बात 16 अप्रैल के रात की है जब महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ ने तीन साधुओं की पीट-पीट कर हत्या की थी। अमानवीयता की यह तस्वीर सबके पास पहुंची थी। वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। साधुओं की भीड़ की ओर से हत्या कर देने के बाद मीडिया भी दो पक्षों में बंटा दिखाई दिया। एक पक्ष अगर निष्पक्ष था तो दूसरा पक्ष वहीं महाराष्ट्र सरकार को दोष देने के साथ-साथ वह उसमें हिंदू- मुस्लिम ढूंढ़ने लगा। सरकार के यह कहने पर कि ऐसा हिंदू-मुस्लिम वाला कोई एंगल इस मामले में नहीं है इसके बावजूद मीडिया के इस पक्ष को बड़ी-बड़ी हेडिंग बनाकर इसे हिंदुओं के खिलाफ साजिश बताया गया। साथ ही इसमें वामपंथियों को निशाना भी बनाया गया औऱ जब बात नहीं बनी को कॉंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी घसीटने की कोशिश की गई। सवाल पूछते-पूछते मीडिया का यह खेमा सीधे तौर पर सोनिया गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने लगा। इन्हीं में से एक हैं जिनका नाम आपने बहुत सुना होगा। जिनका काम भी है कि चिल्ला-चिल्ला कर केवल यह बताना कि हम पत्रकार हैं जोकि केवल हिंदुओं की बात करते हैं। हर चीज में हिंदू-मुस्लिम और उसके बाद विपक्ष पर निशाना साधने के अलावा कोई और काम नहीं है। यहीं अर्णब गोस्वामी जोकि रिपब्लिक टीवी के संपादक हैं, बहुत बड़ी गलती कर बैठे। पुलिस में तमाम जगहों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई। और इसी को लेकर पुलिस ने सोमवार (27 अप्रैल, 2020) को पूछताछ की। स्थानीय कांग्रेस नेता द्वारा दर्ज कराए गए मामले के आधार पर पुलिस ने गोस्वामी से मध्य मुंबई स्थित एनएम जोशी मार्ग पुलिस थाने में पूछताछ की।
पुलिस थाने के बाहर आने के बाद गोस्वामी ने दावा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ टिप्पणी के मामले में उनसे 12 घंटे से ज्यादा पूछताछ की गई। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार में कांग्रेस सहयोगी है। गोस्वामी ने पत्रकारों से कहा कि वह सोनिया गांधी के खिलाफ की गई टिप्पणी पर कायम है और उन्होंने जो भी कहा बिल्कुल सही है। गोस्वामी ने कहा कि उन्होंने पुलिस के समक्ष अपना पक्ष रखा और वे उससे पूरी तरह से संतुष्ट थे। उन्होंने बताया कि रविवार को पुलिस ने उन्हें नोटिस भेज सोमवार की सुबह पूछताछ के लिए तलब किया था।
आपको अवगत करा दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गोस्वामी को इस मामले में तीन हफ्ते के लिए किसी भी कार्रवाई से संरक्षण दिया था। इसके साथ ही नागपुर में दर्ज मामले को छोड़कर इसी संबंध में दर्ज मामलों में कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। नागपुर में महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने अर्णब के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई की थी, जिसमें पालघर की घटना के संबंध में उनके शो सोनिया गांधी पर दिए उनके बयानों का जिक्र था।
अर्णब के बाहर निकलते ही उनके ही चैनल के पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि क्या राजनीतिक दबाव के कारण उनसे पूछताछ की गई? गोस्वामी ने पत्रकारों से कहा, ‘मैं अभी इसका मकसद नहीं बताना चाहता हूं। लेकिन आज हर कोई जो यहां देख रहा है, वह वास्तव में जानता है कि मैं सच्चाई की तरफ हूं। मैं हर एक बयान पर कायम हूं।’जोन 3 के डीसीपी अभिनाश कुमार के अनुसार अब यह केस नागपुर से मुंबई ट्रांसफर हो चुका है।
रिपब्लिक टीवी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका
सोनिया गांधी पर कथित विवादित टिप्पणी के बाद अर्णब गोस्वामी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। कांग्रेस नेताओं ने अब मुंबई हाईकोर्ट में रिपब्लिक टीवी के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि रिपब्लिक टीवी को बंद करने का आदेश दिया जाए।
सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है-
ट्विटर पर अर्णब के खिलाफ 12 घंटे की पुलिस पूछताछ के बाद ट्रेंड्स में यूजर्स भीं दो तरह से बंटे दिखाई दे रहे हैं- एक वे जो अर्णब के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को लेकर खेद जता रहे हैं और मैं अर्णब के साथ हूं लिख रहे हैं, जिसमें तमाम टीवी चैनल्स के पत्रकार भी शामिल हैं। और दूसरी ओर मैं मुंबई पुलिस के साथ हूं, ट्रेंड कर रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सांबित पात्रा ने ट्वीट किया-
इतनी पूछताछ अगर पालघर वाले मामले में की होती तो अभी तक संतो के निर्मम हत्या के पीछे की साज़िश उजागर हो जाती। https://t.co/nc8wZY9KRI
— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 27, 2020
पत्रकारों ने क्या लिखा
अर्णब से 12 घंटे से अधिक पुलिस की पूछताछ को लेकर तमाम मेन स्ट्रीम मीडिया के पत्रकारों ने खुलकर आलोचना की है। इसमें राजदीप सरदेसाई, अंजना ओम कश्यप, दीपक चौरसिया, रोहित सरदाना आदि शामिल हैं।
आज तक चैनल की पत्रकार अंजना ओम कश्यप ने ट्वीट किया है कि अगली बारी उन सबकी हो सकती है जो आज चुप हैं। पुलिस तंत्र का किसी भी पत्रकार पर बेजा इस्तेमाल शक पैदा करता है कि आप उसकी सोच और प्रस्तुति के आगे जाकर उसके ख़िलाफ़ प्रतिशोध से ग्रस्त हैं। क़ानून से उपर कोई नहीं लेकिन क़ानून का मज़ा चखाने का अंदाज दायरा लांघ रहा है।पूरा सच आना चाहिए।
अगली बारी उन सबकी हो सकती है जो आज चुप हैं। पुलिस तंत्र का किसी भी पत्रकार पर बेजा इस्तेमाल शक पैदा करता है कि आप उसकी सोच और प्रस्तुति के आगे जाकर उसके ख़िलाफ़ प्रतिशोध से ग्रस्त हैं। क़ानून से उपर कोई नहीं लेकिन क़ानून का मज़ा चखाने का अंदाज दायरा लांघ रहा है।पूरा सच आना चाहिए।
— Anjana Om Kashyap (@anjanaomkashyap) April 27, 2020
न्यूज नेशन टीवी के पत्रकार दीपक चौरसिया ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि संतों के क्रूर और बर्बर तरीक़े से हत्या को अफ़वाह बताकर मामले को रफ़ा दफ़ा कर दिया गया। यह साबित करता है कि देश के सबसे क़ाबिल में से एक महाराष्ट्र पुलिस के गले पर एक राजनीतिक पट्टा है।
एक ओपन टेलिविज़न डिबेट के एक टिप्पणी पर #ArnabGoswami से 12 घंटे पूछताछ। वहीं #Palghar में संतों के क्रूर और बर्बर तरीक़े से हत्या को अफ़वाह बताकर मामले को रफ़ा दफ़ा कर दिया गया। यह साबित करता है कि देश के सबसे क़ाबिल में से एक महाराष्ट्र पुलिस के गले पर एक राजनीतिक पट्टा है।
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) April 27, 2020
आज तक के पत्रकार रोहित सरदाना ने ट्वीट किय है कि पत्रकार के विचार या या प्रस्तुति के तरीक़े आपको नापसंद हो सकते हैं. लेकिन अदालती कार्रवाई के बावजूद अगर आप उसके ख़िलाफ़ पुलिसिया तंत्र के बेजा इस्तेमाल पर अपनी चुप्पी का पर्दा डालते हैं तो यही लोग कल आपके घर तक भी आएँगे।
किसी पत्रकार के विचार या या प्रस्तुति के तरीक़े आपको नापसंद हो सकते हैं. लेकिन अदालती कार्रवाई के बावजूद अगर आप उसके ख़िलाफ़ पुलिसिया तंत्र के बेजा इस्तेमाल पर अपनी चुप्पी का पर्दा डालते हैं तो यही लोग कल आपके घर तक भी आएँगे.
— रोहित सरदाना (@sardanarohit) April 27, 2020
राजदीप ने लिखा है कि
Does the Mumbai police really need 10 hours to interrogate Arnab Goswami for a tv programme? Have no time left for his ‘journalism’ but this smacks of undue state power.
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 27, 2020
They need to be acted against even more strictly#SoniaSpeakNow#SoniaScaresNobody#westandwitharnabgoswami#भगवा_तो_लहराएगा https://t.co/99ibUt3bsU
— Arnab Goswami (@ArnabGoswamiRtv) April 27, 2020
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