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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल पूछने पर जेल भेजना नवीन परंपरा की शुरुआत तो नहीं?

तस्वीरः गूगल साभार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना प्रेमी बताने वाली महिला हेमा श्रीवास्तव की आवाज़ उठाने वाले पत्रकारों व मीडिया संस्थानों के लोगों को जेल में डाल प्रधानमंत्री के महिला सशक्तिकरण अभियान को कमज़ोर किया जा रहा है। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तानाशाही रवैये से देश के तमाम लेखकों व पत्रकारों में रोष है।

उस महिला से अगर मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट (योगी आदित्यनाथ) का कोई प्रेम प्रसंग, मित्रता व जान-पहचान नहीं है, तो उन्हें सामने आकर अपना पक्ष रखना चाहिए। अगर यह प्रेम हेमा श्रीवास्तव की गलतफहमी है, तो भी योगी आदित्यनाथ जी को सामने आकर चीज़ों को स्पष्ट करने की ज़रूरतत है क्योंकि प्रधानमंत्री जी महिला सशक्तिकरण के पुरज़ोर समर्थक हैं।

सवाल पूछने वालों को जेल भेजने की परंपरा रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार लोकतंत्र में एक नवीन परंपरा की नींव रख रही है, जिसमें सवाल पूछने और आलोचना करने वालों की जगह जेल में है। मुख्यमंत्री ने अपने कथित प्रेम पर जिस प्रकार पूरे सिस्टम को अपने निजी विषय पर लगा दिया, यह भी लोकतंत्र का नया ट्रेंड होगा। सौ बात की एक बात यह है कि भविष्य में उठने वाली आवाज़ों पर ब्रेक लगाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

अब बात करते हैं प्रशांत कनौजिया की, जिन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली-नोएडा स्थित उनके निवास से उठा लिया। वह चर्चित निर्भीक पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं, साथ ही ‘द वायर’ से भी जुड़े रहे हैं। प्रशांत की पत्नी के अनुसार चार से पांच पुलिस अफसर सादी वर्दी में बिना वॉरंट उन्हें घर से गिरफ्तार कर लखनऊ ले गए हैं। यह भी आश्चर्यजनक बात है कि बिना अरेस्ट वॉरंट के प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी आखिरी क्यों हुई?

प्रशांत कनौजिया की टिप्पणी कुछ इस प्रकार थी.., वें मुख्यमंत्री की कथित प्रेमिका का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखतें है.. “इश्क छुपता नही छुपाने से योगी जी”  जोकि किसी भी प्रकार से आपत्तिजनक नहीं है।

आम जनता को आवाज़ उठानी होगी।

सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन हम देश की आने वाली पीढ़ी के लिए कौन सा उदाहरण व परंपरा छोड़ रहें हैं, जिसमें सवालों व अभिव्यक्ति पर जेल जाना पड़ता है। हुक्मरानों की यह अघोषित इमरजेंसी भी कही जा सकती है। इस पर आम जनों को भी आवाज़ उठानी होगी क्योंकि आपकी आवाज़ बनने वालों को आपके हुक्मरान जेल में डाल रहे हैं।

हेमा श्रीवास्तव खुद को कानपुर का बाशिंदा बताती हैं, जो सुर्खियों में तब आईं जब वह कुछ प्रेम-पत्रों के साथ लखनऊ मुख्यमंत्री आवास पर पहुंच गईं और खुद को मुख्यमंत्री की प्रेमिका बताते हुए मिलने की ज़िद्द की। महिला ने बताया कि वह बहुत परेशान हैं और मुख्यमंत्री से उनके प्रेम पर साफ जवाब चाहती हैं।

उन्होंने बताया कि वह योगी से पहली बार गोरखपुर में मिली थीं, उसके बाद से ही मुख्यमंत्री व उनके बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये बातें होती रहीं, लेकिन अब वह अपने जवाब चाहती हैं। हेमा के अनुसार उसने एक पत्र उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सौंपा है, जिन्होंने उस पत्र को मुख्यमंत्री योगी तक पहुचाने का आश्वासन दिया है।

प्रश्न प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी उठता है, वह अपने मुख्यमंत्री द्वारा महिला की आवाज़ उठाने वालों को जेल में क्यों डलवा रहे हैं? प्रधानमंत्री मोदी व पार्टी अध्यक्ष को मुख्यमंत्री योगी पर उचित कार्रवाई करते हुए जनता को स्पष्टीकरण देना चाहिए।

यह वही यूपी पुलिस है जिनके नाक के नीचे आए दिन उत्तर प्रदेश में हत्याकांड, लूट, रेप और अवैध खनन हो रहे हैं। इसपर पुलिस इतनी मुस्तैदी से कोई कार्रवाई नहीं करती दिखती, लेकिन एक साधारण कैप्शन लिखने पर पत्रकार को दिल्ली से उठा ले जा रही है।

लेखक का नाम हर्षित आजाद है, ये सामाजिक कार्यकर्ता है, और राजनीति स जुड़े मुद्दों पर लिखतें है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

हर्षित आजाद
लेखक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखतें है।

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