामने आई। इस मामले में शहजाद पूनावाला ने मानवाधिकार आयोग से जांच कराने की गुहार भी लगाई है।
#WATCH Media persons, who were following the convoy bringing back gangster Vikas Dubey, were stopped by police in Sachendi area of Kanpur before the encounter around 6.30 am in which the criminal was killed. (Earlier visuals) pic.twitter.com/K1B56NGV5p
— ANI UP (@ANINewsUP) July 10, 2020
I have filled a complaint with the National Human Rights Commission on the alleged #fake_encounter of #vikasDubeyEncounter this #fridaymorning as part of a “script” to protect UP politicians & the Yogi Adityanath ji govt & other UP police officers. #vikasDubeyEncounter pic.twitter.com/d5JlHM4BmC
— Tehseen Poonawalla Official (@tehseenp) July 10, 2020
एक दिन पहले जिस तरह विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई, उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि उसने खुद मंदिर परिसर में कुछ लोगों को अपनी पहचान बताई थी। यदि वह गिरफ्तारी के लिए तैयार नहीं था तो एक हाई सिक्यॉरिटी जोन में क्यों गया? यदि कल गिरफ्तारी के लिए तैयार था तो आज उसने भागने की कोशिश क्यों की?
भैंस के झुंड के सामने आ जाने पर विकास दुबे जिस गाड़ी में था उसके पलटने पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अगर ऐसा हुआ तो फिर गाड़ी पलटने पर वहां निशान क्यों नहीं मिले।
गुरुवार को प्रभात और शुक्रवार को विकास दुबे, इन दोनों का जिस तरह दो दिन में एनकाउंटर हुआ और पूरे घटनाक्रम को देखें तो यह सवाल जरूर उठता है कि क्या यह संयोग है? प्रभात के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने इसी तरह का घटनाक्रम बताया था कि पहले पुलिस की गाड़ी पंक्चर हुई फिर प्रभात पुलिसकर्मियों से पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश करने लगा और फिर एनकाउंटर में मारा गया। आज भी सबकुछ ठीक उसी तरह से हुआ है।
दो दिन में दो बार अपराधी पुलिसकर्मियों से हथियार छीन लेते हैं। जानकार सवाल उठा रहे हैं कि क्या पुलिसकर्मियों ने अपने हथियार रखने में लापरवाही बरती जो उनके गिरफ्त में मौजूद कोई बदमाश हथियार छीन लेता है।
विकास दुबे की गिरफ्तारी से लेकर उसके एनकाउंटर तक, सब कुछ काफी फिल्मी रहा है. पहले तो उसका कानपुर से उज्जैन तक का सफर तय करना, फिर उसका उज्जैन में ‘मैं ही हूं विकास दुबे कानपुर वाला’ बोलना और अब उसका इस अंदाज में एनकाउंटर। इन सभी घटनाओं को देखने के बाद कई लोगों को ये एक फिल्मी कहानी लग रही है।
तापसी भी अपने ट्वीट के जरिए इसी तरफ इशारा कर रही हैं। तापसी ट्वीट कर कहती हैं- क्या बात है ये तो हमने कभी सोचा ही नहीं था, और फिर हम लोग बॉलीवुड पर ये आरोप लगाते हैं कि वो वास्तविकता से दूर है।
Wow! We did not expect this at all !!!! ?
And then they say our bollywood stories are far from reality ? https://t.co/h9lsNwA7Ao— taapsee pannu (@taapsee) July 10, 2020
कांग्रेस ने भी इसी तरह दस से ज्यादा सवाल खड़े किए हैं, जिनमें कहा है कि
विकास दुबे का नाम 25 मोस्ट वांटेड अपराधियों की लिस्ट में शामिल क्यों नहीं था?
अगर उसे भागना ही था तो उज्जैन में जाकर सरेंडर क्यों किया?
विकास दुबे को पहले हवाई मार्ग से लाए जाने की बात चल रही थी, फिर बाद में इसे क्यों बदला गया?
विकास दुबे को एक्सिडेंट से पहले सफारी गाड़ी में देखा गया था. एक्सिडेंट दूसरी गाड़ी में हुआ लेकिन अब कुछ और बताया जा रहा है।
विकास के एक पैर में लोहे की रॉड लगी थी तो वो भाग कैसे सकता है?
अगर वो भाग रहा था तो पुलिस की गोली सीने में कैसे लगी?
घटनास्थल पर गाड़ी फिसलने के कोई निशान मौजूद क्यों नहीं थे?
विकास अगर भाग रहा था तो उसके कपड़े सूखे कैसे थे, कीचड़ के निशान क्यों नहीं थे?
इन सवालों का जवाब क्या हमें मिल पाएगा। य़ह अपने आप में ही एक सवाल है। अब देखना यही है कि क्या हम और आप केवल इसी तरह से सब कुछ होता देखते रहेंगे। क्या संविधान और कानून भी अब ठीक से लागू होगा। हां एक बात यह अब प्रमाणित है कि विकास दुबे का इस तरह से एनकाउंटर करने से देश का विकास तो नहीं ही होगा, अगर यह एनकाउंटर फर्जी हुआ तो…
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