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बड़ी खबर – जानिये, योगी का आगरा मॉडल क्यों गलत खबर की वजह से अब चर्चा में है?

कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले पूरे विश्व में 30 लाख 42 हजार हो चुके हैं। वहीं मरने वालों की संख्या 2 लाख 11 हजार के पार पहुंच गई है। भारत में तेजी से संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है और अब तक कुल 29451 हो गई है। वहीं मरने वालों का आंकड़ा 939 के पार हो गया है। देश में 24 घंटों में कोरोना के 1463 नए मामले सामने आये। प्रधानमंत्री ने सोमवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉंफ्रेंसिग के जरिये बातचीत की और लॉकडाउन को लेकर सकारात्मक पहल बताते हुए अपनी बात रखी कि भारत में लॉकडाउन से काफी फायदा हुआ है वरना ये आंकड़े काफी ज्यादा होते। मुख्यमंत्रियों ने पीएम से बातचीत के बाद ट्वीट करके लॉकडाउन बढ़ाने की बात भी कही है। संकेत है कि प्रधानमंत्री मोदी जल्दी ही 3 मई को हो रहे लॉकडाउन की समाप्ति से पहले इसे बढ़ाने को लेकर घोषणा करेंगे।

देखें वीडियों, पूरी खबर के साथ

आगरा मॉडल गलत खबरों की वजह से चर्चा में

आगरा में एक क्वारेंटाइन सेंटर का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि क्वारंटीन में रह रहे लोगों को खाने-पीने का सामान फेंक कर दिया जा रहा है। सेंटर का गेट बंद है और गेट के बाहर सामान रख दिया गया है। लोग गेट के अंदर से हाथ डाल कर सामान उठा रहे हैं। पीपीई किट पहने एक शख्स आता है। वह गेट के सामने वह बिस्किट के पैकेट फेंक देता है। इसी तरह से चाय के कप भी गेट के बाहर ही रखे गए हैं। वीडियो में पुलिस और प्रशासन के लोग भी नज़र आ रहे हैं। यह वीडियो हिंदुस्तान कॉलेज में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर का है। वीडियो में महिला का आरोप है कि जांच नहीं हो रही है और लोगों को प्रॉपर खाना-पीना भी नहीं दिया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश ने एक बार फिर से यूपी सरकार पर निशाना साधा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा है कि योगी का आगरा मॉडल विफल हो चुका है।
अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘मुख्यमंत्री द्वारा बहुप्रचारित कोरोना वायरस से लड़ने का ‘आगरा मॉडल’ महापौर के अनुसार असफल होकर आगरा को वुहान बना देगा।’
उन्होंने कहा, ‘न जांच, न दवाई, न अन्य बीमारियों के लिए सरकारी या निजी अस्पताल, न जीवन रक्षक किट और उस पर पृथक-वास केंद्रों की बदहाली प्राणां तक साबित हो रही है।’

अखिलेश ने आगरा के महापौर नवीन जैन द्वारा मुख्यमंत्री योगी को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए यह बयान दिया है। इस पत्र में जैन ने मुख्यमंत्री से आगरा को बचाने का अनुरोध किया था। आगरा के महापौर ने कहा, ‘मैं हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि मेरे आगरा को बचाइए, कृपया बचाइए।’ आगरा के महापौर की ओर से लिखे गए उक्त पत्र को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को ट्वीट भी किया था।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे जैन ने इस पत्र में लिखा है, ‘मैं बहुत दुखी मन से आप को पत्र लिख रहा हूं कि मेरा आगरा अत्यधिक संकट के दौर से गुजर रहा है. आगरा को बचाने के लिए कड़े निर्णय लेने की आवश्यकता है. स्थिति अत्यधिक गंभीर हो चुकी है. इसलिए मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहा हूं कि मेरे आगरा को बचा लीजिए, बचा लीजिये.’

महापौर ने यह पत्र 21 अप्रैल को लिखा था जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पत्र में मेयर ने आगे लिखा है, ‘आगरा, देश का वुहान बन सकता है. स्थानीय प्रशासन नाकारा साबित हुआ है. हॉट स्पाट एरिया में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में कई-कई दिनों तक जांच नहीं हो पा रही. न ही मरीजों के लिए भोजन पानी का उचित प्रबंध हो पा रहा. स्थिति विस्फोटक है.’

कनिका कपूर भी चर्चा में

बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर कोरोना से जंग जीत ली है लेकिन, अब उनकी कानूनी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। पुलिस आज कनिका को नोटिस थमा दिया है। 30 अप्रैल को कनिका का बयान दर्ज किया जाएगा। इस बीच, एक वीडियो सामने आया है जिसमें कनिका ने नोटिस रिसीव किया है। हालांकि इस वीडियो में कनिका नज़र नहीं आ रही हैं लेकिन उनकी आवाज़ साफ सुनाई दे रही है। पुलिस के मुताबिक कनिका जांच में सहयोग कर रही हैं। बता दें, सिंगर कनिका कपूर बॉलीवुड की पहली शख्स थीं जिन्हें कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में लिया था। पिछले महीने कनिका कपूर कोरोना पॉजिटिव पाई गई थीं जिसके बाद उनका अस्पताल में इलाज चला और उन्हें  21 दिनों के लिए क्वारनटीन में रखा गया।

बता दें कि कनिका कपूर के खिलाफ सरोजनी नगर थाने में दूसरों की जान खतरें में डालने सहित आईपीसी की धारा 188,269 और 270 के तहत केस दर्ज किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने लंदन से आने के बाद खुद को क्वारंटीन नहीं किया और मुंबई से लेकर लखनऊ और फिर कानपुर में पार्टी करती रहीं। कोरोना संक्रमित होने से उनके साथ ही अन्य लोगों की भी जांच का खतरा उत्पन्न हो गया। हालांकि, उनकी पार्टी में शामिल होने वाले कई लोगों ने खुद को क्वारंटीन कर लिया था।

सोशल मीडिया पर रखा पक्ष, कहा- मैं शांत थी, इसलिए नहीं कि मैं गलत थी

कनिका कपूर ने स्वस्थ होने के बाद रविवार को सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने लिखा, झे पता है कि बाहर मेरे बारे में काफी बयान और कहानियां चल रही हैं। मेरे चुप रहने की वजह से इनको और भी बढ़ावा मिला। अब तक मैं शांत थी। इसलिए नहीं कि मैं गलत थी। वास्तव में मुझे अच्छी तरह से पता है कि काफी गलतफहमी थी और मेरे बारे में गलत सूचनाओं का आदान-प्रदान भी हुआ।

मैंने सच को सामने आने का समय दिया तथा लोगों को अपने आप वास्तविकता जानने का मौका दिया। मैं अपने परिवार, मित्र और सपोर्टर को धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे पूरी तरह से बात करने के लिए तैयार होने तक का मौका दिया। मैं उम्मीद और प्रार्थना करती हूं कि सभी लोग मौजूदा समय को देखते हुए सुरक्षित और सावधान होंगे। मैं कुछ तथ्य सामने लाना चाहती हूं। वर्तमान में मैं लखनऊ में अपने माता-पिता के साथ घर पर रहकर कुछ अच्छा समय बिता रही हूं। यूके, मुंबई और लखनऊ में जो-जो मेरे संपर्क में आया था, उनमें से किसी में भी संक्रमण के कोई लक्षण नहीं मिले, जांच में भी वे निगेटिव पाए गए।

किसी व्यक्ति पर नकारात्मकता डालने से वास्तविकता नहीं बदलती

कनिका ने कहा– मैं यूके से मुंबई 10 मार्च को आई थी। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मेरी स्क्रीनिंग भी हुई थी। उस समय तक इस मामले पर कोई एडवाइजरी जारी नहीं हुई थी। एडवाइजरी 18 मार्च को जारी हुई थी। इसलिए मुझे क्वारंटीन में जाने की कोई जरूरत नहीं थी। मुझमें बीमारी का कोई लक्षण भी नहीं था, इसलिए भी मैंने खुद को क्वारंटीन नहीं किया। 11 मार्च को मैं अपने घर लखनऊ आई। घरेलू फ्लाइट में स्क्रीनिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी। 14 और 15 मार्च को मैं दोस्तों और रिश्तेदारों की पार्टी और डिनर में शामिल हुई। इस दौरान मैंने खुद कोई पार्टी नहीं दी और मैं पूरी तरह से सामान्य थी।

17 और 18 मार्च को मुझे कोरोना के लक्षण महसूस हुए। 19 मार्च को मेरा टेस्ट हुआ और 20 को रिपोर्ट में मुझे पॉजिटिव बताया गया। इसके बाद मैं अस्पताल गई तथा तीन निगेटिव रिपोर्ट के बाद वहां से मुझे छुट्टी दी गई। तबसे मैं 21 दिन के क्वारंटीन के लिए घर पर ही हूं।

मैं विशेष रूप से डॉक्टर और नर्स को धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने उस कड़े समय में मेरा ध्यान रखा। मुझे उम्मीद है कि इस मामले में सभी ईमानदारी और संवेदनशीलता बरतेंगे। किसी व्यक्ति पर नकारात्मकता डालने से वास्तविकता नहीं बदलती है।

प्रवासी मजदूरों के लिए राहत की खबर नहीं?

लॉकडाउन से देशभर में प्रवासी मजदूर जहां थे वहीं अटक गए हैं, वे अपने गांव लौटना चाहते हैं। केंद्र सरकार इसके पक्ष में नहीं है। उसने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ऐसा करने से स्वास्थ्य के प्रति गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा। कोर्ट ने भी मामले में तत्काल कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से एक हफ्ते के भीतर इस पर मांगा है कि क्या इन प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने का उसके पास कोई प्रस्ताव है।

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवासियों के बारे में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर की है। उसने कहा कि प्रवासी मजदूर, जो लॉकडाउन से पहले कहीं काम कर रहे थे, उनको गांव पहुंचाने की अभी कोई जरूरत नहीं है। ऐसे प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार की जरूरत का ख्याल रखा जा रहा है।
प्रवासी मजदूरों से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर की गई हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों की घर वापसी पर कोई भी निर्देश देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो याचिका में की गई मांगों पर विचार कर सकती है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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