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यूजीसी रेगुलेशन लागू होने पर छह साल पहले हड़ताल में शामिल शिक्षकों पर गिर सकती है गाज!

विश्वविद्यालय व कॉलेजों के शिक्षकों की नियुक्ति व पदोन्नति के लिए बनाये गए नियमों को लागू करने संबंधी यूजीसी रेगुलेशन- 2018 को दिल्ली विश्वविद्यालय ने ईसी से पारित करते हुए कॉलेजों को भेज दिया है, जिससे कि नियुक्ति व पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की जा सके।

दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य व हाई पावर कमेटी के पूर्व सदस्य प्रो.हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि यूजीसी रेगुलेशन-2018 के लागू होने पर जहां एडहॉक और स्थायी शिक्षकों में खुशी का माहौल है, वहीं छह साल पहले (28 अगस्त,2013) को शिक्षक हड़ताल में लगभग 712 शिक्षक शामिल हुए थे, हड़ताल में शामिल उन सभी शिक्षकों की एक दिन की सैलरी काटी गई थी जिसकी बहाली आज तक नहीं हुई है। इन शिक्षकों की पदोन्नति का मामला आज तक लटका हुआ है।

कॉलेज प्राचार्यों का कहना है कि जब तक एक दिन की कटी सैलरी के मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन लिखित में नहीं दे देता है कि उन शिक्षकों की पदोन्नति कैसे करेंगे जिनकी विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक दिन की सैलरी काटने के निर्देश दिए थे जब तक डीयू प्रशासन उन शिक्षकों के एक दिन के वेतन देने संबंधी सर्कुलर जारी नहीं कर देता उन शिक्षकों की पदोन्नति संभव नहीं है।

प्रो. सुमन ने बताया है कि कॉलेजों में आज तक एक दिन के सर्विस ब्रेक के नाम इमोशनल ब्लैकमेल किया जा रहा है, भय और आतंक का माहौल बना हुआ है, यदि  कॉलेजों में प्रमोशन होती है तो उन्हें उससे वंचित किया जा सकता है? कॉलेज प्राचार्यों का यह भी कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, इसी तरह से डूटा, एसी, ईसी के हमारे प्रतिनिधियों ने कभी भी इस मुद्दे को उठाया और न ही समाधान करने संबंधी ही लिखा, ऐसे में यह मुद्दा और गम्भीर होता जा रहा है।

प्रो. हंसराज ‘सुमन’ दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश कुमार त्यागी को पत्र लिखकर व कई बार व्यक्तिगत मिलकर इस शिक्षकों की सैलरी देने के संबंध में पत्र लिखा है। उनकी सैलरी तभी रिलीज हो सकती है जब डीयू की सर्वोच्च संस्था विद्वत परिषद और कार्यकारी परिषद में प्रस्ताव पारित कर पहले आदेश को निरस्त कर सैलरी देने का आदेश दिया जाए।

प्रो. सुमन ने  बताया है कि शिक्षकों ने जिस मुद्दे को लेकर हड़ताल की थी, उस मुद्दे पर शिक्षकों के मत को दिल्ली विश्वविद्यालय पहले ही स्वीकार कर चुकी है। उनके अनुसार चार वर्षीय डिग्री कोर्स को वापिस तीन वर्षीय डिग्री कोर्स में तब्दील किया जा चुका है।

कुछ शिक्षक हुए रिटायर

उन्होंने बताया है कि हड़ताल में शामिल शिक्षकों में से पिछले छह साल में जिन शिक्षकों की एक दिन की सैलरी काटी गई थी उनमे से कुछ शिक्षक तो रिटायर हो चुके हैं कुछ दूसरी जगहों पर पदोन्नति पाकर चले गए हैं। डूटा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अमरदेव शर्मा के समय शिक्षकों की हड़ताल हुई थी वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं, कुछ प्राचार्य बन गए हैं, कुछ प्रोफेसर तो कुछ डीयू से बाहर उच्च पदों पर चले गए हैं, लेकिन जो बचे हैं उनके मन में भय सता रहा है कि कहीं पदोन्नति के समय एक दिन की हड़ताल का मामला उठाकर, प्रमोशन न रोक दें। इसलिए जल्द से जल्द इस मुद्दे को समाप्त किया जाना चाहिए।

प्रो. सुमन ने आगे बताया है कि डीयू में यूजीसी रेगुलेशन्स -2018 को लागू कराने को लेकर हाई पावर कमेटी नियमों में सुधार कर विश्वविद्यालय को सौंप देने के बाद अब रेगुलेशन-2018  लागू करने के लिए कॉलेजों को निर्देश दे दिए हैं। पिछले एक दशक से रुकी हुई पदोन्नति और स्थायी नियुक्ति करने के लिए कॉलेजों को निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। उनका कहना है कि कॉलेजों में 3000 ऐसे शिक्षक हैं, जिनकी पहली और दूसरी दोनों पदोन्नति नहीं हुई है, जिससे उन्हें प्रति माह हजारों रुपये की आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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